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    छठ: फणीश्वरनाथ रेणु के परिवार में पारंपरिक तौर से मनाया जाता है लोकआस्‍था का पर्व, पद्मा के बाद बीणा अब जरीना

    By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shukla
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 12:20 PM (IST)

    छठ पर्व फणीश्वरनाथ रेणु की पत्नी पद्मा ने संकल्प लिया था लोकआस्था के पर्व छठ का। पद्मा से शुरू लोकआस्था चौथी पीढ़ी तक पहुंची। पद्मा ने बीणा को यह पर्व करने की अनुमति दी। अभी यह पर्व जरीना कर रही है।

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    छठ: अररिया के रेणुगांव में अर्घ्य देते पूर्व विधायक पद् पराग राय वेणु l जागरण

    राहुल सिंह, फारबिसगंज (अररिया)। छठ पर्व : 1980 से रेणु परिवार में मनाया जाता है छठ पूजा। इसकी शुरुआत फणीश्वरनाथ रेणु की पत्नी पद्मा रेणु ने किया था। 1995 में वे अस्वस्थ होने के कारण इस व्रत को अपनी बडी पुत्रवधु वीणा राय को सौंप दी। 2004 पुत्रवधु ने अपने बडे़ पुत्र नीलोत्पल राय को सौंप दिया। 2011 से अबतक रेणु की पोती जरीना राय छठ व्रत को मनाती आ रही है।

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    रेणु के छोटे सुपुत्र दक्षिणेश्वर प्रसाद राय पप्पू ने बताया की हमारे परिवार में पूर्णतया पारंपरिक रीति रिवाज के साथ बडे ही धूमधाम से छठ मनाया जाता है। गांव की महिलाएं द्वारा छठ पूजा का लोक गीत दो दिनों तक गाया जाता है और पूरे गांव में उल्लास का वातावरण बना रहता है।

    वहीं इनके परिवार के सदस्यों में क्रमश इस मौके पर रेणु की बेटी निवेदिता व तीन बहू क्रमश: वीणा राय, रीता राय, स्मिता राय, व पोती, जरीना, मोनालिसा व प्रपोत्र नीलोत्पल राय, दीक्षिता (दिशा)निशांतकर, अनंत, अनुराग, अभिराज, इमोन, सिमोन, व प्रपौत्र बधु प्रियंका, ममता, अमृता, व चांदनी राय ने बताया कि रेणु निवास हमारे व साहित्य से जुड़े लोगों के लिए मंदिर है। इसलिए उनकी पत्नी पद्मा रेणु ने घर के प्रांगण में लोकआस्था व सूर्योपासना का महापर्व मनाने की परम्परा की शुरुआत की है।जो अब कई दशकों बाद पदमा से शुरू हुई आस्था का निर्वहन पौत्री जरीना राय कर रही है।

    कुलमिलाकर साहित्य के प्रांगण में लोकआस्था पदमा से पौत्री तक का सुनहरा सफर तय किया है। जो बिहारवासियों के महापर्व के प्रति अटूट विश्वास व पर्व समर्पण एवं आस्था की सुचिता को दृतिगोचर करते हुए परती परिकथा की धूल को धीरे धीरे ही सही आस्था के सागर से पाटने के लिए संघर्षरत है। स्थानीय लोग यह भी कहते है यह परिवार नहीं परम्परा की संजीवनी है क्षेत्र के लिए। लोगों के मन में फ‍णीश्‍वरनाथ रेणु के प्रति काफी श्रद्धा है।