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    Ford Motor Company भारत में बंद करेगी कारों का प्रोडक्शन

    By Vineet SinghEdited By:
    Updated: Thu, 09 Sep 2021 05:34 PM (IST)

    फोर्ड ने यह फैसला भारतीय उपभोक्ताओं का दिल जीतने और मुनाफा कमाने के लिए सालों तक संघर्ष करने के बाद लिया है। कार निर्माता ने 25 साल पहले भारत में प्रवेश किया था लेकिन यात्री वाहनों के बाजार में 2% से भी कम हिस्सेदारी है।

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    Ford भारत में बंद करेगी कारों का प्रोडक्शन

    नई दिल्ली, नई दिल्ली। आज फोर्ड इंडिया ने घोषणा की है कि यह चेन्नई स्थित अपनी फोर्ड बिज़नेस साॅल्यूशंस टीम का विस्तार करने और फोर्ड के प्रतिष्ठित वैश्विक वाहन व इलेक्ट्रिफाईड एसयूवी बाजार में लाने की योजनाओं के साथ अपने ऑपरेशंस का पुर्नगठन करेगा तथा भारत में वाहन निर्माण को बंद करेगा।

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    फोर्ड भारत में ग्राहकों को पार्ट्स, सर्विस, वाॅरंटी की सपोर्ट देता रहेगा। योजना के तहत, फोर्ड इंडिया 2021 की चैथी तिमाही में सानंद वाहन की असेंबली एवं 2022 की दूसरी तिमाही तक चेन्नई में वाहन एवं इंजन निर्माण बंद कर देगा।

    पिछले दस सालों में 2 बिलियन डाॅलर से ज्यादा का ऑपरेटिंग नुकसान एवं 2019 में एस्सेट्स के 0.8 बिलियन डाॅलर नाॅन-आपरेटिंग राईट-डाउन के बाद, इस पुर्नगठन से भारत में सतत रूप से फायदेमंद व्यवसाय का निर्माण होने की उम्मीद है।

    फोर्ड देश में अपने फोर्ड बिज़नेस साॅल्यूशंस की क्षमताओं और टीम तथा निर्यात के लिए इंजीनियरिंग एवं इंजन निर्माण को बढ़ाने पर केंद्रित होगा। भारत में 11,000 से ज्यादा टीम सदस्यों के साथ फोर्ड बिज़नेस साॅल्यूशंस विस्तार कर साॅफ्टवेयर डेवलपर्स, डेटा साईंटिस्ट्स, आरएंडडी इंजीनियर्स, एवं फाईनेंस व अकाउंटिंग प्रोफेशनल्स के लिए अवसर उत्पन्न करेगा और दुनिया में फोर्ड में परिवर्तन लाने और आधुनिक बनाने में फोर्ड$ प्लान को सपोर्ट करेगा।

    सानंद इंजन प्लांट, जो सबसे ज्यादा बिकने वाले रेंजर पिकअप ट्रक में लगने वाले इंजन निर्यात के लिए बनाते हैं, उसमें 500 से ज्यादा कर्मचारी और पार्ट्स के वितरण व कस्टमर सर्विस में मदद करने वाले लगभग 100 कर्मचारी भारत में फोर्ड के बिज़नेस में अपना सहयोग देना जारी रखेंगे।

    फोर्ड मस्टांग कूपे समेत अतिआवश्यक, प्रतिष्ठित वाहनों का आयात व बिक्री शुरू करेगा। भारत में ग्राहकों को कंपनी द्वारा दुनिया में 30 बिलियन डाॅलर से ज्यादा का निवेश करने की योजना का दीर्घकालिक लाभ मिलेगा, ताकि मस्टांग मैक-ई जैसे आॅल-न्यू हाइब्रिड एवं पूर्णतः इलेक्ट्रिक वाहनों की आपूर्ति हो सके। मौजूदा उत्पादों, जैसे फीगो, एस्पायर, फ्रीस्टाइल, ईकोस्पोर्ट, एवं एन्डीवर की बिक्री डीलरों के पास मौजूदा इन्वेंट्री बिक जाने के बाद बंद हो जाएगी।

    फोर्ड इन वाहनों के लिए सर्विस, आफ्टरमार्केट पार्ट्स एवं वाॅरंटी कवरेज के कार्यों में पूरी कस्टमर सपोर्ट देता रहेगा।फोर्ड मोटर कंपनी के प्रेसिडेंट एवं सीईओ, जिम फारले ने कहा, ‘‘फोर्ड$ योजना के तहत हम मुश्किल पर आवश्यक कार्य कर रहे हैं, ताकि दीर्घकाल तक सतत व लाभकारी व्यवसाय जारी रहे। हम अपनी पूंजी को सही क्षेत्रों में मूल्य निर्माण तथा विकास के लिए लगा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत में भारी निवेश करने के बावजूद फोर्ड ने पिछले 10 सालों में 2 बिलियन डाॅलर से ज्यादा का आपरेटिंग नुकसान उठाया है और नए वाहनों की मांग उम्मीद के मुकाबले काफी ज्यादा कमजोर रही है।’’

    उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि फोर्ड भारत में अपने बहुमूल्य ग्राहकों का ख्याल रखता रहेगा और फोर्ड इंडिया के डीलर्स के साथ मिलकर काम करेगा, ताकि उन्हें सेवाएं मिलती रहें, जिन्होंने लंबे समय से कंपनी का सहयोग किया। भारत हमारे लिए महत्वपूर्ण है और बढ़ती हुई फोर्ड बिज़नेस साॅल्यूशंस टीम के साथ यह दुनिया में फोर्ड के लिए एक विशाल एवं महत्वपूर्ण कर्मचारी आधार का काम करता रहेगा।’’

    फोर्ड इंडिया के प्रेसिडेंट एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, अनुराग महरोत्रा ने कहा, ‘‘भारत में फोर्ड का इतिहास लंबा व गौरवपूर्ण है। हम अपने ग्राहकों का ख्याल रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमारे पुर्नगठन से प्रभावित लोगों के लिए अपने कर्मचारियों, यूनियनों, डीलर्स एवं सप्लायर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

    फोर्ड इंडिया ने बताया कि इसने पुर्नगठन का कार्य अन्य ओईएम के साथ पार्टनरशिप्स, प्लेटफाॅर्म शेयरिंग, काॅन्ट्रैक्ट मैनुफैक्चरिंग एवं अपने मैनुफैक्चरिंग प्लांट बेचने की संभावना, जो अभी भी विचाराधीन है, जैसे अनेक विकल्प तलाशने के बाद शुरू किया।

    महरोत्रा ने कहा, ‘‘इन प्रयासों के बावजूद हमें इन-कंट्री वाहन निर्माण सहित दीर्घकालिक लाभ के लिए कोई भी स्थायी मार्ग नहीं दिखाई दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह निर्णय सालों तक नुकसान उठाने, लगातार उद्योग की ओवरकैपेसिटी एवं भारतीय कार बाजार में अपेक्षित वृद्धि की कमी के कारण लेना पड़ा।’’

    पुर्नगठन का असर लगभग 4,000 कर्मचारियों पर पड़ेगा। फोर्ड इस निर्णय के प्रभावों का असर कम करने के लिए एक निष्पक्ष व संतुलित योजना बनाने के लिए चेन्नई और सानंद में अपने कर्मचारियों, यूनियनों, सप्लायर्स, डीलरों, सरकार एवं अन्य अंशधारकों के साथ मिलकर काम करेगा।

    फोर्ड इंडिया दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, सानंद और कोलकाता में पार्ट डिपो जारी रखेगा और डीलर नेटवर्क को सेल्स एवं सर्विस से पाटर््स एवं सर्विस सपोर्ट में पुर्नगठित करने में मदद करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करेगा।

    फोर्ड इंडिया निर्यात के लिए इंजन निर्माण में मदद करने के लिए सप्लायर्स का एक छोटा नेटवर्क रखेगा और वाहन निर्माण सुगमता से बंद करने के लिए अन्य सप्लायर्स के साथ काम करेगा। फोर्ड अपने ग्लोबल उत्पादों के लिए पार्ट्स की आपूर्ति के लिए भारत स्थित सप्लायर्स पर निर्भर रहेगा तथा फोर्ड बिज़नेस साॅल्यूशंस को सपोर्ट करने वाले सप्लायर एवं वेंडर सामान्य रूप से व्यवसाय को सपोर्ट करते रहेंगे।

    स्टीवन आर्मस्ट्राँग, ट्रांसफाॅर्मेशन आॅफिसर, साउथ अमेरिका एवं भारत ने कहा, ‘‘हम भारत में अपनी प्रतिबद्ध टीम के आभारी हैं, जो कंपनी को वृद्धि व लाभ देने के लिए प्रयासरत रही।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अपनी मौजूदगी का पुर्नगठन करने की हमारी क्षमता उनके द्वारा लो-काॅस्ट इंजीनियरिंग, ग्लोबल इंजन मैनुफैक्चरिंग क्वालिटी एवं बिज़नेस सेवाओं में हमारी विशेषज्ञता स्थापित करने का परिणाम है।‘‘

    इस घोषणा के संबंध में फोर्ड को इस समय लगभग 2.0 बिलियन डाॅलर का प्रि-टैक्स स्पेशल आईटम शुल्क दर्ज करने का अनुमान है, जिसमें 2021 में लगभग 0.6 बिलियन डाॅलर, 2022 में लगभग 1.2 बिलियन डाॅलर एवं शेष अन्य सालों में है। इस राशि में 0.3 बिलियन डाॅलर के नाॅन-कैश शुल्क होंगे, जिनमें एक्सलरेटेड डेप्रिसिएशन एवं एमाॅर्टाईज़ेशन हैं। 1.7 बिलियन डाॅलर के शेष कैश शुल्क मुख्यतः 2022 में दिए जाएंगे और वो बंदोबस्त एवं अन्य भुगतान के अधीन हैं।