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    अगर ट्रैफिक जाम 12 घंटे तर रहे, तो क्यों दें टोल? टोल वसूली पर NHAI की याचिका पर SC का फैसला सुरक्षित

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 08:57 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एनएचएआई से पूछा कि 65 किलोमीटर के राजमार्ग को तय करने में 12 घंटे लगने पर 150 रुपये का टोल क्यों लिया जा रहा है। कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के टोल निलंबन आदेश के खिलाफ एनएचएआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने सड़क की खराब स्थिति और यातायात जाम पर चिंता जताई।

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    12 घंटे के सफर पर सुप्रीम कोर्ट ने NHAI से पूछा, क्यों देना होगा टोल?

    नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से पूछा कि अगर 65 किलोमीटर लंबे राजमार्ग को तय करने में 12 घंटे लगते हैं, तो किसी यात्री को 150 रुपये के टोल का भुगतान करने के लिए क्यों कहा जाए? प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने यह टिप्पणी NHAI और टोल वसूलने का अधिकार रखने वाली कंपनी गुरुवायूर इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में त्रिचूर (केरल) के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर टोल संग्रह को निलंबित करने के केरल हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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    मामले पर CJI ने क्या कहा?

    सीजेआइ ने कहा, अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में 12 घंटे लगते हैं, तो उसे 150 रुपये क्यों देने चाहिए? जिस सड़क पर एक घंटे का समय लगने की उम्मीद है, उसमें 11 घंटे और लगते हैं और यात्रियों को टोल भी देना पड़ता है। सुनवाई के दौरान पीठ को सप्ताहांत में इस मार्ग पर लगभग 12 घंटे तक यातायात जाम रहने के बारे में बताया गया। हाई कोर्ट ने छह अगस्त को राष्ट्रीय राजमार्ग 544 के एडापल्ली-मन्नुथी खंड की खराब स्थिति और निर्माण कार्यों के कारण उत्पन्न गंभीर यातायात जाम के आधार पर टोल निलंबन का आदेश दिया था।

    NHAI ने कोर्ट में दी यह दलील

    NHAI की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और गुरुवायूर इन्फ्रास्ट्रक्चर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि हम हर पहलू पर विचार करेंगे। जस्टिस चंद्रन ने कहा कि जिस दुर्घटना के कारण यह सड़क अवरुद्ध हुई, वह कोई दैवीय कृत्य नहीं था, जैसा कि मेहता ने तर्क दिया। एक ट्रक के गड्ढे में गिर जाने के कारण यह परिस्थिति उत्पन्न हुई थी। मेहता ने कहा कि जहां अंडरपास का निर्माण कार्य चल रहा था, वहां NHAI ने सर्विस रोड उपलब्ध कराई थी। लेकिन, उन्होंने स्वीकार किया कि मानसून की वर्षा ने निर्माण कार्य की गति धीमी कर दी है।

    ठेकेदारों को दोषी ठहराया

    उन्होंने एक उदाहरण भी दिया, जिसमें टोल को निलंबित करने के बजाय आनुपातिक रूप से कम करने का सुझाव दिया गया था। हालांकि, जस्टिस चंद्रन ने टिप्पणी की कि 12 घंटे की यह कठिन परीक्षा किसी भी आनुपातिक समायोजन से कहीं अधिक थी। वहीं, गुरुवायूर इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि उसने 60 किलोमीटर का क्षेत्र अपने नियंत्रण में रखा है। उसने सर्विस रोड की रुकावटों के लिए पीएसजी इंजीनियरिंग सहित तीसरे पक्ष के ठेकेदारों को दोषी ठहराया।