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    बीते एक साल में ऑटो उद्योग में आया भारी बदलाव, BS4 से लेकर BS6 और फिर इलेक्ट्रिक वाहन का कुछ ऐसा रहा सफर

    By BhavanaEdited By:
    Updated: Tue, 30 Mar 2021 11:18 AM (IST)

    सबसे पहले आपको बता दें अप्रैल 2020 से पहले भारत में BS4 वाहनों को सेल किया जाता था। हालांकि भारत में बढ़ते प्रदुषण के चलते सरकार ने BS5 से सीधा BS6 पर स्विच करने का फैसला लिया। BS4 और BS6 एक नियत उत्सर्जन मानदंड हैं।

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    स्टोरी को दर्शाती प्रतिकात्मक तस्वीर (फोटो साभार: जागरण )

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। AutoMobile Sector Changes From Last to This Holi:  साल 2020 से लेकर 2021 तक का सफर ऑटो उद्योग के लिए काफी परेशानी भरा रहा। एक तरफ जहां BS6 वाहनों की लांचिंग को लेकर लोगों ने वाहन खरीदनें में कोई खास रूचि नहीं दिखाई, वहीं कोरोना के कारण रहा लॉकडाउन भी वाहन निर्माता कं​पनियों पर काफी भारी पड़ा। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह रही कि लॉकडाउन और BS6 को अप्रैल से लागू किया गया और दो ​दिन बाद इसे पूरा एक साल हो जाएगा। इसी के चलते एक बार नजर डालते हैं, BS4 से लेकर BS6 और फिर ईवी के भारत में सफर पर:

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    क्या है BS6 वाहन: सबसे पहले आपको बता दें, अप्रैल 2020 से पहले भारत में BS4 वाहनों को सेल किया जाता था। हालांकि भारत में बढ़ते प्रदुषण के चलते सरकार ने BS4 से सीधा BS6 पर स्विच करने का फैसला लिया। BS4 और BS6 एक नियत उत्सर्जन मानदंड हैं जो मोटर वाहन इंजन निकास से प्रदूषक रिलीज के स्तर को निर्धारित करते हैं। यानी सीधे शब्दो में समझे तो BS6 नॉर्म्स वाहनों को NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड) के लगभग 60mg / किमी उत्सर्जन की आवश्यकता होती है। जबकि BS4 वाहनों में 80mg / किमी NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड) की आवश्यकता होती था।

    डीजल कारों के उत्सर्जन मानदंडों के मामले में NOx बीएस6 वाहनों में 250mg/ km से कम होकर 80mg / km तक जाना चाहिए। वहीं HC + NOx उत्सर्जन 300mg / किमी से घटकर 170mg / किमी। ईंधन में सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। BS6 ईंधन में भी BS4 ईंधन की तुलना में सल्फर की मात्रा कम होती है। जिससे वाहनों से निकलने वाले प्रदुषण की मात्रा कम हो गई है।

    इलेक्ट्रिक व्हीकल: जाहिर है कि BS4 से BS6 पर स्विच करने के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों को भी चलन में लाने का काम शुरू किया गया। लगातार केंद्र और राज्यों सरकारों ने ईवी के लिए प्रयास किए। जिनमें Electric Vehicles (EV) Policy 2020 अहम रहा। इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ लोगों को आकर्षित करने के लिए दिल्ली सरकार ने सब्सिडी का भी ऐलान किया। जिसका असर देखा जा रहा है। लेकिन चार्जिंग को उठ रहर समस्या का समाधान आज भी नहीं मिल पाया है। कई वाहन कंपनियों ने अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल को लॉन्च किया तो कुछ अभी भी टेस्टिंग पर हैं। माना जा रहा है, कि जिस गति से ईवी पर काम किया जा रहा है, अगले 2 से 3 साल में इनके इस्तेमाल पर भारत में इजाफा देखा जाएगा।  

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