Hydrogen Car: हाइड्रोजन से चलने वाली गाडियों के फायदे और नुकसान; नितिन गडकरी भी करते हैं सवारी
हाइड्रोन इंजन से चलने वाली गाड़ियों की माइलेज कॉस्ट ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में काफी कम आएगी इसके साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी ये काफी लाभकारी साबित होगा। हाइड्रोजन कार को प्रमोट करने के लिए नितिन गडकरी ने खुद हाईड्रोजन कार लिया है जिसका नाम टोयोटा मिराई है। इस गाड़ी को साल के शुरूआत में पेश किया गया था।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इस समय इंडियन मार्केट में आईसीई इंजन से चलने वाली गाड़ियों के साथ-साथ सीएनजी, ईवी , हाइब्रिड कारों का ऑप्शन मिलता है। वहीं हाइड्रोजन सेल से चलने वाली भविष्य में चलने वाले गाड़ियों को नितिन गडकरी भविष्य की कार बताते हैं। इसे में लोगों के मन में हाइड्रोजन कार को लेकर कई सवाल उठते हैं। उन्हीं सवालों का जवाब आपको इस खबर के माध्यम से देने जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बयान
नितिन गडकरी हाइड्रोजन को भारत का फ्यूचर बताते हैं, उनका कहना है कि हाइड्रोन इंजन से चलने वाली गाड़ियों की माइलेज कॉस्ट ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में काफी कम आएगी, इसके साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी ये काफी लाभकारी साबित होगा। हाइड्रोजन कार को प्रमोट करने के लिए नितिन गडकरी ने खुद हाईड्रोजन कार लिया है, जिसका नाम टोयोटा मिराई है। इस गाड़ी को साल के शुरूआत में पेश किया गया था। आइये जानते हैं टोयोटा मिराई ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में कितनी अधिक है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी क्या है?
हाइड्रोजन कार की बात करें तो इसको दौड़ाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी चाहिए होती है। इसमें लगे हाइड्रोजन फ्यूल सेल से इलेक्ट्रिक जनरेट होती है। ये फ्यूल सेल वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और इसके ईंधन टैंक में भरे हाइड्रोजन के बीच केमिकल रिएक्शन कराकर इलेक्ट्रिक पैदा करते हैं। केमिकल रिएक्शन से इन दोनों गैस के मिलने से पानी H2O और इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है। इसी इलेक्ट्रिसिटी से कार चलती है।
रनिंग कॉस्ट में कितनी बचत
अभी तक हाइड्रोजन कार को आम आदमी के लिए नहीं लाया गया है। हाइड्रोजन सेल को लेकर इंफ्राट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। लेकिन इतना तय है कि हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों की डेली रनिंग कॉस्ट ईवी समेत अन्य व्हील्स से काफी कम होगी।
हाइड्रोजन कार के प्रति बढ़ रही दिलचस्पी
पिछले कुछ समय से दुनिया की बड़ी ऑयल और गैस कंपनियों की दिलचस्पी ग्रीन हाइड्रोजन में बढ़ी है। हालांकि, हर चीज के लिए इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। ऐसे में कुछ इंडस्ट्रियल प्रोसेस और हेवी ट्रांसपोर्टेशन के लिए गैस का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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