बाय-बाय 'काली पीली' टैक्सी, इस आइकॉनिक गाड़ी का मुंबई की सड़कों पर आज आखिरी दिन
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछली प्रीमियर पद्मिनी को तारदेओ आरटीओ में एक काली-पीली टैक्सी के रूप में पंजीकृत किया गया था जिसका अधिकार क्षेत्र मुंबई शहर पर है। चूंकि शहर में कैब की आयु सीमा 20 वर्ष है इसलिए मुंबई में आधिकारिक तौर पर सोमवार से प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी नहीं चलेंगी। आइये डिटेल में जानते हैं।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई का नाम सुनते ही लोगों के मन में मुंबई की एक तस्वीर बन जाती है, जिसमें बड़ा पाव, मरीन ड्राइव और काली पीली टैक्सी का प्रतिबिंब बनना आम बात है। हालांकि अफसोस कल से काली-पीली टैक्सी मुंबई की सड़कों पर नहीं दिखाई देंगी। परिवहन विभाग ने 30 अक्टूबर से काली-पीली टैक्सी (प्रीमियर पद्मिनी) को सड़कों पर चलने पर रोक लगा दिया है। जानकारी के लिए बता दें, फिलहाल मुंबई में एक आखिरी काली-पीली टैक्सी बची है।
परिवहन विभाग का बयान
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछली प्रीमियर पद्मिनी को तारदेओ आरटीओ में एक काली-पीली टैक्सी के रूप में पंजीकृत किया गया था, जिसका अधिकार क्षेत्र मुंबई शहर पर है। चूंकि शहर में कैब की आयु सीमा 20 वर्ष है, इसलिए मुंबई में आधिकारिक तौर पर सोमवार से प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी नहीं चलेंगी।
मुंबई की शान है ये कार
प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी मुंबई की शान है। इस गाड़ी को सबसे आखिरी में अब्दुल करीम कारसेकर नाम के व्यक्ति ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। अब्दुल का कहना है कि ये केवल टैक्सी नहीं है, ये मुंबई की शान है और हमारी जान है। यह बदलाव सार्वजनिक ट्रांसपोर्टर बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) द्वारा डबल डेकर डीजल बस को बंद करने के बाद आया, जिनका जीवन मुंबई की सड़कों पर केवल 15 साल तक का था।
संग्रहालय में संरक्षित करने की हो रही मांग
मुंबई घूमने जाने वाले लोग या फिर मुंबई की जनता डबल डेकर बस और काली-पीली टैक्सी को धरोहर की तरह देखती है, जिनको कल से मुंबई की सड़कों पर लोग खूब मिस करेंगे। ये वो गाड़ियां है, जिनसे बहुत से लोगों की यादें जुड़ी हैं। कुछ लोगों ने मांग की है कि कम से कम एक 'प्रीमियर पद्मिनी' को सड़क पर या संग्रहालय में संरक्षित किया जाए।

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