Road Accidents: क्या होता है ब्लैक स्पॉट, किस आधार पर होता है घोषित; कहां है देश का सबसे खूनी मोड़?
Biggest Black Spot in india सरकार इस मसले को लेकर काफी गंभीर है। इसलिए कई सालों से मंत्रालय सड़क दुर्घटनाओं को कम करने राष्ट्रीय स्तर पर स्पॉट की पहचान करके उसे ठीक कर रही है। सरकार इसको ठीक करने के लिए 25000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। जब से टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री की मौत हुई है तब से ब्लैक स्पॉट चर्चा में है। अधितकर लोगों को नहीं पता है कि ब्लैक स्पॉट क्या होता है और एक्सिडेटल प्रोन इलाके को कब ब्लैक स्पॉट घोषित किया जाता है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ का एक एरिया है जहां 169 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
ब्लैक स्पॉट कब घोषित किया जाता है?
ये जानने से पहले आपको ब्लैक स्पॉट क्या होगा इसके बारे में जानना होगा। जिस जगह पर कई सड़क हादसे होते हैं उस जगह को ब्लैक स्पॉट घोषित कर दिया जाता है। इन जगहों की सड़कों को एक्सपर्ट की टीम देखेगी। ये वो जगहें हैं जहां बार-बार एक्सीडेंट्स होते हैं। किसी एक स्पॉट पर तीन साल में पांच रोड एक्सीडेंट्स हो जाएं या किसी स्पॉट पर 3 साल में 10 मौतें हो जाएं तो उसे Black Spot माना जाता है।
इन वजहों से अधिक होते हैं सड़क हादसे
राज्यों द्वारा मंत्रालय को पेश किए गए रिकॉर्ड में इन हादसों की असल वजह निकल कर आई है। सड़क हादसों का मुख्य कारण खराब डिजाइन, खराब इंजीनियरिंग, अधिक आबादी वाले इलाके, अचानक रोड क्रास करना बताया गया है। हालांकि, सरकार इस मसले को लेकर काफी गंभीर है। इसलिए, कई सालों से मंत्रालय सड़क दुर्घटनाओं को कम करने राष्ट्रीय स्तर पर स्पॉट की पहचान करके उसे ठीक कर रही है।
सरकारी आंकड़ों में सबसे खूनी ब्लैक स्पॉट है कायमपुर मोड़
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे के अनुसार के बेवसाइट के अनुसार साल 2011 में अपडेट किए गए ब्लैक स्पॉट में सबसे टॉप पर यूपी का अलीगढ़ है। अलीगढ़ के कायमपुर मोड़ में 2011 तक 169 लोगों की मौत हो चुकी है। दिलचस्प बात ये है कि यह हादसे केवल 125 के बीच हुए हैं। हालांकि, वर्तमान में वह ब्लैक स्पॉट है या नहीं है उसकी जानकारी वेबसाइट पर नहीं मिली है।
नितिन गडकरी का एक्शन प्लान
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि हर साल लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं 1.5 लाख लोगों की जान लेती हैं और इसमें 3 लाख से अधिक घायल लोग घायल हो जाते हैं। हालांकि, सरकार का टार्गेट साल 2024 के अंत तक दुर्घटनाओं और मौतों को 50 प्रतिशत तक कम करने का है। इसके लिए सरकार 25000 करोड़ रुपये निवेश कर रही है।