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    क्या होता है BS-3, BS-4, BS-6? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में किन गाड़ियों की एंट्री पर लगाया बैन

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 08:34 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में BS-3 और उससे पुरानी गाड़ियों पर बैन लगा दिया है। यह फैसला CAQM के अनुरोध पर लिया गया है। अब केवल BS-4 और उससे नई गा ...और पढ़ें

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    दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट का आदेश: BS-3 गाड़ियां बैन

    ऑटो डेस्क, नई दिल्‍ली। दिल्ली की हवा एक बार फिर से गंभीर स्थिति में बनी हुई है। ठंड के साथ बढ़ते प्रदूषण ने हालात ऐसे कर दिए हैं कि अदालत से लेकर सरकार तक सख्त फैसले लेने को मजबूर है। इसी कड़ी में BS-3, BS-4, BS-5 और BS-6 जैसे तकनीकी शब्द अचानक आम लोगों की बातचीत का हिस्सा बन गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि ये BS स्टेज आखिर हैं क्या और इनका आपकी गाड़ी से क्या लेना-देना है? आम लोगों के लिए ये शब्द थोड़े तकनीकी और उलझाऊ हो सकते हैं, लेकिन असल में इनका सीधा असर आपकी गाड़ी और आपकी सेहत से जुड़ा है। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में गाड़ियों को लेकर अपने पुराने आदेश में बड़ा बदलाव किया है, जिससे लाखों वाहन मालिक प्रभावित हो सकते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार और आसान शब्दों में जानते हैं।

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    BS क्या है और क्यों जरूरी है?

    BS का पूरा नाम भारत स्टेज (भारत स्टेज उत्सर्जन मानक) है। ये ऐसे नियम हैं, जो यह तय करते हैं कि आपकी गाड़ी का इंजन हवा में कितना प्रदूषण छोड़ेगा। इन मानकों की शुरुआत साल 2000 में की गई थी, ताकि वाहनों से निकलने वाले जहरीले धुएं पर लगाम लगाई जा सके। इन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत CPCB (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने लागू किया। जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ता गया, वैसे-वैसे नियम सख्त होते चले गए। इसी वजह से BS-1 से लेकर आज BS-6 तक का सफर तय किया गया।

    BS स्टेज क्यों बदले जाते रहे?

    समय के साथ गाड़ियों की संख्या बढ़ी, शहरों में ट्रैफिक बढ़ा और प्रदूषण भी तेजी से बढ़ा तब सरकार ने तय किया कि हर कुछ सालों में नियम और सख्त किए जाएंगे। इसी वजह से BS-1, BS-2, BS-3, BS-4 और अब BS-6 तक का सफर तय किया गया।

    BS-1 से BS-6 तक का सफर

    भारत में अलग-अलग समय पर अलग-अलग BS स्टेज लागू किए गए

    1. BS-1: 1 अप्रैल 2000
    2. BS-2: 2001
    3. BS-3: 2005
    4. BS-4: 2017
    5. BS-6: अप्रैल 2020 (मौजूदा स्टैंडर्ड)

    हर नए स्टेज में गाड़ियों से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य प्रदूषक गैसों की सीमा और कम कर दी गई।

    1. भारत स्टेज-I (BS-1) क्या था?

    BS-1 भारत का पहला उत्सर्जन मानक था। इसके तहत गाड़ियों को तय सीमा से ज्यादा प्रदूषण फैलाने की इजाजत नहीं थी। इस स्टेज में कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों की अधिकतम सीमा तय की गई थी। हालांकि आज के हिसाब से BS-1 काफी ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है।

    2. भारत स्टेज-II (BS-2) क्या है?

    2001 से 2010 के बीच बिकने वाली गाड़ियां BS-2 के तहत आती थीं। इस स्टेज में प्रदूषण की सीमा और कम की गई। ईंधन में सल्फर की मात्रा को सीमित किया गया। यह BS-1 से बेहतर जरूर था, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के सामने यह भी नाकाफी साबित हुआ।

    3. भारत स्टेज-III (BS-3) क्या है?

    2005 में BS-3 लागू किया गया, जो 2010 तक चला। इस स्टेज में कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (PM) पर सख्ती बढ़ाई गई। लेकिन आज की तारीख में BS-3 गाड़ियां ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली मानी जाती हैं, और यही वजह है कि इन्हें लेकर सबसे ज्यादा कार्रवाई हो रही है।

    4. भारत स्टेज-IV (BS-4) क्या है?

    BS-4 को अप्रैल 2017 में लागू किया गया। इसमें पेट्रोल और डीजल दोनों गाड़ियों के लिए प्रदूषण की सीमा काफी कम कर दी गई। BS-4 गाड़ियां BS-3 के मुकाबले कम धुआं छोड़ती हैं और पर्यावरण के लिए ज्यादा सुरक्षित मानी जाती हैं। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने BS-4 और उससे नई गाड़ियों को राहत दी है।

    5. भारत स्टेज-VI (BS-6) क्या है?

    BS-6 सबसे नया और सबसे सख्त उत्सर्जन मानक है, जिसे अप्रैल 2020 में लागू किया गया। इस स्टेज में गाड़ियों के धुएं पर सबसे ज्यादा कंट्रोल, आधुनिक इंजन टेक्नोलॉजी और कम प्रदूषण वाली गाड़ियां शामिल है। फिलहाल भारत में बनने और बिकने वाली सभी नई गाड़ियां BS-6 होती हैं।

    BS स्टेज लागू अवधि मुख्य उत्सर्जन सीमा / खास बातें
    BS-1 1 अप्रैल 2000 से
    • कार्बन मोनोऑक्साइड: 2.72 ग्राम/किमी
    • हाइड्रोकार्बन + नाइट्रोजन ऑक्साइड: 0.97 ग्राम/किमी
    BS-2 2001 – 2010
    • कार्बन मोनोऑक्साइड: 2.2 ग्राम/किमी
    • हाइड्रोकार्बन + नाइट्रोजन ऑक्साइड: 0.50 ग्राम/किमी
    • ईंधन में सल्फर 500 PPM तक सीमित
    BS-3 2005 – 2010
    • कार्बन मोनोऑक्साइड: 2.3 ग्राम/किमी
    • हाइड्रोकार्बन + नाइट्रोजन ऑक्साइड: 0.35 ग्राम/किमी
    • रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर: 0.05
    BS-4 अप्रैल 2017 – मार्च 2020

    पेट्रोल वाहन

    • कार्बन मोनोऑक्साइड: 1.0 ग्राम/किमी
    • हाइड्रोकार्बन + नाइट्रोजन ऑक्साइड: 0.18 ग्राम/किमी

    डीजल वाहन

    • कार्बन मोनोऑक्साइड: 0.50 ग्राम/किमी
    • नाइट्रस ऑक्साइड: 0.25 ग्राम/किमी
    • हाइड्रोकार्बन + नाइट्रोजन ऑक्साइड: 0.30 ग्राम/किमी
    BS-6 अप्रैल 2020 से अब तक
    • भारत का सबसे सख्त उत्सर्जन मानक
    • सभी नई गाड़ियों पर लागू
    • कम प्रदूषण और बेहतर पर्यावरण सुरक्षा

    सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश क्या है?

    बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रदूषण को लेकर अपने पुराने आदेश में बदलाव किया। यह फैसला CAQM (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) के अनुरोध पर लिया गया। नए आदेश के मुताबिक दिल्ली-NCR में सिर्फ BS-4 और उससे नई गाड़ियों को ही चलने की इजाजत होगी। BS-4 से पहले यानी BS-3 और उससे पुरानी गाड़ियों की एंट्री बैन कर दी गई है। ऐसी गाड़ियों को सीज किया जा सकता है।

    पहले क्या राहत मिली थी और अब क्या बदला?

    जुलाई में गाड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू हुई। अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को अस्थायी राहत दी थी। अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि BS-3 गाड़ियों को यह छूट नहीं मिलेगी।

    NCR में कितनी गाड़ियां होंगी प्रभावित?

    आंकड़े बताते हैं कि असर काफी बड़ा होने वाला है।

    1. गुरुग्राम: 1.5 लाख से ज्यादा BS-3 गाड़ियां
    2. नोएडा: 1.40 लाख से ज्यादा BS-3 गाड़ियां
    3. गाजियाबाद: 3.70 लाख से ज्यादा BS-3 गाड़ियां

    इन सभी गाड़ियों की दिल्ली में एंट्री पर रोक रहेगी।

    दिल्ली-NCR में प्रदूषण की मौजूदा हालत

    हालांकि तेज सर्द हवाओं की वजह से प्रदूषण में थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन हालात अभी भी गंभीर हैं। CPCB, DPCC और UPPCB के आंकड़ों के अनुसार कई इलाकों में AQI 300 से ऊपर पहुंच गया है। यह स्तर बेहद खराब श्रेणी में आता है।

    आम लोगों के लिए इसका क्या मतलब है?

    अगर आपकी गाड़ी BS-3 है या उससे पुरानी है तो दिल्ली में उसे चलाना अब मुश्किल हो सकता है। यह फैसला भले ही सख्त लगे, लेकिन इसका मकसद लंबे समय में साफ हवा और बेहतर सेहत है। दिल्ली की हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए यह फैसला कड़वा जरूर है, लेकिन जरूरी भी। BS-3 जैसी पुरानी तकनीक वाली गाड़ियों पर रोक लगाना तुरंत राहत नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक जरूरी कदम है।