Flex Fuel किसे कहते हैं? आसान भाषा में जानें गाड़ियों में कैसे करेगी काम
फ्लेक्स-फ्यूल वाहन के इंजन को इस तरीके से तैयार किया जाता है कि यह पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से चल सके जिसकी मात्रा 100 प्रतिशत तक होती है। हाइब्रिड तकनीक वाले इंजन को शक्ति प्रदान करने के लिए बैटरी का उपयोग भी कर सकते हैं। इस तरह की पहल से कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जा सकता है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि वे 29 अगस्त को Toyota Innova के 100 प्रतिशत इथेनॉल-ईंधन वाले वेरिएंट का अनावरण करेंगे। जो फ्लेक्स फ्यूल से चलेगी। बहुत से लोगों को फ्लेक्स फ्यूल के बारे में पता नहीं है। इसलिए उनको इस ऑर्टिकल के माध्यम से फ्लेक्स फ्यूल और उससे होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे।
Flex Fuel किसे कहते हैं
वर्तमान में फ्लेक्स-फ्यूल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह एक आंतरिक दहन इंधन है जो गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के साथ मिलकर तैयार किया जाता है। इस तरह के इंधन से पेट्रोल का इस्तेमाल कम होगा और कोस्ट कटिंग में मदद मिलेगी। वहीं, फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली कारें बिना किसी दिक्कत के अपने मानक फ्यूल के अलावा दूसरे ईंधन से भी चल सकती हैं।
Flex Fuel इंजन कैसा होता है?
फ्लेक्स-फ्यूल वाहन के इंजन को इस तरीके से तैयार किया जाता है कि यह पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से चल सके, जिसकी मात्रा 100 प्रतिशत तक होती है। हाइब्रिड तकनीक वाले इंजन को शक्ति प्रदान करने के लिए बैटरी का उपयोग भी कर सकते हैं। इस तरह की पहल से कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जा सकता है। नई टोयोटा कोरोला एल्टिस फ्लेक्सी-फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (FFV-SHEV) 1.8-लीटर इथेनॉल-रेडी पेट्रोल-हाइब्रिड इंजन द्वारा चलती है।
Flex Fuel के फायदे
डीजल-पेट्रोल की तुलना में आने वाले समय में फ्लेक्स फ्यूल सस्ती पड़ेगी। फ्लेक्स-फ्यूल वाहन के चलन से सबसे बड़ा फायदा पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम होगी जिससे देश की अर्थव्यवस्था को और संतुलन मिलेगा। फ्लेक्स-फ्यूल वाहन के उपयोग से पेट्रोल और डीजल के वाहनों में कमी आयेगी जिसका सीधा फायदा हमारें पर्यावरण को होगा।
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