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    पर्यटकों को आकर्षित कर रहा वृक्ष वाटिका

    अररिया। जीवन के लिए जल और हरियाली दोनों जरूरी है। इन दोनों के बगैर जीवन की कल्पना भी न

    By JagranEdited By: Updated: Tue, 03 Mar 2020 11:55 PM (IST)
    पर्यटकों को आकर्षित कर रहा वृक्ष वाटिका

    अररिया। जीवन के लिए जल और हरियाली दोनों जरूरी है। इन दोनों के बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसलिए सरकार इसको लेकर गंभीर है। बिहार सरकार ने जीवन की रक्षा के लिए एक महत्वाकांक्षी जल, जीवन और हरियाली योजना चलाई है। इसी को लेकर अधिक से अधिक पौधा लगाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। सरकार ने वन क्षेत्र को भी विकसित कर इसे बढ़ावा दे रही है। अररिया जिले में लगभग 20 वन क्षेत्र है। इसमें वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार ने दो सबसे बड़े वन क्षेत्र को विकसित किया है। इसमें कुसियागांव के वन क्षेत्र को विकसित कर जैव विविधता पार्क के रूप में विकसित किया है जो आज अररिया जिला ही नही उत्तर पूर्वी बिहार का एक सुन्दर पर्यटन स्थल बन चुका है । जिले के रानीगंज प्रखंड के हसनपुर बालू धीमा के नाम से जाने जाने वाले वन क्षेत्र को वृक्ष वाटिका के रूप मे विकसित किया गया है। ये स्थल बिहार सरकार का एक अधिसूचित वन भूमि है। यह वृक्ष वाटिका 289 एकड़ में फैला है इसे सरकार ने प्राकृतिक वन क्षेत्र के रूप मे विकसित किया है। इसके परिवर्तित स्वरुप को पर्यटकों के आवश्यकता अनुसार आकर्षक रूप प्रदान किया गया है। रानीगंज वृक्ष वाटिका बिहार राज्य के अररिया जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर पश्चिम में रानीगंज-फारबिसगंज मार्ग पर स्थित है। यह राज्य की राजधानी पटना से 310 किलोमीटर पूरब और उत्तर में है। यह वृक्ष वाटिका बिहार राज्य का एक अत्ययंत दर्शनीय, मनोरम, पर्यटन स्थल, प्रकृति और स्वास्थ्य प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल एवं शोध कर्ताओं के लिए निर्मित किया गया है। वन विभाग के पदाधिकारी ने बताया की यहां पर पर्ण सनोवर, कैफेटेरीया, नेचर ट्रेल, परिक्रम पथ, कुटी एवं बेंच, दिशा सूचक बोर्ड, स्वच्छ पेयजल, कुड़ादान, तरु वाटिका, महिला प्रसाधन, युकिलीक्तस बीज बाग और बांस वाटिका बनाए गए है। साथ ही इसमे में आधा दर्जन से अधिक अजगर सांप और आधा दर्जन हिरन भी मौजूद है। लेकिन आज ये वृक्ष वाटिका बेहतर रख रखाव की समस्या से जुझ रहा है ।यही कारण है कि इतना कुछ रहने के बावजूद ये वृक्ष वाटिका पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित नही कर पा रहा है ।इसके लिए वन विभाग को सक्रीय होने की जरुरत है ।

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