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    FAME-2 Scheme में गड़बड़ी करने वाली दोपहिया EV कंपनियों पर हो सकती है कानूनी कार्रवाई, सरकार ने चेताया

    केंद्र सरकार ने हीरो इलेक्ट्रिकि ओकिनावा आटोटेक एंपियर ईवी रिवाल्ट मोटर्स बेनिलिंग इंडिया एमो मोबिलिटी और लोहिया आटो को प्रोत्साहन राशि वापस करने को कहा है। अधिकारी के अनुसार कंपनियों को नोटिस भेजा गया है और अब तक केवल रिवाल्ट मोटर्स ने ही रकम वापस करने की पेशकश की है। अंतिम तिथि लगभग निकल चुकी है और अगले सप्ताह सरकार इस संबंध में कुछ फैसला लेगी।

    By AgencyEdited By: Rammohan MishraUpdated: Wed, 13 Sep 2023 07:45 PM (IST)
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    FAME-2 Scheme में गड़बड़ी करने वाली दोपहिया EV कंपनियों को सरकार ने चेतावनी दी है।

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। सरकार ऐसी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाश कर रही है, जो फेम-2 योजना के नियमों का अनुपालन नहीं कर रही है। केंद्र ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को तेजी से अपनाने और उनकी मैन्युफैक्चरिंग करने से जुड़ी फेम-2 योजना मानदंडों का अनुपालन नहीं करने पर प्रोत्साहन राशि का दावा करने वाली सात इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों से 469 करोड़ रुपये वापस करने को कहा है। 

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    इन कंपनियों पर लगे हैं आरोप

    केंद्र सरकार ने हीरो इलेक्ट्रिकि, ओकिनावा आटोटेक, एंपियर ईवी, रिवाल्ट मोटर्स, बेनिलिंग इंडिया, एमो मोबिलिटी और लोहिया आटो को प्रोत्साहन राशि वापस करने को कहा है। अधिकारी के अनुसार, कंपनियों को नोटिस भेजा गया है और अब तक केवल रिवाल्ट मोटर्स ने ही रकम वापस करने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि हमने उन्हें नोटिस भेजा है। अब तक, केवल रिवाल्ट ने भुगतान करने की पेशकश की है, अन्य ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

    सख्त कदम उठा सकती है सरकार

    अंतिम तिथि लगभग निकल चुकी है और अगले सप्ताह सरकार इस संबंध में कुछ फैसला लेगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। भारी उद्योग मंत्रालय की जांच से पता चला है कि इन कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन कर योजना के तहत प्रोत्साहन का लाभ उठाया है।

    योजना के नियमों के अनुसार, भारत में निर्मित कलपुर्जों का उपयोग करके इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए प्रोत्साहन की अनुमति दी गई थी, लेकिन जांच में यह पाया गया कि इन सात कंपनियों ने कथित तौर पर आयातित कलपुर्जों का उपयोग किया था।

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    क्या है मामला?

    मंत्रालय ने एक गुमनाम ईमेल प्राप्त करने के बाद जांच की थी। ई-मेल में आरोप लगाया गया था कि कई ईवी निर्माता इन इलेक्ट्रिक वाहनों के घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध मैन्युफैक्चरिंग योजना (पीएमपी) नियमों का पालन किए बिना सब्सिडी का दावा कर रहे थे।

    इसके बाद मंत्रालय ने पिछले वित्त वर्ष में सब्सिडी वितरण में देरी की। सात इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह वाहनों की खरीद पर ग्राहकों को मिली अतिरिक्त छूट उनसे ही वापस लेने की संभावना पर विचार करें।