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    पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए रिसर्च की जरूरत: नितिन गडकरी

    Updated: Wed, 21 Feb 2024 07:00 PM (IST)

    सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि अनुसंधान कार्यों में सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए टिकाऊ जीवन बनाने की भी बड़ी क्षमता है। उन्होने कहा कि हमें जिस अनुसंधान की आवश्यकता है वह हमारे आयात को कम करने के लिए है और वह अनुसंधान जहां हम पारिस्थितिकी और पर्यावरण की समस्याओं को कम करने के लिए कचरे का उपयोग कर सकते हैं।

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    Nitin Gadkari ने पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए महत्वपूर्ण बात कही है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) पर निर्भरता कम करने के तरीकों पर शोध कार्य करने की जरूरत है, क्योंकि इससे ईकोलॉजिकल और पर्यावरणीय मुद्दों को कम करने में भी मदद मिलेगी।

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    सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि अनुसंधान कार्यों में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए टिकाऊ जीवन बनाने की भी बड़ी क्षमता है। उन्होने कहा कि हमें जिस अनुसंधान की आवश्यकता है वह हमारे आयात को कम करने के लिए है और वह अनुसंधान जहां हम पारिस्थितिकी और पर्यावरण की समस्याओं को कम करने के लिए कचरे का उपयोग कर सकते हैं। उन्होने एजिस ग्राहम बेल अवार्ड्स के 14वें संस्करण को संबोधित करते हुए ये कहा है।

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    उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके एक दिन भारत मजबूत स्थिति में होगा और कहा कि 5 वर्षों में एक दिन आएगा जब देश जैव-विमानन ईंधन का निर्यातक होगा। मंत्री ने कहा कि बांस, गेहूं के भूसे और चावल के भूसे से बायोमास का उपयोग करके इथेनॉल बनाया जा सकता है और इथेनॉल से जैव-विमानन ईंधन बनाया जा सकता है।

    उनके अनुसार, शोध कार्यों से स्मार्ट गांवों के विकास, जल संरक्षण और कृषि पद्धतियों के विविधीकरण में भी मदद मिलेगी।

    गडकरी ने कहा-

    मैं आपसे कृषि, ग्रामीण, आदिवासी के लिए अपने शोध को प्राथमिकता देने का अनुरोध करूंगा... इसमें बहुत बड़ी संभावना है जिसके द्वारा हम उन लोगों के लिए एक स्थायी जीवन बना सकते हैं जो सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं।

    इसके अलावा उन्होंने कार्बन डाइऑक्साइड से इथेनॉल बनाने के लिए चल रहे शोध कार्य का भी उल्लेख किया।

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