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Ratan Tata के एक सपने ने कैसे बदल दी PM नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी की किस्मत?

सिंगूर में Tata Nano के प्लांट को लेकर Mamata Banerjee ने 26 दिन तक धरना प्रदर्शन किया था जिसके बाद Narendra Modi ने Tata Motors को गुजरात में प्लांट लगाने को न्योता भेजा था

By Shridhar MishraEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 02:14 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 09:11 AM (IST)
Ratan Tata के एक सपने ने कैसे बदल दी PM नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी की किस्मत?
Ratan Tata के एक सपने ने कैसे बदल दी PM नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी की किस्मत?

नई दिल्ली, श्रीधर मिश्रा। नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) भारत की मौजूदा राजनीति में दो बड़े नाम हैं। हालांकि, लोकप्रियता और कामयाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से कहीं ज्यादा आगे निकल गए हैं। दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी TMC को सबसे ज्यादा नुकसान BJP से हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण BJP का PM Modi के नाम पर चुनाव लड़ना था। हालांकि, ममता बनर्जी के इस नुकसान के पीछे सालों पहले हुए एक घटना शामिल है, जिसने नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल को पूरे देशभर में एक नई पहचान दे दी। दरअसल एक समय था जब इन दोनों ही नेताओं का कद लगभग बराबर था, लेकिन इसके बाद कुछ मौके ऐसे आए जिनकी मदद से ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय होने लगी और नरेंद्र मोदी पूरे देशभर में। आज हम आपको उसी एक बड़े मौके के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी की पहचान को हमेशा के लिए बदल दिया।

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रतन टाटा (Ratan Tata) का ‘M’ फेक्टर

रतन टाटा (Ratan Tata) ने एक बार नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को “good M” कहा था। जबकि, ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को “bad M” कहा था। दरअसल रतन टाटा (Ratan Tata) के इस बयान के पीछे Tata Motors का ड्रीम प्रोजक्ट Tata Nano शामिल था, जिसकी सिंगूर में फैक्ट्री को लेकर ममता बनर्जी ने 26 दिनों तक आंदोलन किया था।

क्या था सिंगूर का पूरा मामला?

टाटा मोटर्स (Tata Motors) को टाटा नैनो (Tata Nano) का प्लांट लगाने के लिए उस समय की पश्चिम बंगाल सरकार ने सिंगूर में अनुमति दी थी। Tata Motors की तरफ से करीब 1000 एकड़ जमीन पर Nano की कारों के लिए प्लांट बनना था। इसी दौरान इस प्लांट को लेकर वहां छोटे-मोटे आंदोलन होने लगे, जिसका बड़ा चेहरा बनी ममता बनर्जी। सिंगूर में Tata के प्लांट लगाने को लेकर ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं। पश्चिम बंगाल में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ लगातार हिंसक विरोध-प्रदर्शन होने लगे। इसको देखते हुए साल 2008 में Tata ने अपना प्लांट सिंगूर से बाहर ले जाने का फैसला किया।

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26 दिन के धरने से कैसे चमक गईं ममता बनर्जी?

सिंगूर में Tata की फैक्ट्री लगाए जाने का सबसे बड़ा विरोध ममता बनर्जी ने किया था, जिसके बाद Tata ने बंगाल के बाहर अपना प्लांट ले जाने का फैसला किया। यह एक ऐसा मौका था, जिसने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की लोकप्रियता को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया। इसका नतीजा यह रहा कि 2011 विधानसभा चुनाव में वामपंथी सरकार की बुरी हार हुई और ममता बनर्जी की सरकार को भारी बहुमत मिला।

ममता बनर्जी का वादा और सुप्रीम कोर्ट का फैसला

ममता बनर्जी ने किसानों से वादा किया था कि 2011 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद वो किसानों की जमीन को वापस दिलाने में मदद करेंगे। चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने कानून बनाकर सिंगूर की जमीन को किसानों को लौटाने का फैसला किया था। ममता सरकार ने 22 जून 2012 को लैंड रिहैबिलिटेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट, 2011 बनाया, जहां राज्य सरकार को अधिकार था कि वह 997 एकड़ ज़मीन को अपने क़ब्ज़े में ले सकती थी। इसके खिलाफ टाटा ग्रुप कलकत्ता हाईकोर्ट में गई और फिर बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।

गुजरात में पूरा हुआ रतन टाटा का सपना

इसके बाद रतन टाटा का सपना कही जाने वाली Tata Nano का प्लांट गुजरात में लगा। दरअसल उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे, जिन्होंने Tata Motors को गुजरात में अपना प्लांट लगाने का निमंत्रण दिया था। नरेंद्र मोदी के इस फैसले को न सिर्फ कंपनी की तरफ से सराहा गया बल्कि, कई और मौको पर इसे सराहना मिली। दरअसल इसके बाद से नरेंद्र मोदी की पहचान एक ऐसे नेता के रूप में हुई, जो विकास पसंद था। इसके बाद से बड़ी कंपनियों का रूझान गुजरात की तरफ और बढ़ा। प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी जिस गुजरात मॉडल की बात करते आए थे, उसमें बिना किसी रुकावट के व्यवसाय करना एक बड़ा मुद्दा था।

फ्लॉप प्रोडक्ट बन गई टाटा नैनो

Tata Nano को शुरुआती दौर में काफी लोकप्रियता मिली। हालांकि, बाद में इसमें आने वाली कुछ खराबियों ने इसकी लोकप्रियता को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया। ऐसे में BS-6 इंजन और नए सेफ्टी नॉर्म्स को देखते हुए अब इसके भविष्य पर बड़ा सवाल उठ गया है। Tata Nano की जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में एक भी यूनिट का प्रोडक्शन नहीं हुआ है

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