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    Electric VS Petrol Car: 15 साल चलाने पर कितनी होगी बचत?

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 01:15 PM (IST)

    Electric Car vs Petrol Car सरकार की नीतियों और नई तकनीक की वजह से भारत में EV का सफर आगे बढ़ रहा है। AEEE के अनुसार EV की शुरुआती कीमत ज़्यादा होती है लेकिन 10 साल में टाटा टिगोर EV पेट्रोल से 1 लाख रुपये बचा सकती है। बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग समाधान से EV निजी और व्यावसायिक दोनों उपयोगकर्ताओं के लिए आकर्षक बनते हैं।

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    15 साल में इलेक्ट्रिक गाड़ी से कितनी होगी बचत?

    ऑटो डेस्क, नई दिल्‍ली। इलेक्ट्रिक गाड़ियां पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जेब के लिए फायदेमंद बनती जा रही हैं। सरकार की नीतियों, नई तकनीक, बैटरी स्वैपिंग जैसे इनोवेशन और मजबूत होते चार्जिंग नेटवर्क की वजह से, भारत में EV का सफर तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज, सवाल सिर्फ यह नहीं है कि इलेक्ट्रिक गाड़ी, पेट्रोल के मुकाबले कितनी बचत कराएगी, बल्कि यह भी कि कैसे पूरा EV वैल्यू चैन, निर्माण से लेकर रीसाइक्लिंग तक, इसे आम लोगों के लिए आसान, किफायती और भरोसेमंद बना रहा है। हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि अगर आप 15 साल तक एक इलेक्ट्रिक कार चलाते हैं, तो आपको एक पेट्रोल गाड़ी के मुकाबले कितनी बचत होगी?

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    15 साल में कितना फायदा?

    • एलायंस फॉर एन एनर्जी एफिशिएंट इकॉनमी (AEEE) के अनमोल जैन (सीनियर रिसर्च एसोसिएट) और डॉ. एम.डी. सद्दाम हुसैन (प्रिंसिपल रिसर्च एसोसिएट) ने EV स्वामित्व की वास्तविक लागत का विश्लेषण किया है। उनके मुताबिक EV की शुरुआती कीमत पेट्रोल कारों से आमतौर पर 5–6 लाख रुपये और CNG ऑप्शनों से 3–4 लाख रुपये ज्यादा होती है, लेकिन लंबे समय में इसकी आर्थिक कैल्कुलेशन एक अलग तस्वीर पेश करती है।
    • एक उपयोगी उदाहरण है टाटा टिगोर, जो पेट्रोल, CNG और इलेक्ट्रिक तीनों वेरिएंट में ऑफर की जाती है। अगर इसे निजी कार के रूप में प्रतिदिन लगभग 50 km चलाया जाए, तो 10 साल (1,50,000 km) में टिगोर EV, पेट्रोल संस्करण की तुलना में लगभग 1 लाख रुपये बचा सकती है और CNG संस्करण के साथ लगभग बराबरी पर आ सकती है। अधिक दैनिक उपयोग के साथ ये बचत काफी बढ़ जाती है।
    • यह फायदा व्यावसायिक उपयोग में और भी स्पष्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए, एक टैक्सी जो रोजाना लगभग 180 km चलती है, 10 सालों (5,40,000 km) में पेट्रोल की तुलना में टिगोर EV से 15–16 लाख रुपये और सीएनजी की तुलना में लगभग 5 लाख रुपये की बचत कर सकती है।
    • टाटा टिगोर का उदाहरण साफ तौर पर दिखाता है कि भले ही EV में शुरुआती निवेश ज्यादा होता है, लेकिन इस्तेमाल बढ़ने के साथ उनका आर्थिक लाभ काफी बढ़ जाता है, खासकर व्यावसायिक और अधिक दूरी तय करने वाले उपयोग में। यही वजह है कि EV न केवल पर्यावरण के प्रति सजग विकल्प हैं, बल्कि लंबे समय में आर्थिक रूप से भी समझदारी भरा फ़ैसला साबित होते हैं।

    EV को सुलभ बनाना जरूरी

    • हालांकि आंकड़े आकर्षक हैं, लेकिन इंडोफास्ट एनर्जी के सीईओ अनंत बजाजत्या का मानना है कि असली बदलाव तब आएगा जब एक आम इंसान EV को अपनी रोजमर्रा में सजग रूप से अपना पाए। उनके मुताबिक, वर्ल्ड EV डे जैसे अहम दिवस हमें यह सशक्त रूप से याद दिलाते है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दिशा में तेजी लाना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। इंडोफास्ट एनर्जी में, हमें एक सरल लेकिन गहन सिद्धांत प्रेरित करता है।
    • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी हर किसी के लिए व्यावहारिक, किफायती, सुलभ और टिकाऊ होनी चाहिए। बैटरी स्वैपिंग के ज़रिये हम नवीन तकनीक का उपयोग कर रहे हैं और ऐसे समाधान तैयार कर रहे हैं जो लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी में सहजता से फिट हो जाएं। हम टिकाऊ परिवहन को वास्तविकता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

    बैटरी स्वैपिंग और उपयोगकर्ता

    अनुकूल चार्जिंग समाधान डाउनटाइम को कम करते हैं, जिससे EV निजी और वाणिज्यिक दोनों उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक आकर्षक बनते हैं और इन दीर्घकालिक बचतों को संभव बनाते हैं।

    बाजार और नीतियों का सहारा

    • लाइको मटेरियल्स के सीईओ और संस्थापक गौरव डोलवानी का कहना है कि भारत वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार है। इस EV दिवस पर हमें भारत की उल्लेखनीय प्रगति और आने वाले सफ़र का जायजा लेना चाहिए। सिर्फ पिछले साल में ही इलेक्ट्रिक पैसेंजर वाहनों की बिक्री में 80% की बढ़ोतरी हुई है, जो बढ़ती उपभोक्ता मांग और स्मार्ट मोबिलिटी की ओर बढ़ते झुकाव को दर्शाता है। घरेलू और वैश्विक कंपनियों द्वारा लगातार नवाचार और उपभोक्ताओं के लिए विकल्प बढ़ाए जाने से भारत में EV का सफ़र विशिष्ट से मेनस्ट्रीम की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
    • सरकारी नीतियां जैसे पीएम ई-ड्राइव, फेम-II और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना, निर्माण और EV अपनाने की गति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं और देश की आत्मनिर्भरता की दृष्टि से पूरी तरह मेल खाती हैं। भारत वैश्विक EV क्रांति का नेतृत्व करने की राह पर है, जहां 200 अरब डॉलर से अधिक के निवेश अवसर मौजूद हैं। अब सबसे महत्वपूर्ण कदम है एक संपूर्ण एंड-टू-एंड इकोसिस्टम का निर्माण करना, जिसमें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, रीसाइक्लिंग और उपभोक्ता सहायता में सुधार इस तेजी से बढ़ते विकास के साथ कदमताल कर सके। लाइको मटेरियल्स में, हम इस सफर का अहम हिस्सा बनने पर गर्व महसूस करते हैं। विशेष रूप से एंड-ऑफ लाइफ लिथियम-आयन बैटरियों के सतत रीसाइक्लिंग और दोबारा समाधान के माध्यम से।

    सप्लाई चेन है जरूरी

    • एप्सिलॉन एडवांस्ड मटेरियल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम हांडा का कहना है कि दीर्घकालिक लागत लाभ तभी टिकाऊ होंगे जब भारत अपनी EV मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन क्षमताओं को मजबूत करेगा। दुनिया भर में, 2025 के अंत तक इलेक्ट्रिक वाहन सभी नई कार बिक्री का 25% हिस्सा बनने का अनुमान है, जो सतत मोबिलिटी की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव है। भारत में यह परिवर्तन तेजी पकड़ रहा है, और FY 2025 में EV बिक्री 20 लाख यूनिट से अधिक होने की उम्मीद है। दो और तीन पहिया वाहन इस वृद्धि को आगे बढ़ा रहे हैं, जो किफायती, स्मार्ट मोबिलिटी समाधानों की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
    • सरकारी पहल जैसे पीएम ई-ड्राइव, ऑटो कंपोनेंट्स और बैटरी स्टोरेज के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव, और इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना भारत की ईवी प्रगति को तेज़ करने में अहम साबित हुई हैं। पिछले दो वर्षों में सार्वजनिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर दोगुना हो गया है, जिससे भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा EV बाज़ार बनने की राह पर है।
    • एप्सिलॉन एडवांस्ड मटेरियल्स में, हमारी भूमिका इस बदलाव को सक्षम बनाने की है, महत्त्वपूर्ण बैटरी सामग्री का निर्माण करके और मजबूत आपूर्ति शृंखलाएं तैयार करके, ताकि ईवी बैटरी निर्माण स्थिर रह सके। भारत के पास EV इकोसिस्टम को मजबूत करने में एक विश्वसनीय भागीदार बनने का महत्वपूर्ण अवसर है। मोबिलिटी का भविष्य सभी के लिए समावेशी, किफायती और टिकाऊ होना चाहिए।

    निष्कर्ष

    भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कहानी सिर्फ पेट्रोल पर बचत तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसे बदलाव की कहानी है जिसमें जेब के लिए फायदा, लोगों के लिए आसान और सुलभ तकनीक, सरकारी नीतियों का सहारा, और मजबूत सप्लाई चेन सब मिलकर एक नया और बेहतर कल बना रहे हैं। EV भारत के लिए स्मार्ट और टिकाऊ भविष्य की कुंजी बन चुकी हैं। सवाल अब यह नहीं है कि हम EV क्रांति का हिस्सा बनेंगे या नहीं, बल्कि यह है कि हम इसे कितनी तेजी से अपनाएंगे।