कभी FIAT बनाती थी एक साल में 20 लाख से ज्यादा गाड़ियां; अब 4% से भी कम हिस्सेदारी, जानिए पीछे की कहानी
एक समय FIAT दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी थी और भारत में लोगों की पहली पसंद बन गई थी। 1990 में उदारीकरण के बाद अन्य कंपनियों के प्रवेश और FIAT द्वारा तकनीक में सुधार न करने के कारण कंपनी पिछड़ने लगी। 2021 में FIAT ने भारत में अपनी गाड़ियां बंद कर दीं। वर्तमान में वैश्विक बाजार में FIAT का शेयर 4% से भी कम है।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। एक समय ऐसा था जब FIAT दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी थी। यह लोगों के दिलों पर राज करने के साथ ही ऑटोबाजार पर धूम मचा रही थी। इतना ही नहीं, एक समय भारत की सड़कों पर कुछ ऐसा जलवा था कि भारत में लोगों की पहली पसंद ही FIAT बन गई थी।
देश में 1954 में केंद्र सरकार और FIAT के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें इसके निर्माण और असेंबली का लाइसेंस प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड (Premier Automobiles Ltd) को मिला। इसने भारत में अफसरों की कार और टैक्सी के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई।
1990 में देश में कार बाजार में इसकी हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी तक पहुंच गई थी। आइए जानते हैं कि फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि FIAT भारतीय बाजार में अपनी पकड़ धीरे-धीरे खोती चली गई और अब दुनिया में, FIAT का मार्केट शेयर 4% तक कैसे पहुंच गया?
भारतीय बाजार में बाकी कंपनियों की एंट्री
1990 में उदारीकरण हुआ, जिसके बाद भारत में मारुति, हुंडई, होंडा जैसी कार निर्माता कंपनियों की एंट्री हुई। इनकी गाड़ियां FIAT से ज्यादा अच्छी थी और वहीं कंपनी ने अपनी गाड़ियों में तकनीक अपग्रेड नहीं की, जिसके बाद कंपनी लगातार पिछड़ने लगी।
1997 में FIAT खुद FIAT इंडिया ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड के रूप में उतरा फिर भी बात नहीं बनी। 2007-2012 में टाटा मोटर्स के साथ पार्टनरशिप की फिर भी कंपनी की सेल पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा। आखिर 2021 में FIAT ने अपनी गाड़ियां भारत में बिक्री के लिए बंद कर दी।
FIAT की वर्तमान की स्थिति
भारतीय बाजार में अपनी गाड़ियों की बिक्री को बंद करने के बाद 021 में FIAT-क्राइस्लर ऑटोमोबाइल्स (एफसीए) स्टेलेंटिस ग्रुप का हिस्सा बनी। इस ग्रुप में प्यूजो और सिट्रोएन भी शामिल है। भारत से जाने के बाद दुनिया में, FIAT का मार्केट शेयर 4% से कम हो चुका है। कंपनी ने साल 2024 में इलेक्ट्रिक कार नई 500e को लॉन्च किया है, लेकिन टेस्ला, BYD और फॉक्सवैगन को हाल के समय में इस सेगमेंट में टक्कर देना मुश्किल है।
ऐसे पड़ा नाम
FIAT का लैटिन में मतलब होता है Let it be done 'यानी हो जाने दो'। इसी स्लोगन को ध्यान में रखकर कंपनी ने यह नाम चुना था। इसकी शुरुआत 1899 में सेना के पूर्व अफसर और बिजनेसमैन जियोवानी अग्नेली ने अपने 8 दोस्तों के साथ मिलकर शुरू किया था और इसकी पहली कार 31/2 HP को बनाने और लॉन्च करने में करीब 6 महीने का समया लगा था।
तेल संकट से शुरू हुई गिरावट
70 के दशक में इटली में मजदूर आंदोलनों ने काफी तेजी से जोर पकड़ा, जिसका असर इसके प्रोडक्शन पर भी पड़ा। इसी के समय दुनिया भर में तेल का संकट भी सामने आया, जिसकी वजह से FIAT की गाड़ियों से लोगों ने दूरी बनाना शुरू कर दिया था।
1973-1979 के तेल संकट के चलते लोगों का मोह इनसे टूटा और फिर 2000 के करीब FIAT लगभग दिवालिया के कगार पर पहुंच गई थी। वहीं, दूसरी तरफ टोयोटा, फॉक्सवैगन और हुंडई इसके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी रहे, जो अपनी गाड़ियों में बेहतरीन फीचर्स देने लगे थे। वहीं, भारत में मारुति ने ऐसी गाड़ियां लॉन्च की जो ज्यादा माइलेज देती थी और उसने सर्विस भी FIAT से बेहतर देना शुरु कर दिया था।
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