इस तरह से भारत में इंपोर्ट होती हैं गाड़ियां, जानिए क्या है तरीका और कितना लगता है टैक्स
यदि आप एक करोड़पति हैं जो आयात और सीमा शुल्क पर भारी मात्रा में पैसा खर्च करने में सक्षम हैं तो आप अपने लिए विदेश से आसानी से कार या मोटरसाइकिल इंपोर्ट कर सकते हैं। क्योंकि भारत में आने के बाद उन पर टैक्स लगता है।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। कई ऐसी गाड़ियां है, जो सिर्फ विदेशों में ही बनाई जाती हैं, लेकिन उनका डिमांड भारतीय बाजार में अधिक है। इसलिए उन गाड़ियों को इंपोर्ट करके देश में लाया जाता है। आइये समझते हैं भारत में कैसे इंपोर्ट होती हैं गाड़ियां।
क्या होता है CBU
सीबीयू का मतलब होता है कंप्लीट बिल्ट यूनिट। जब कोई भी नई कार या मोटरसाइकि जब भी विदेश से पूरी तरह से बनकर किसी अन्य देश में इंपोर्ट की जाती है तो उसे सीबीयू कहते हैं। हालांकि, जब भी आप कोई भी गाड़ी विदेश से इंपोर्ट करते हैं तो उसमें सरकार अच्छा खासा टेक्स लगाती है। इसलिए इंपोर्टेड गाड़ियों की कीमतें थोड़ी अधिक होती हैं।
भारतीय सड़कों पर आपने रोल्स रॉयस, बेंटले, फेरारी, लेम्बोर्गिनी, एमवी अगस्ता, डुकाटी, आदि जैसे प्रसिद्ध ब्रांडों को तो देखा ही होगा, इसमें कई ऐसे मॉडल्स हैं, जिनको भारत में सीबीयू के जरिए इंपोर्ट किया जाता है। यदि आप एक करोड़पति हैं जो आयात और सीमा शुल्क पर भारी मात्रा में पैसा खर्च करने में सक्षम हैं, तो आप अपने लिए विदेश से आसानी से कार या मोटरसाइकिल इंपोर्ट कर सकते हैं।
ऐसे वाहनों की बिक्री के आंकड़े भारत में बहुत कम हैं, हालांकि वे भारतीय बाजार में अपना भविष्य देखते हैं। जनरल मोटर्स को हाल ही में कम बिक्री के कारण भारत में अपना अस्तित्व छोड़ना पड़ा। यही कारण है कि अब देश में इनमें से कई ब्रांड नहीं मिल रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय सड़कें और अंतरराष्ट्रीय नियम भी इन कार निर्माताओं के बेहद अनुकूल नहीं हैं।
भारत में इतना लगता है इंपोर्ट टैक्स
इस समय भारत 40,000 डॉलर (लगभग 30 लाख) से अधिक कीमत वाली आयातित कारों पर 100% और उससे कम कीमत वाली कारों पर 60% टैक्स लगाता है। इसके अलावा, लक्जरी वाहनों पर 50% तक का माल और सेवा कर (GST) लगता है, और अन्य 15% पंजीकरण कर पर लगता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।