Bihar Bhumi: लाल कार्ड जमीन को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा, बिहार के जिले में एक्टिव हुए भू-माफिया
अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड में लाल कार्ड की जमीन के सौदे का मामला सामने आया है जहां भूमिहीनों को आवंटित जमीन भू-माफियाओं द्वारा औने-पौने दामों पर बेची जा रही है। नवाबगंज पंचायत में हुई इस घटना में लाल कार्ड धारकों ने हलफनामे के माध्यम से जमीन बेच दी। राजस्व अधिकारी ने जाँच कर उचित कार्रवाई करने की बात कही है।

संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया)। नरपतगंज प्रखंड के फुलकाहा थाना क्षेत्र के नवाबगंज पंचायत में लाल कार्ड की भूमि का बड़े पैमाने पर सौदा हुआ है। भूमिहीनों के बीच आवंटित की गई भूमि को भू धारियों ने औने पौने भाव में बेच दिया है। जमीन किस परिस्थिति में बिक गई इसका सौदा कैसे हुआ कौन से संबंधित अधिकारी इस कारनामे की जद में है फिलहाल यह जांच का विषय है।
बताया जा रहा है कि नवाबगंज पंचायत में कुनकुन देवी प्लस टू उच्च विद्यालय की आस पास कई भूमिहीन परिवारों को सरकार द्वारा जमीन आवंटित की गई थी। वर्षों पूर्व ऐसे परिवार यहां बस रहे थे किंतु आज हालात यह है कि यहां भू-माफिया का कब्जा है। बेबस लाचार परिवार से छलावा करके औने पौने दाम देकर ऐसे लोगों ने हथिया ली।
लाल कार्ड की जमीन फर्जी तरीके से बेचने वालों की सूची में एक दर्जनों लाल कार्ड धारियों के नाम प्रमुख रूप से शामिल है। एक हलफनामे के मुताबिक, नवाबगंज निवासी एक लाल कार्ड धारी के नाम से लाल कार्ड की भूमि का रसीद कट रहा था। किंतु उन्होंने मानिकपुर निवासी के नाम से इस हलफनामे के जरिए यह बता कर दे दी की जमीन पर वर्षों से उनका का कब्जा है।
एक लाल कार्ड धारी ने हलफनामे में यह लिखा की गलती से उनके नाम जमीन की बंदोबस्ती हो गई जिसे तीस हजार रुपया लेकर हलफनामे के माध्यम से मानिकपुर के निवासी को जमीन दे दी गई। कई नामचीन लोगों ने लाल कार्ड की जमीन को खरीदा है अगर जांच सही से किया जाए तो लाल कार्ड धारियों पर कार्रवाई हो सकती है।
क्षेत्र में यह चर्चा है कि लाल कार्ड की जमीन 20 साल के बाद लाल कार्ड धारी बेच सकता है, लेकिन सरकार ने ऐसे लोगों को जमीन दान में दिया है जो लोग भूमिहीन हैं, लेकिन राजस्व कर्मचारी के द्वारा जिसके पास जमीन था उन लोगों के नाम से ही लाल कार्ड बना दिया गया।
एक लाल कार्ड धारी से जमीन खरीदने वाले ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अररिया में एक भू-माफिया है जो लाल कार्ड की जमीन को किसी के नाम से रजिस्ट्री करा दिया जाता है। जो लोग लाल कार्ड की जमीन लाल कार्ड धारी से खरीदे है उन्होंने फिलहाल मकान बना लिया है। यह तो बानगी भर है दर्जनों लोगों ने हलफनामे के जरिये कमोबेश इसी तरह का उल्लेख किया है।
पूरे मामले में गहरी साजिश की बू स्पष्ट रूप से आ रही है। ऐसे में दारोमदार अधिकारी पर कई तरह के सवाल उठाए जाने लगी है। प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते अभिलेखों में आरक्षित भूमि पर दबंगों की नजर टेढ़ी हो गई है। आए दिन कहीं न कहीं यह लोग ऐसी भूमि पर जबरन कब्जा कर निर्माण कर ले रहे हैं। ऐसा नहीं की अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं होती है।
ग्रामीण आए दिन इसकी शिकायत करते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं होता है और सरकारी जमीन इनके कब्जे में हो जाती है। इस प्लाट के अलावा अन्य कई जगहों की भूमि को बेचा जा चुका है। यह सब भू माफियाओं और अंचल के कुछ कर्मियों की भी सांठ-गांठ का परिणाम है।
इस संबंध में नरपतगंज राजस्व अधिकारी राम उदगार चौपाल ने बताया कि लाल कार्ड की जमीन भूमिहीन लोगों को दिया गया था अगर वह लोग किसी अपने मन से दे रहे हैं तो इसकी जांच की जाएगी और लाल कार्ड की जमीन रजिस्ट्री नहीं होती है लेकिन मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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