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    नोटबंदी ने दिखाई राह, कैशलेश पेंमेंट का स्टार्टअप शुरू कर हासिल किया बड़ा मुकाम; अब 1200 करोड़ मासिक टर्न ओवर

    By Ashutosh Kumar NiralaEdited By: Prateek Jain
    Updated: Thu, 19 Jan 2023 05:53 PM (IST)

    Start Up India अररिया के जोकीहाट के रहने वाले शम्स तबरेज के मन में बचपन से ही कुछ बड़ा करने की ललक थी। ग्रेजुएशन में सामान्‍य पढ़ाई करते हुए भी उन्‍होंने कैशलेश पेमेंट की दुनिया में अपनी छाप छोड़ दी है। (फाइल फोटो)

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    जोकीहाट के शम्स तबरेज उर्फ शब्बू ने ग्रामीण क्षेत्रों को कैशलेश सुविधा से जोड़ा।

    जोकीहाट (अररिया), ज्योतिष झा: बिहार के अररिया जिला के छोटे से कस्बे जोकीहाट के शम्स तबरेज उर्फ शब्बू ने ग्रामीण क्षेत्रों को कैशलेश सुविधा से जोड़ा, साथ ही 160 लोगों को रोजगार भी दिया। इनके द्वारा 2018 में विकसित इजी-पे आज खासा लोकप्रिय है। शम्स तबरेज अब दिल्ली में रहते हैं। इनकी कंपनी एमजे डिजीटल सर्विस प्राइवेट लिमिटेड का मासिक टर्न ओवर लगभग 1200 करोड़ रुपये का है। इसमें अररिया जिले से 35 करोड़ का बिजनेस होता है। इन्हें भारत सरकार की ओर से पुरस्कृत भी किया गया है।

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    नोटबंदी के दौरान लोगों को परेशान देख गांवों में कैशलेस सुविधा उपलब्ध कराने का विचार आया, ताकि कैश नहीं रहने पर भी ग्रामीणों को खरीदारी में परेशानी नहीं हो। स्वजन के एनजीओ की मदद से इसकी शुरुआत की। बैंक की मदद से बिजनेस को आगे बढ़ाया। कैशलेस आइडिया के साथ इन्होंने यह स्टार्ट अप शुरू किया था। इसमें टैक्स में छूट समेत अन्य सुविधाएं मिलीं और आखिरकार बिजनेस चल निकला। इन्हें जून 2022 में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के लिए सर्टिफिकेट दिया गया, जिसकी मान्यता जुलाई 2028 तक है। उन्हें फाइनेंशियल योजना के तहत स्टार्ट अप का लाभ मिला।

    2018 में शुरू किया स्टार्ट अप

    छोटे बाजार में रहने वाला बंदा एक दिन दिल्ली जैसे महानगर में सैकड़ों लोगों को रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाएगा ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था। वाकया जोकीहाट नगर पंचायत के युवा शम्स तबरेज उर्फ शब्बू , पिता मो. मुर्तजा अली का है, जिन्होंने ऐसा कर दिखाया है। वे दिल्ली में रहकर कैसलैश के डिजीटल इजी पे (ezee pay) का स्टार्ट अप वर्ष 2018 में शुरू किया।

    नोटबंदी के दौरान लोगों को परेशान देख उनके मन में यह बातें आई कि बिना नकद रुपये के भी गांव देहात के लोग दुकानों में जाएं, जहां बिना कैश के सबकुछ खरीद सके। उनका यह आइडिया इतनी तेजी से बढ़ा कि आज उनका कारोबार देश के करीब एक दर्जन राज्यों में है।

    तबरेज ने बताया कि भारत सरकार के स्टार्ट अप इंडिया से जुड़कर एक सौ साठ युवाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाया है। भारत सरकार की ओर से भी उन्हें पुरस्कृत किया गया है। कैशलैस इकोनामी भारत सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। जिन्हें बढ़ाने में वे सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

    1200 करोड़ रुपये का है महीने का टर्न ओवर

    उन्होंने जोकीहाट बाजार में करीब चार साल तक एसबीआई का ग्राहक सेवा केंद्र चलाया। जब नोटबंदी हुई तो लोगों को रुपये जमा निकासी में बहुत कठिनाई होने लगी। फिर एक बड़ा सा सपना दिलो दिमाग में दबाए वह दिल्ली चला गया। वहां डिजि‍टल लेनदेन विषय पर स्टार्टअप का आइडिया उनके दिमाग में आया, जिसपर अपने मित्रों और सलाहकारों से मंथन किया और उन्होंने इस अभियान में पूरी ताकत झोंक दी।

    तबरेज साधारण इतिहास विषय से स्नातक हैं, लेकिन बचपन से इनोवेटिव विचार रखते थे। कुछ न कुछ नया करते थे। उनके पिता सह अधिवक्ता हाजी मुर्तजा अली ने बताया कि बचपन से बड़ा करने का सोच तबरेज के मन में था। आज इजी पे डिजि‍टल प्लेटफार्म का चर्चित नाम हो गया है। वे इसके सीइओ हैं।

    उन्होंने बताया कि बिहार , उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बंगाल सहित करीब एक दर्जन राज्यों में ईजी पे से लेनदेन लाखों ग्राहक कर रहे हैं। सिर्फ अररिया जिले में कैशलैस कारोबार प्रति महीने सौ करोड़ के आसपास है, जिसमें 35 करोड़ सिर्फ ईजी पे से होता है। तबरेज ने बताया कि प्रति माह उनका टर्न ओवर करीब बारह सौ करोड़ रुपये का है। बताया कि इस प्लेटफार्म के जरिए सरकार की प्राथमिकताओं को मजबूत करने के साथ ही करीब डेढ़ सौ से अधिक युवा-युवतियों को रोजगार से जोड़ा है। आगामी वर्षों में दो सौ बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने की योजना है।

    युवाओं के रोल मॉडल हैं शम्स तबरेज

    शम्स तबरेज एक नेकदिल इंसान हैं। करि‍यर में लंबी छलांग लगाने के बावजूद अपनी मिट्टी और अपने लोगों को नहीं भूले हैं। वे युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं। जोकीहाट नगर पंचायत में उनके कई दोस्त हैं। वे समाजसेवा के क्षेत्र में भी अग्रसर हैं। कोविड काल में उन्होंने जरूरतमंदों के बीच आक्सीजन सिलेंडर बांटे। गरीबों की शादी, जाड़े में कंबल वितरण भी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में वितरित करते हैं।

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