दीये की बिक्री से रोशन होगा कुम्हारों का घर
कमर आलम संसू. अररिया पिछले कई वर्षो से मिट्टी से विभिन्न प्रकार के सामान को बनाने वाले कु ...और पढ़ें

कमर आलम, संसू., अररिया: पिछले कई वर्षो से मिट्टी से विभिन्न प्रकार के सामान को बनाने वाले कुम्हार जाति के लोग मंदी के दौर से गुजर रहे थे । इनलोगों का पुश्तैनी और परंपपरागत कारोबार एक तरह से लगभग बंद हो चुका था। लेकिन लंबे समय तक मंदी को लेकर चितित कुम्हार जाति के लोग जिनका पूरा कारोबार मिट्टी पर ही आधारित था आज उनके मुरझाए चेहरे पर सुकून और मुस्कुराहट की लकीरें स्पष्ट दिख रही है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध और चाइनीज सामान का बहिष्कार का असर इनके रोजगार पर दिखने लगा है । इस बार के दीपावली को लेकर मिट्टी के ढिबरी की मांग भी बढ़ गई। कुम्हारों को उम्मीद जगी है कि इसबार की बिक्री बेहतर होने उनके घर भी रोशन होगा और वे भी बच्चों के लिए मिठाई खरीद पाएंगे। लोग अभी से ही ढिबरी व दीये का ऑर्डर देने लगे हैं। पिछले कुछ सालों से चायनीज सामानों के बहिष्कार कररने का ऑडियो व वीडियो वायरल का असर अब दिखने लगा है। ।यही वजह है कि कुम्हार जाति के वैसे लोग जो इसे रोजगार के रूप मे करते है उनमें अपने रोजगार को लेकर उम्मीद जगी है। अररिया के गाछी टोला वार्ड न चौबीस के रहने वाले कुम्हार जाति के कुंदन पंडित ,चंदन पंडित और खुशी लाल पंडित ने बताया की हमलोगों के पूर्वज काफी लम्बे समय से मिट्टी के सामान बनाकर अपना रोजी रोटी चलाते आ रहे है ।बीच के समय मे प्लास्टिक के आ जाने और उसके धड़ल्ले से हो रहे प्रयोग से हमलोगों का पुश्तैनी धंधा बिल्कुल बंद हो गया था । साथ ही हमलोग घरों के छत लिए खपड़ा बनाते है । लेकिन टिन के आ जाने से ये काम भी लगभग बंद हो गया । जिस कारण कुम्हार जाति के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई । लेकिन प्लास्टिक के प्रतिन्बंध के बाद अब मिट्टी के बने दीये की मांग के साथ ,कुल्लड़ ,चुकिया ,मिट्टी की मूरत और खिलौने की मांग बढ़ने लगी है । कुंदन पंडित ने बताया की पर्यावरण की रक्षा के लिए भी प्लास्टिक की जगह मिट्टी के बने सामानों का प्रयोग जरुरी है ।गाछी टोला मे बसे एक दर्•ान परिवार जो अंगुली के इशारे पर मिट्टी को विभिन्न आकृति देते हैं आज वो लोग अपने भविष्य को लेकर काफी उत्साहित दिख रहे हैं ।अब तो बड़े बड़े होटलों मे भी लोग मिट्टी के कुल्लड़ मे चाय पीना ,आइस्क्रीम खाना और अन्य खाद्य सामग्री का इस्तेमाल करते हैं ।यही वजह है की अब कुम्हार जाति का परंपरागत कारोबार फिर से पहले की तरह बेहतर होने को ओर अग्रसर होने जा रहा है। कुंदन ने बताया दीपावली के समय हमलोगों को चांदनी चौक पर दीया और ढिबरी बेचने के लिए जगह नही दिया जाता है । उन्होंने कहा एक ओर सरकार इसे बढ़ावा देना चाहती है वहीं दूसरी ओर प्रशासन का अपेक्षित सहयोग नही मिल पाता है।

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