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    Araria News: अररिया जिले में यहां बन रहा 828 मीटर लंबा आरओबी, मिलेगी जाम से मुक्ति

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 02:14 PM (IST)

    अररिया जिले में 828 मीटर लंबे आरओबी का निर्माण कार्य चल रहा है। इस आरओबी के बनने से शहर में जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी और यातायात सुगम होगा। यह पर ...और पढ़ें

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    रूपेश कुमार, फारबिसगंज (अररिया)। शहर में भीषण जाम की समस्या को लेकर सबसे व्यस्त सुभाष चौक पर जल्द ही रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) बनकर तैयार हो जाएगा। जिसका निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है। बिहार सरकार की ओर से बनने वाले इस आरओबी की लंबाई 828.40 मीटर होगी।

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    निर्माण कार्य 36 महीने में पूरा होगा। इसकी लागत 115 करोड़ रुपए तय की गई है। उक्त निर्माण भाजपा के पूर्व विधायक विद्यासागर उर्फ मंचन केशरी के अथक प्रयास के संभव हो पाया था।

    फारबिसगंज के सुभाष चौक पर बन रहे रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण की अवधि 36 माह रखी गई है, जबकि 828.40 मीटर का निर्माण कार्य बताया गया है। जिसमें रेलवे ओवर ब्रिज भाग 60 मीटर, जुम्मन चौक एनएच 57 की ओर 199.20 मीटर, जोगबनी की ओर 193.20 मीटर, वहीं फारबिसगंज मार्केट साइड 201 मीटर और अस्पताल रोड की ओर 175 मीटर निर्माण होने की जानकारी दी गई है।

    मालूम हो कि सुभाष चौक जहां से एक तरफ सीमा पार नेपाल जोगबनी जाने वाली, दूसरी ओर नरपतगंज तीसरी ओर रानीगंज, चौथी ओर अररिया और पांचवीं रास्ता अम्हारा की ओर जाती है।

    शहर के बीचोबीच गुजरने वाली रेल लाइन के चारों गुमटियों के प्रायः बंद रहना भी जाम की समस्या का एक कारण है। शाह जहां शाद, रमेश सिंह,पवन मिश्रा बच्छराज राखेचा, बिनोद सरावगी, मांगीलाल गोलछ सहित अन्य बुद्धिजीवियों ने बताया की शहर के मध्य रेलवे ट्रैक के गुजरने और लगातार रेलवे फाटक बंद रहने के कारण प्रायः जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। आरओबी निर्माण के बाद जाम से त्रस्त शहर को काफी राहत मिलेगी।

    फारबिसगंज शहर की प्रमुख बातें

    फारबिसगंज शहर नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित है। फारबिसगंज का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। अंग्रेजी शासन काल में यहां रहने वाले अलेक्जेंडर जान फोर्ब्स के नाम पर फोर्ब्सगंज पड़ा था, जिसे बाद में स्थानीय लोग फारबिसगंज कहने लगे।

    फारबिसगंज को जूट की मंडी व सुल्तान पोखर की वजह से जाना जाता रहा है। एजे फोर्ब्स की कचहरी व उनके मैनेजर का निवास लाल कोठी इसी पोखर के किनारे था।

    सुल्तानी माई मंदिर के भीतर एक मजार है जहां एक ओर हिन्दू समुदाय के लोग पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय के लोग अपने आस्था की इबादत करते हैं।