Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ग्राहकों को चार्जर के पैसे वापस करेगी ओला इलेक्ट्रिक, भारी उद्योग मंत्रालय की सख्ती पर कंपनी ने लिया फैसला

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Mon, 01 May 2023 11:19 PM (IST)

    मंत्रालय के मुताबिक इलेक्टि्रक वाहन निर्माता कंपनियां फास्टर एडाप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग आफ हाइब्रिड एंड इलेक्टि्रक व्हीकल्स (फेम) के तहत सब्सिडी ले रही हैं और सब्सिडी नियम के तहत ये कंपनियां चार्जर का भुगतान ग्राहकों से नहीं ले सकती हैं।

    Hero Image
    सब्सिडी नियम के तहत चार्जर का पैसा नहीं ले सकती कंपनी

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ओला स्कूटर खरीदने वालों को कंपनी चार्जर का भुगतान वापस करेगी। ओला कंपनी ने ग्राहकों से स्कूटर चार्जर के नाम पर 9000-19,000 रुपये लिए थे, जिसे अब कंपनी वापस करने जा रही है। भारी उद्योग मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 से लेकर इस साल 30 मार्च तक ओला के एस1प्रो माडल स्कूटर खरीदने वालों को कंपनी चार्जर के नाम पर लिए गए भुगतान को वापस करेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सब्सिडी नियम के तहत चार्जर का पैसा नहीं ले सकती कंपनी

    मंत्रालय के मुताबिक इलेक्टि्रक वाहन निर्माता कंपनियां फास्टर एडाप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग आफ हाइब्रिड एंड इलेक्टि्रक व्हीकल्स (फेम) के तहत सब्सिडी ले रही हैं और सब्सिडी नियम के तहत ये कंपनियां चार्जर का भुगतान ग्राहकों से नहीं ले सकती हैं। चार्जर के नाम पर उपभोक्ताओं से अधिक कीमत वसूली जा रही थी। इस मामले में मंत्रालय के पास शिकायत आई थी और जांच में शिकायत सही पाई जाने पर मंत्रालय ने उपभोक्ता हित में ओला के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया।

    दोनों ही कंपनियों को इस मामले में नोटिस भेजा गया

    मंत्रालय की सख्ती देख ओला स्कूटर ने चार्जर के नाम पर लिए गए 130 करोड़ रुपये अपने ग्राहकों को वापस करने की सूचना मंत्रालय को दी है। वसूली के लिए हीरो इलेक्टि्रक और ओकीनावा को भेजा गया नोटिस मंत्रालय फेम नियमों के उल्लंघन पर हीरो इलेक्टि्रक और ओकीनावा आटोटेक से क्रमश: 133 करोड़ व 116 करोड़ की वसूली करेगा।

    दोनों ही कंपनियों को इस मामले में नोटिस भेज दिया गया है। दोनों ही कंपनियों ने नियम विरुद्ध अपने वाहनों में आयातित कलपुर्जों का भारी मात्रा में उपयोग किया जबकि उन कलपुर्जों को भारत में भी बनाया जा सकता था। आयातित कलपुर्जों के नाम पर इन कंपनियों ने सरकार से फेम स्कीम के तहत सब्सिडी ली थी।