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    कूलेंट को कितने समय में बदलवाने की जरूरत ? गाड़ी के इंजन की लाइफ अच्छी रखनी है जरूर करें ये काम

    By Atul YadavEdited By:
    Updated: Sun, 18 Dec 2022 02:18 PM (IST)

    सप्ताह में एक बार अपने गाड़ी के इंजन को जरूर चेक करते रहना चाहिए। इसमें कूलेंट पर भी नजर घूमना चाहिए। अगर से कलर में बदलाव देखने को मिले तो आप समझ जाएं कि उसको बदलवाने का समय आ चुका है।

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    इतने किलोमीटर पर चेंज करवाएं गाड़ी का कूलेंट

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इंजन के तापमान को मेंटेन रखनी की जिम्मेदारी कूलेंट की होती है। हालांकि, गाड़ियों के इंजन में लगा कूलेंट कुछ समय बाद खत्म हो जाता है। जिसे एक समय अवधी के अंदर फिर से भरने की आवश्यता होती है। नहीं तो इंजन गर्म होने लगता है। आइये जानते हैं कितने दिन में कूलेंट को चेंज करवाना चाहिए।

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    कूलेंट को कब चेंज करवाना चाहिए?

    दरअसल, कूलेंट को कब चेंज करवाना चाहिए ये गाड़ी और उसके मॉडल पर भी निर्भर करता है। हालांकि ऑटो इंजीनियरों का कहना है कि प्रत्येक 30-50 हजार किलोमीटर के बीच गाड़ी के कूलेंट को बदलवाना जरूरी होता है। अब सवाल आता है कि कैसे पता करें कि कूलेंट खराब हो रहा है। जब आपकी गाड़ी का इंजन ज्यादा हिट करने लगे तो आप समझ जाएं कि कूलेंट कम होने लगा है और उसे बदलवाने की जरूरत है।

    आप कूलेंट के रंग को भी देख कर यह पता कर सकते हैं कि वो कितना सही है। अगर कूलेंट के कलर में आप बदलाव देखते हैं तो यह संकेत है कि कूलेंट को अब बदलवा देना चाहिए। सप्ताह में एक बार अपने गाड़ी के इंजन को जरूर चेक करते रहना चाहिए। इसमें कूलेंट पर भी नजर घूमना चाहिए। अगर से कलर में बदलाव देखने को मिले तो आप समझ जाएं कि उसको बदलवाने का समय आ चुका है।

    कूलेंट को कब चेंज करवाना चाहिए, इसके बारे में जानकारी आप गाड़ी के हैंडबुक मेंटेनेंस प्लान के माध्यम से ले सकते हैं, जिसमें गाड़ी से जुड़े तमाम जरूरी जानकारी दी जाती है।

    गाड़ी के रेडिएटर में ऐसे भरे कूलेंट

    अगर आपकी गाड़ी स्टार्ट है तो सबसे पहले आपको उस को बंद करने की जरूरत है। जब गाड़ी का इंजन ठंडा हो जाए तब आप रेडिएटर से पुराने कूलेंट को बाहर निकाल दें। उसके बाद नए कूलेंट के डिब्बे को तेजी हिलाएं ताकि वह डब्बे के अंदर ही पूरी तरीके से मिक्स हो सके। एक बार पुराने कूलेंट को बाहर निकालने के बाद उसका रेडिएटर में अब आप नया कूलेंट भर सकते हैं। अब समय आ गया है रेडियेटर में कूलेंट के लेवल को चेक करने का और गाड़ियों को एक बार फिर से स्टार्ट करके उसके परफॉर्मेंस का चेक करने का है

    कूलेंट कम होने के नुकसान

    अभी जब गाड़ी में कूलेंट कम होता है तो इंजन का टेम्परेचर को मेंटेन करने में समस्या आती है। कूलेंट के कम होने से गाड़ी का इंजन जल्द ही गर्म होने लगता है और इससे ईंधन के लाइफ़ भी कम हो जाती है। कई बार ओवरहीटिंग के चलते गाड़ी बीच रास्ते में बंद भी हो जाती है, इसलिए तो कम से कम हफ़्ते में एक बार कूलेंट को तय करना बेहद ज़रूरी होता है।

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