Royal Enfield ने 350cc Bikes से हटाया गियर पोजिशन इंडीकेटर, जानिए इसके पीछे की वजह
Royal Enfield ने 350cc मोटरसाइकिलों से गियर इंडिकेटर हटाया, वजह है रेयर अर्थ मैटेरियल की कमी। डीलरों को सूचना दी गई है, ग्राहकों को यह अस्थायी व्यवस्था बताई जाएगी। 350cc मॉडल की बिक्री पर असर पड़ेगा, क्योंकि ये कुल बिक्री का 85% हैं। कंपनी नेचुरल इंडिकेटर का उपयोग कर रही है। सरकार और ऑटो इंडस्ट्री आपूर्ति सुधारने के लिए काम कर रही हैं।

Royal Enfield ने गियर इंडिकेटर हटाया: क्या है वजह?
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। Royal Enfield ने अपनी 350cc मोटरसाइकिलों से अस्थायी तौर पर गियर पोजिशन इंडीकेटर हटा दिया है। कंपनी ने बताया कि यह कदम रेयर अर्थ मैटेरियल की कमी के कारण उठाया गया है, जो इन सेंसरों के निर्माण में इस्तेमाल होते हैं। फिलहाल, इन मोटरसाइकिल में पुराना नेचुरल इंडीकेटर सेटअप लगाया जा रहा है। आइए विस्तार में जानते हैं कि मामला क्या है।
क्यों हटाया गया गियर पोजिशन इंडीकेटर?
रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल केवल 350cc Royal Enfield बाइक्स को बिना गियर पोजिशन इंडीकेटर के शिप किया जा रहा है। कंपनी के डीलरों को इस बारे में जानकारी दी जा चुकी है। खरीदारों को बताया जाएगा कि यह अस्थायी व्यवस्था है और जैसे ही रेयर अर्थ आधारित कंपोनेंट्स उपलब्ध होंगे, गियर इंडीकेटर को फिर से इंस्टॉल किया जाएगा। Royal Enfield की 350cc मोटरसाइकिल कंपनी की कुल मासिक बिक्री का लगभग 85% हिस्सा हैं। इसलिए, इस कंपोनेंट की कमी का असर सबसे पहले इन्हीं मॉडलों पर पड़ा है। फिलहाल 450cc और 650cc रेंज पर इसका असर नहीं पड़ा है।
क्या है गियर पोजिशन सेंसर की कमी की असली वजह?
- गियर पोजिशन सेंसर में आमतौर पर मैग्नेटिक या हॉल-इफेक्ट सेंसर का इस्तेमाल होता है, जो शिफ्ट ड्रम की स्थिति के आधार पर गियर बताता है। इन सेंसरों में रेयर अर्थ मैग्नेट जैसे neodymium (NdFeB) का उपयोग किया जाता है। इन मैग्नेट्स या उनसे जुड़े इलेक्ट्रॉनिक चिप्स की कमी के चलते यह समस्या उत्पन्न हुई है।
- इसी स्थिति से निपटने के लिए Royal Enfield ने नेचुरल इंडीकेटर को अस्थायी विकल्प के रूप में अपनाया है। यह सिस्टम ज्यादा पारंपरिक है और रेयर अर्थ मैटेरियर की जरूरत नहीं होती। इसमें एक साधारण प्लंजर-टाइप स्विच का उपयोग किया जाता है, जो गियर न्यूट्रल में आने पर डैशबोर्ड पर लाइट जलाता है।
रेयर अर्थ सप्लाई में सुधार
सरकार और ऑटो इंडस्ट्री दोनों इस कमी को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं। चीन के साथ सप्लाई सुधारने पर बातचीत चल रही है। वहीं, PLI स्कीम और आयात करों में कटौती जैसे कदमों से स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। दूसरे देशों जैसे अमेरिका, जापान और अर्जेंटीना के साथ भी साझेदारी की जा रही है ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके। पहले भी Bajaj, Ather Energy और TVS Motor जैसी कंपनियों को रेयर अर्थ कंपोनेंट्स की कमी का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
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