न हों कन्फ्यूज! कुल 4 प्रकार की होती हैं हाइब्रिड कारें, जानें माइलेज बढ़ाने में कितना योगदान?
हाइब्रिड कारों में डीजल या फिर पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल होता है। इसलिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ईंधन की खपत अधिक होती है। इससे माइलेज पर सीधा प्रभाव तो ...और पढ़ें

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इस समय इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइब्रिड कारों के प्रति उत्साह और भरोसा दोनों तेजी से बढ़ रहा है। एक तरफ जहां ईवी कारों का चलन तेजी से बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर हाइब्रिड कारें भी कंपनियां तेजी से लॉन्च कर रही है। इसका ताजा उदाहरण आप मारुति इनविक्टो से ले सकते हैं, जिसको मारुति ने हाल ही में लॉन्च किया है। लोगों को लगता है कि हाइब्रिड कारें सिर्फ एक प्रकार की होती हैं, इसलिए उन लोगों का कन्फ्यूजन दूर करने के लिए ये ऑर्टिकल लेकर आए हैं।
कुल 4 प्रकार की होती हैं हाइब्रिड कारें
Plug-In Hybrids:प्लग-इन हाइब्रिड से लैस गाड़ियों को PHEV भी कहा जाता है। हालांकि, इन गाड़ियों का चलन देश में उतना नहीं है। प्लग इन हाइब्रिड कारों में भी फ्यूज इंजन और बैटरी पैक दोनों लगा हुआ है। एक बार बैटरी खत्म होने के बाद यह गाड़ी फ्यूल पर चलने लगती है।
माइलेज बढ़ाने में कितनी मददगार
Mild Hybrids
माइल्ड हाइब्रिड कार में एक इलेक्ट्रिक मोटर और एक बैटरी ऑफर की जाती है। हाइब्रिड सिस्टम में ये टेक्नालॉजी सबसे हल्की पॉवर देने के लिए जानी जाती है। इस कार में भी फ्यूल इंजन होता है और ये इंजन इलेक्ट्रिक मोटर के सपोर्ट के साथ काम करता है। इससे कार का माइलेज बढ़ता जरूर है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं।
Strong Hybrid
भारत में सबसे अधिक हाइब्रिड कारें बिकती हैं। स्ट्रांग हाइब्रिड कार में फ्यूल इंजन के साथ एक पॉवरफुल बैटरी पैक लगा हुआ होता है, जिससे गाड़ी की माइलेज बढ़ जाती है। क्योंकि, स्ट्रांग हाइब्रिड कारें लगभग 30-40 की स्पीड में बैटरी से चलती हैं और एक तय स्पीड के बात अपने आप फ्यूल पर चलने लगती हैं।
Electric Vehicles with Range Extender Hybrids
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) में गैसोलीन रेंज एक्सटेंडर कार की बैटरी लगभग समाप्त होने के बाद ही चालू होता है। यह एक इलेक्ट्रिक जनरेटर की तरह काम करता है।
माइलेज बढ़ाने में कितना योगदान?
चूंकि हाइब्रिड कारों में डीजल या फिर पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल होता है। इसलिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ईंधन की खपत अधिक होती है। इससे माइलेज पर सीधा प्रभाव तो पड़ता ही साथ ही साथ जेब पर भी भारी असर रहता है। ऐसे में हाइब्रिड कारें लो स्पीड पर बैटरी से चलती हैं, जिससे ईंधन की खपत नहीं होती है। वहीं बैटरी भी गाड़ी के चलने से अपने आप चार्ज हो जाती हैं।

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