भारत को flex fuel की तरफ बढ़ने में लग सकता है समय, जानें क्या है असल कारण
इस तरह के इंधन से पेट्रोल का इस्तेमाल कम होगा और कोस्ट कटिंग में मदद मिलेगी। वहीं फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली कारें बिना किसी दिक्कत के अपने मानक फ्यूल के अलावा दूसरे ईंधन से भी चल सकती हैं।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में इस समय कई तरह के वैकल्पिक ईंधन की बात हो रही है, जिसमें flex fuel और बॉयो-फ्यूल जैसे वैकल्पिक ईंधन शामिल हैं। नितिन गडकरी ने हाल ही में flex fuel से चलने वाली गाड़ी का अनावरण भी किया था। हालांकि, लोगों के मन में अभी भी तरह के ईंधन से चलने वाली गाड़ियों को लेकर कई सवाल हैं। इसी मुद्दे पर मंगलवार को एक कॉन्फ्रेंस के दौरान होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया ने कहा कि भारत में इस तरह के ईंधन को लेकर पॉलिसी क्लियर नहीं है, यही वजह है कि भारत में इस तरह के ईंधन को पूरी तरह से कारगर साबित होने लंबा समय लग सकता है।
जापानी दोपहिया वाहन निर्माता ने कहा कि कंपनी सरकार के दृष्टिकोण से जुड़ी हुई है, लेकिन ईंधन आपूर्ति और कीमत से संबंधित कुछ चुनौतियों को ऑर्गेनाइज करने की जरूरत है।
ऑटो इंडस्ट्री बॉडी सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया HMSI के अध्यक्ष, सीईओ और एमडी अत्सुशी ओगाटा ने इस विषय में कहा कि बॉयो-फ्यूल के कई लाभों को प्राप्त करने के लिए, एक स्पष्ट, सुसंगत और स्थिर नीति का होना महत्वपूर्ण है। नीति प्रवर्तक जो उचित ईंधन लागत और स्थानीयकरण के लिए समर्थन प्रदान कर सकते हैं, सफल फ्लेक्स ईंधन रोड मैप कार्यान्वयन के लिए स्वामित्व की उचित लागत को बनाए रखने में मदद करेंगे।
क्या होता है flex-fuel व्हीकल?
वर्तमान में फ्लेक्स-फ्यूल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह एक आंतरिक दहन इंधन है जो गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के साथ मिलकर तैयार किया जाता है। इस तरह के इंधन से पेट्रोल का इस्तेमाल कम होगा और कोस्ट कटिंग में मदद मिलेगी। वहीं, फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली कारें बिना किसी दिक्कत के अपने मानक फ्यूल के अलावा दूसरे ईंधन से भी चल सकती हैं।
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