Jagran Explainer: फेम-2 स्कीम ने बदली ईवी इंडस्ट्री की सूरत, जानिए आम जन को इससे क्या मिल रहा फायदा
इलेक्ट्रिक व्हीकल का भारत में अच्छा रिस्पॉन्स को देखते हुए सरकार ने साल 2019 में फेम-2 स्कीम को लॉन्च किया गया था। उस समय इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने वाले लोगों को 10000 रुपये प्रति kWh की सब्सिडी दी जा रही थी।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए सरकार सब्सिडी दे रही है। सरकार द्वारा दिए जा रहे इस इंसेन्टिव प्रोग्राम के तहत में इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने वाले हजारों ग्राहकों को लाभ मिला है। फेम 2 स्कीम का रिजल्ट इतना तगड़ा है कि अब सड़कों पर इलेक्ट्रिक व्हीकल की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं इस स्कीम की शुरूआत, उद्देश्य और परिणाम के बारे में।
फेम इंडिया योजना क्या है?
भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमतें काफी ज्यादा है। यही वजह है कि लोग नई इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदने के पहले कई बार सोचते हैं। हालांकि, जब से ईवी पर फेम 2 स्कीम के तहत सब्सिडी मिल रही है, तब से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमतें पहले की तुलना में कम हो गई हैं।
भारत में इलेक्ट्रिकल व्हीकल को अब अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। इसी महत्व को आगे विकसित करने के लिए भारत सरकार द्वारा “फेम इंडिया योजना” की शुरूआत की। ईवी प्रोत्साहन कार्यक्रम 2013 में नेशनल मिशन ऑन इलेक्ट्रिक मोबिलिटी 2011/नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया था। इस योजना का पूरा नाम Faster adoption and manufacturing of hybrid &) electric vehicles in India) है। हालांकि, उस समय यह स्कीम अपने पहले चरण में थी। इस समय भारत में फेम 2 स्कीम चल रही है।
आखिर क्यों लाना पड़ा
एक तरह जहां दुनियां के बाकी देशों में ईवी का चलन बढ़ता जा रहा था। भारत में इनकी प्रगति थोड़ी सुस्त थी। डीजल-पेट्रोल बढ़ते आयात बिल के कारण सरकार को हर साल अरबों डॉलर का ईंधन आयात करना पड़ता था। भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर अग्रिम प्रोत्साहन की पेशकश के माध्यम से इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को तेजी से अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए इस सब्सिडी की शुरूआत की थी। जिसका वर्तमान में अच्छा परिणाम देखने को मिल रहा है। केवल ईवी खरीदने पर ही नहीं बल्कि, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, व्हीकल मैन्यूफैक्चरिंग, लोकल मैन्यूफैक्चरिंग आदि पर भी सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है।
FAME I योजना के पहले चरण को 1 अप्रैल, 2015 से दो साल की अवधि के लिए मंजूरी दी गई थी। तब से, ईवी सब्सिडी कार्यक्रम को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। FAME का पहला चरण अंतिम बार 31 मार्च, 2019 तक बढ़ाया गया था।
2019 से लागू हुआ FAME-2 स्कीम
इलेक्ट्रिक व्हीकल का भारत में अच्छा रिस्पॉन्स को देखते हुए सरकार ने साल 2019 में फेम-2 स्कीम को लॉन्च किया गया था। उस समय इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने वाले लोगों को 10000 रुपये प्रति kWh की सब्सिडी दी जा रही थी, जिसे बाद में जून 2021 में सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए यह सीमा बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति kWh कर दिया था। फेम-2 स्कीम का परिणाम इतना जबरदस्त है कि ईवी बनाने वाली कंपनियां हर महीने अपने सेल्स रिपोर्ट में वृद्धि कर रही हैं। आज ऐसा समय आ गया है कि लोग जब ईवी खासतौर पर स्कूटर्स खरीदने जा रहे हैं तो एक बार इलेक्ट्रिक स्कूटर्स के बारे में जानकारी जरूर ले रहे हैं।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर कितनी सब्सिडी है?
फेम- 2 स्कीम को ईवी खरीदने पर जोर देने के लिए बनाया गया है। इस स्कीम के तहत ईवी दोपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाहनों को खरीदने पर छूट दी जा रही है। वित्त वर्ष 2022-2023 में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए 8,000 रुपये/ kWh की सब्सिडी मिल रही है। वहीं सरकार द्वारा मिलने वाली सबसे अधिक सब्सिडी राशि 30,000 रुपये तक की है। फेम-2 स्कीम शुरुआत में 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाली थी, लेकिन बाद में इसकी तारीख को आगे बढ़ाकर 31 मार्च 2024 कर दिया गया है। जिसका सीधा असर विशेष रूप से दोपहिया और तिपहिया सेगमेंट में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर पड़ेगा। फेम-2 स्कीम के तहत पहले दो लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर 5,000 रुपये प्रति वाहन, पहले 50,000 इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहनों पर अधिकतम 12,000 रुपये तक, और पहले 25,000 इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों के लिए प्रति वाहन पर एक लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल रही है।
आम आदमी को इस स्कीम से क्या फायदा?
फेम-2 स्कीम के तहत आम को सस्ती कीमत पर इलेक्ट्रिक व्हीकल मिल रहे हैं, क्योंकि सब्सिडी लगने के बाद गाड़ियों की कीमतों में कई हजार रुपये का फर्क देखने को मिलता है। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल को भरवाने में लोगों के महीने में काफी रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को ईंधन की तुलना में काफी कम रुपया खर्च करना पड़ता है। ईवी खरीदने वाले लोग पर्यावरण को सही रखने में मदद कर रहे हैं, क्योंकि ईंधन से चलने वाली गाड़ियां अधिक प्रदूषण पैदा करती हैं।
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