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    Independence day Special: आजादी के कई सालों तक भारत के पास नहीं थी खुद की कार, अब नंबर वन बनने की तैयारी

    By Atul YadavEdited By: Atul Yadav
    Updated: Tue, 15 Aug 2023 11:50 AM (IST)

    इस समय भारत का ऑटो बाजार दुनिया भर में तीसरे नंबर पर है। जापान को पीछे छोड़ने के बाद इंडिया ने तीसरे पॉजिशन पर कब्जा जमाया है। इस समय पहले नंबर पर चीन है और दूसरे नंबर पर अमेरिका ने कब्जा जमाया हुआ है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारतीय ऑटो सेक्टर को कोई गिनता भी नहीं था। आइये भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर की जर्नी के बारे में जानें

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    आजादी के बाद वर्तमान में कहां खड़ा है भारत का ऑटो सेक्टर?

    नई दिल्ली, अतुल यादव। वर्तमान में देश के ऑटोमोबाइल उद्योग का आकार ₹7.5 लाख करोड़ है। इंडस्ट्री ने अब तक 4.5 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं, और यह केंद्र और राज्य सरकारों को अधिकतम वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान भी करता है। ऑटो सेक्टर भारत का इतना कमजोर था कि साल 1957 तक भारत ने एक भी कार का प्रोडक्शन नहीं किया था। लेकिन अब आलम ये है कि साल 2021-22 में देश में 22.93 करोड़ वाहनों का उत्पादन हुआ इनमें 1.77 करोड़ दोपहिया हैं। इसमें करीब 5700 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई। आइये जानते हैं आजादी से अब तक ऑटो सेक्टर की कैसी रही जर्नी।

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    आजादी के पहले ही इन कंपनियों ने रखा कदम

    1940 के दशक के दौरान, देश की आजादी के समय ही, प्रमुख भारतीय ऑटोमोबाइल खिलाड़ियों ने इस क्षेत्र में प्रवेश करना शुरू कर दिया था। 1942 और 1948 के बीच, प्रमुख ऑटो कंपनियां हिंदुस्तान मोटर्स, महिंद्रा, स्टैंडर्ड, प्रीमियर और टाटा मोटर्स भारत में स्थापित हुईं। जैसे ही भारत ने 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की, देश ने प्रगति के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए खुद को तैयार किया।

    1960 SIAM की हुई स्थापना

    1960 में, भारत में ऑटोमोबाइल के लिए सतत विकास का एक इकोसिस्टम बनाने की दृष्टि से सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) की स्थापना की गई थी। इसकी स्थापना के दौरान, वार्षिक यात्री वाहन की बिक्री केवल 24,207 थी, जो वर्तमान से अगर कंपेयर करें तो कई सौ गुना अधिक है।

    1966 में ARAI की हुई स्थापना

    इसी तरह, 1966 में, देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) की स्थापना की गई थी। कंपनी जब भी अपने गाड़ी की माइलेज की दावा करती है, वो ARAI सर्टिफाइड होता है।

    1980 में केवल 46,633 गाड़ियों की हुई थी बिक्री

    1980 में, भारत में केवल 46,633 वाहन बेचे गए थे। यह संख्या 1985 में पहली बार 100,000 इकाइयों तक पहुंची और फिर 1989 में तेजी से दोगुनी होकर 200,000 हो गई।

    1983 में मारुति की हुई एंट्री

    1983 में भारत सरकार ने एक साझेदारी बनाई, जिसने भारत के ऑटो सेगमेंट की दिशा को परिभाषित किया और पूरे देश को पहियों पर ले गया। मारुति उद्योग लिमिटेड को 21वीं सदी में मारुति सुजुकी के नाम से जाना जाता है। उसका गठन जापान के ऑटोमोटिव पावरहाउस सुजुकी के साथ एक संयुक्त उद्यम के रूप में किया गया था, जिसके पास कंपनी की 74% हिस्सेदारी थी।

    फ्यूचरिस्टिक गाड़ियों की ओर तेजी से बढ़ता कदम

    1990 के बाद से ऑटो सेक्टर इतने तेजी से ग्रो किया कि फिर बाद में उसने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। आजादी के समय जहां भारतीय ऑटो इंडस्ट्री का कहीं नाम नहीं था आज वो प्रोडक्शन के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। टेस्ला जैसी कंपनियां भारत में प्रवेश करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं, जिसे हाल ही में ग्रीन सिग्नल मिला है। मैनुअल गियरबॉक्स से शुरू हुआ ये सेक्टर आज भारत में एडवांस गाड़ियां बनाती हैं। आने वाले समय में भारत का अपना खुद का क्रैश टेस्टिंग संस्थान भारत एनकैप होगा, जो भारतीय गाड़ियों को सेफ्टी रेटिंग देंगी।

    2022-23 घरेलू बिक्री

    सियाम के रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में कुल यात्री वाहन बिक्री 30,69,523 से बढ़कर 38,90,114 इकाई हो गई। पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में यात्री कारों की बिक्री भी 14,67,039 से बढ़कर 17,47,376, यूटिलिटी वाहनों की 14,89,219 से 20,03,718 और वैन की 1,13,265 से बढ़कर 1,39,020 इकाई हो गई।

    2028 तक पहले स्थान पर होगा भारत

    केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जून में दावा किया था कि पांच साल में भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन जाएगा। इस समय भारत का ऑटो बाजार दुनिया भर में तीसरे नंबर पर है। जापान को पीछे छोड़ने के बाद इंडिया ने तीसरे पॉजिशन पर कब्जा जमाया है। इस समय पहले नंबर पर चीन है और दूसरे नंबर पर अमेरिका ने कब्जा जमाया हुआ है।

    वर्तमान में कहां खड़ा है भारत का ऑटो सेक्टर?

    भारत की ऑटोमेटिव इंडस्ट्री में कामयाबी की पटकथा संघर्षों से भरी, लेकिन प्रेरणादायक है। इसका अंदाजा आप प्रोडक्शन के आंकड़े को देखकर खुद लगा सकते हैं। दोपहिया उत्पादन में भारत पहले और कार उत्पादन में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। कारों की बिक्री के मामले में भारत चौथा बड़ा देश है। यही नहीं, भारत दुनिया के सौ से अधिक देशों को कार निर्यात भी कर रहा है।