20 साल पुराने वाहनों के फिटनेस टेस्ट फीस 15 गुना तक बढ़ी, देखें क्या है नया रेट?
सरकार ने वाहनों के फिटनेस टेस्ट शुल्क में बदलाव किया है, जिससे 10 साल से पुराने वाहनों पर ज्यादा शुल्क लगेगा। पुरानी वाणिज्यिक गाड़ियों के लिए फीस 10 गुना तक बढ़ गई है। इस बदलाव का उद्देश्य सड़कों से असुरक्षित और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाना है, जिससे पुराने वाहन मालिकों को नए मॉडल खरीदने की प्रेरणा मिलेगी।

वाहनों के फिटनेस शुल्क में बदलाव (एआई जनरेटेड फोटो)
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने देशभर में वाहनों के फिटनेस टेस्ट शुल्क में बड़ा बदलाव किया है। सरकार ने 10 साल से पुराने सभी पैसेंजर और कर्मशियल गाड़ियों पर नए और ज्यादा फिटनेस शुल्क लागू किया है। पहले यह शुल्क केवल 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों पर लागू होते थे, लेकिन नए शुल्क आने के बाद यह तीन गुना तक बढ़ गया है।
क्या है फिटनेस टेस्ट फीस की संरचना?
इस नई संरचना में जैसे-जैसे वाहन पुराना होता जाता है, उसकी फिटनेस टेस्ट की फीस बढ़ती जाती है। कई पुरानी कमर्शियल गाड़ियों के लिए यह फीस 10 गुना तक की बढ़ोतरी हुई है। इसमें दोपहिया, तीन पहिया, क्वाड्रिसाइकिल, LMV, MGV और HGV सेगमेंट तक की गाड़ियां शामिल है।
क्यों बढ़ाया गया फिटनेस टेस्ट फीस?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के मुताबिक, इन संशोधित फीसों का उद्देश्य सड़कों से असुरक्षित और अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाना है। बढ़ती उम्र के साथ वाहन न सिर्फ यांत्रिक रूप से कमजोर होते हैं, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ाते हैं। ऐसे में इनकी नियमित और सख्त जांच की आवश्यकता रहती है। नीतिगत रूप से सरकार चाहती है कि पुराने वाहन मालिक या तो वाहन की स्थिति सुधारें, या फिर उन्हें स्क्रैप या नया मॉडल खरीदने की दिशा में आगे बढ़ें।
क्या बदला है नए नियम में?
नए नियम सभी वाहनों पर लागू होते हैं, चाहे वे 10 साल पुराने हों या 20 साल से ज्यादा। पहले 15 साल से कम उम्र वाले वाहनों के लिए कम फीस लगती थी, लेकिन अब 15 वर्ष से कम आयु वाले वाहनों पर भी संशोधित बेस फीस लागू होगी।
| वाहन श्रेणी | पुराना शुल्क: >15 वर्ष | नया शुल्क: 10-15 वर्ष | नया शुल्क: 15-20 वर्ष | नया शुल्क: 20 वर्ष से अधिक |
| मोटरसाइकिल/टू-व्हीलर | ₹ 600 | ₹ 400 | ₹ 1,000 | ₹ 2,000 |
| थ्री-व्हीलर | ₹ 400 - ₹ 600 | ₹ 600 | ₹ 3,000 | ₹ 7,000 |
| हल्के मोटर वाहन (कारें) | ₹ 600 - ₹ 1,000 | ₹ 600 | ₹ 5,000 | ₹ 15,000 |
| मध्यम माल/यात्री वाहन | ₹ 1,800 | ₹ 1,000 | ₹ 10,000 | ₹ 20,000 |
| भारी माल/यात्री वाहन (ट्रक/बसें) | ₹ 2,500 | ₹ 1,000 | ₹ 12,500 | ₹ 25,000 |
पुराने वाहनों पर सबसे ज्यादा असर
ज्यादा उम्र वाले कमर्शियल वाहनों पर सबसे भारी बढ़ोतरी की गई है। इससे 20 साल से अधिक उम्र वाले वाहनों को सड़क पर बनाए रखना महंगा होगा। यह बढ़ोतरी न केवल फिटनेस टेस्ट, बल्कि री-इंस्पेक्शन शुल्क पर भी लागू है। यानी, अगर वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल होता है, तो दोबारा जांच कराने में भी पहले से अधिक खर्च आएगा।
निजी और कमर्शियल वाहनों पर असर
10–20 वर्ष पुराने निजी वाहनों के मालिकों के लिए हर साल फिटनेस टेस्ट शुल्क अब अधिक खर्चीला हो जाएगा। वहीं, कमर्शियल ऑपरेटर्स खासकर पुराने ट्रक या बड़े वाहनों का इस्तेमाल करने वाले नई फीस संरचना के चलते अपने वाहन जल्द बदलने की ओर प्रेरित होंगे। इससे वे नए, कम-उत्सर्जन वाले मॉडल अपना सकेंगे।

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