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    नेपाल में पांच दिनों तक मनाई जाती है दीपावली

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 04 Nov 2021 12:15 AM (IST)

    दीपक कुमार, संसू सिकटी (अररिया): दीपावली-प्रकाश का पर्व है। भारत के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में

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    नेपाल में पांच दिनों तक मनाई जाती है दीपावली

    दीपक कुमार, संसू सिकटी (अररिया): दीपावली-प्रकाश का पर्व है। भारत के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में यह पर्व मनाया जाता है। पड़ोसी देश नेपाल में दीपावली को तिहाड़ के नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में दशान के बाद दीपावली दूसरा सबसे लोकप्रिय त्योहार है। यह पर्व नेपाल में न केवल देवताओं की प्रशंसा करता है, बल्कि जानवरों और पक्षियों से भी निकटता से संबंधित है। हिदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि की रात को दीपावली मनाई जाती है। नेपाल में यह उत्सव पांच दिनों तक चलता है। मुख्य दीपावली तिहाड़ के दिन ही होती है, लेकिन दीपोत्सव इसके दो दिन पहले से शुरू होता है और दो दिन बाद तक चलता है। इसमें काग तिहार, कुकुर तिहार, गाय तिहार, तिहार पर्वत के साथ भाई टीका पर्व शामिल है। पांच दिनों तक चलने वाला इस पर्व में घर के सभी सदस्य आनंद उठाते हैं। देवता, प्रकृति व स्वयं का उत्सव: नेपाल में दीपावली का उत्सव वास्तव में एक महीना पहले शुरू होता है, जब लोग अपने घरों को साफ करना शुरू करते हैं। सभी अनावश्यक और टूटी हुई चीजों को फेंक देते हैं। नए कपड़े खरीदते हैं। प्रत्येक परिवार से अपने घरों को सजाने के लिए मिट्टी के दीये, रंगीन रंगोली पाउडर, और बिजली की बत्तियां खरीदना शुरू कर देते हैं। क्या है मान्यता: ऐसा माना जाता है कि तिहार (दीपावली) की उत्पत्ति मृत्यु के देवता यम और बहन यमुना की कहानी बताती है। हिदू पौराणिक कथाओं में मृत्यु के देवता यम, उनकी मृत्यु के बाद न्याय करते हैं। जब श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास बिताकर अयोध्या लौटे उसी दिन दीपावली मनाया गया। यम यमी से दीपावली के दो दिन पहले मिलने पहुंचे। आने और जाने के क्रम में उन्हें पांच दिन ़का समय लगा। इन पांच दिनों में दूत के रूप में कौआ, गाय शामिल रहे। गोवर्धन पर्वत के नीचे लोगों ने जान बचाई। यमी के घर में यम ़का स्नान हुआ। उनके मस्तक पर टीका लगाया गया। इसी को लेकर नेपाल में पांच दिवसीय दीपावली का पर्व मनाया जाता है। होती है पांच अलग-अलग देवताओं की पूजा: नेपाल में पांच दिनों के उत्सव में शांति और समृद्धि को बढ़ाने के लिए पांच अलग-अलग देवताओं की पूजा शामिल है। जिसमें काग तिहार, कुकुर तिहार, गाय तिहार (आदमी भी), तिहार पर्वत तथा भाई टीका मुख्य है। इस प्रकार होती है पूजा--- काग(कौवा) तिहार: दीपावली (तिहार) के पहले दिन कौआ की पूजा करने की प्रथा है, जिसे यम का दूत माना जाता है। लोग छतों पर मिठाई या व्यंजन फैलाते हैं, और वे जमीन पर चावल भी छिड़कते हैं। वे कौवे को इस विश्वास के साथ खिलाते हैं कि कौवे उनके परिवार में किसी भी दुर्भाग्य को रोकेंगे और उन्हें बुराई से बचाएंगे। कुकुर(कुत्ते) तिहार: दूसरे दिन कुत्ते की पूजा की जाती है। कुत्तों को स्वर्गीय द्वार का संरक्षक माना जाता है। उनके प्रेम, भक्ति और लोगों की रक्षा करने की इच्छा के लिए उनकी पूजा की जाती है। गाय(आदमी भी) तिहार: गाय या आदमी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। गाय को स्नान कराके हार पहनाया जाता है। वहीं शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और पूरे घर में तेल के दीपक जलाकर उनका अभिवादन करते हैं। परिवार के छोटे सदस्य अपने माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त करते है।

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    तिहार पर्वत(गोवर्धन पर्वत और स्वयं की पूजा): चौथे दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं। इसके लिए वे गोबर से एक प्रकार का पहाड़ बनाते हैं। यह इंद्र के ऊपर भगवान कृष्ण की जीत का प्रतीक है। इस दिन अन्नकूट नामक भोजन के साथ कृष्ण को प्रसन्न करने की प्रथा है। वहीं आत्मा को शुद्ध करने के उद्देश्य से स्वयं की पूजा भी करते हैं। भाई टीका: नेपाल में भाई टीका ़का बहुत बड़ा महात्म है। इस दिन बहनो द्वारा भाइयों को बुराई से बचाने तथा लंबी आयु के लिए विभिन्न समारोह और अनुष्ठान किए जाते हैं। बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाती है। उनके साथ उपहारों का आदान-प्रदान भी करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यम और यमी को भी याद किया जाता है।