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मां दुर्गा की तीसरे रूप चंद्रघंटा की हुई पूजा, क्षेत्र में बना भक्तिमय माहौल

संवाद सूत्र फुलकाहा (अररिया) शारदीय नवरात्र के तृतीया को होती है देवी चंद्रघंटा की उप

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 11:48 PM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 12:47 AM (IST)
मां दुर्गा की तीसरे रूप चंद्रघंटा की हुई पूजा, क्षेत्र में बना भक्तिमय माहौल
मां दुर्गा की तीसरे रूप चंद्रघंटा की हुई पूजा, क्षेत्र में बना भक्तिमय माहौल

संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया): शारदीय नवरात्र के तृतीया को होती है देवी चंद्रघंटा की उपासना। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत हीं सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा के तीसरे स्वरुप का नाम चंद्रघंटा है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजती हैं। मां चंद्रघंटा देवी का स्वरूप सोने के समान कांतिवान है। देवी मां की दस भुजाएं हैं और दसों हाथों में खड्ग, बाण है। मां चंद्रघंटा के गले में सफेद फूलों की माला रहती है। ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना से मां भक्तों को सभी पाप हर लेती हैं और उसके काम के बीच आने वाली बाधाओं को नष्ट करती हैं। मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार हैं इसलिए इनकी पूजा करने वाला पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है इसलिए इनकी आराधना से स्वभाव में विनम्रता तो आती हीं है साथ हीं मुख, नेत्र और संपूर्ण काया में कांति-गुण बढ़ते हैं। ज्योतिषों की मानें तो जिन जातकों का द्रमा कमजोर होता है उन्हें इस पूजा से विशेष लाभ होता है। फुलकाहा दुर्गा माता मंदिर में शनिवार को भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा पाठ करने पहुंचे। वहीं नरपतगंज प्रखंड मुख्यालय के दुर्गा माता मंदिर , बसमतिया दुर्गा माता मंदिर, सोनापुर, घूरना, सुरसर, भोड़हर, मिरदौल आदि मंदिरों में पूजा करने पहुंचे श्रद्धालु। इधर पूजा को लेकर नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र में भक्ति में माहौल बना हुआ है पूरे क्षेत्र जय मां भगवती के नारे से गूंज उठा है।

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