Araria News: 11 पैक्स गोदामों से 349 मीट्रिक टन धान गायब, निलंबित बीसीओ के खुलासे से इलाके में सनसनी
नरपतगंज प्रखंड में सरकारी धान खरीद में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। निलंबित बीसीओ ने फरही पैक्स के अध्यक्ष और प्रबंधक पर लाखों रुपये के धान के गबन का आरोप लगाया है। हैरानी की बात यह है कि प्राथमिकी दर्ज कराने की बजाय सिर्फ शिकायत दर्ज कराई गई है। अन्य 10 पैक्स पर भी ऐसे ही आरोप हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

जागरण संवाददाता, फुलकाहा (अररिया)। सरकारी धान खरीद घोटाले में निलंबित नरपतगंज प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी (बीसीओ) रवि रंजन ने अपने पद से इस्तीफा देने से पहले ऐसा खुलासा किया है, जिससे पूरे प्रखंड में सनसनी फैल गई है।
उन्होंने दो अगस्त को नरपतगंज थाने में फरही पैक्स अध्यक्ष पार्वती देवी और प्रबंधक कुणाल कुमार के खिलाफ 349.625 मीट्रिक टन धान गबन करने का संदेह जताते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। इस धान का समतुल्य मूल्य 81 लाख 28 हजार 721.25 आंका गया है।
नियमानुसार खरीदे गए धान का सत्यापन और प्रसंस्करण के बाद चावल की आपूर्ति अनिवार्य है। लेकिन बीसीओ के अनुसार फरही पैक्स में न तो धान का सत्यापन हुआ और न ही चावल की आपूर्ति की गई। धान के स्टॉक का रिकार्ड तो दस्तावेजों में मौजूद है, लेकिन हकीकत में धान का अता-पता नहीं है।
हालांकि, हैरानी की बात यह है कि निलंबित बीसीओ रवि रंजन ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के बजाय सिर्फ शिकायत दर्ज कराई, जिसे कई लोग महज औपचारिकता मान रहे हैं। और चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ फरही पैक्स ही नहीं बल्कि मिरदौल, तामगंज, बसमतिया, पिठौरा, फतेहपुर, खैरा, खाबाध, मधुरा उत्तर, मधुरा दक्षिण और रेवाही पैक्स पर भी धान गबन और अनियमितता के आरोप लगे हैं।
आरोपों के बावजूद इनमें से किसी के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार इन 11 पैक्स में एक ही तरह का पैटर्न सामने आया है। गोदामों में खरीदे गए धान का स्टॉक कागजों पर दर्ज है, लेकिन वास्तविक सत्यापन नहीं होता है। प्रसंस्करण और चावल आपूर्ति का रिकॉर्ड अधूरा है। साथ ही लाखों-करोड़ों रुपये के अनाज का कोई ठोस हिसाब-किताब नहीं है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि जब धान खरीद का सीजन शुरू होता है तो पैक्स के माध्यम से किसानों से सरकारी दर पर धान खरीदा जाता है। इसके बाद इसे संसाधित कर चावल के रूप में राज्य खाद्य निगम को आपूर्ति करनी होती है। लेकिन अनियमित पैक्स प्रबंधन पहले धान का पूर्ण सत्यापन टालता है, फिर धीरे-धीरे स्टॉक को खपा देता है बीसीओ का निलंबन और पेच सरकारी धान खरीद में अनियमितता के आरोप में रविरंजन खुद निलंबित हो चुके हैं। लेकिन निलंबन से ठीक पहले उन्होंने दस्तावेज जुटाए और फरही पैक्स अध्यक्ष और प्रबंधक के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई।
सवाल यह है कि अगर आरोप इतने गंभीर थे तो उन्होंने सीधे एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई? इस मामले को लेकर लोगों में दो राय है। कुछ का कहना है कि बीसीओ रविरंजन दबाव के बावजूद मामले को थाने ले गए, जबकि अन्य का मानना है कि एफआईआर दर्ज न कराकर उन्होंने जानबूझकर पैक्स प्रबंधन को कानूनी शिकंजे से बचाया।
पुलिस जांच और मौजूदा स्थिति नरपतगंज थाना पुलिस ने शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पैक्स गोदामों का भौतिक सत्यापन, दस्तावेजों की जांच और गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे। लेकिन चूंकि मामला दर्ज नहीं हुआ है, इसलिए पुलिस की कार्रवाई सीमित है। जांच में ठोस सबूत मिलने पर ही एफआईआर दर्ज की जाएगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि 349 टन धान मामले की जांच धीमी गति से चल रही है और अन्य पैक्स के मामलों पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे आरोपियों को रिकॉर्ड और स्टॉक में हेराफेरी करके किसी तरह अपना बचाव करने का समय मिल रहा है।
जब 11 पैक्स में अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं और करोड़ों रुपये का सरकारी अनाज संदिग्ध स्थिति में है, तो साफ है कि सहकारिता विभाग में निगरानी और जवाबदेही दोनों का घोर अभाव है। लोगों का कहना है कि इन मामलों की जांच किसी उच्चस्तरीय जांच एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए।
किसानों का कहना है कि सरकार को बेचने के बाद उनका धान इस तरह गायब हो जाना उनके साथ विश्वासघात है। लोगों का यह भी कहना है कि अगर इस मामले को दबाया गया, तो आने वाले सीजन में किसान सरकारी खरीद से और दूरी बना लेंगे।
अब सबकी निगाहें पुलिस जांच और जिला प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। अगर केस दर्ज होता है, तो मामला कानूनी रूप से मजबूत होगा और दोषियों को सजा मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
लेकिन अगर जांच धीमी रही और मामला सिर्फ सनहा तक ही सीमित रहा, तो यह भी नरपतगंज के अनगिनत घोटालों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा। नरपतगंज में लोग अब यह सवाल जोर-शोर से पूछ रहे हैं। अगर 11 पैक्स का मामला सामने है, तो केस क्यों नहीं दर्ज किया गया? इस सवाल का जवाब ही तय करेगा कि यह खुलासा वाकई न्याय की दिशा में एक कदम है या सिर्फ़ औपचारिकता।
क्या कहते हैं बीसीओ
इस मामले में प्रभारी बीसीओ आनंद कुमार झा ने बताया कि फरही पैक्स अध्यक्ष के खिलाफ पूर्व बीसीओ ने शिकायत दर्ज कराई है। ऊपर से आदेश आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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