ओवरलोडिंग जानने के लिए वाहनों में ही लगेगा डिस्प्ले बोर्ड, केबिन में वेइंग डिवाइस अनिवार्य करने की तैयारी
Vehicle Overloading ओवरलोडिंग के कारण प्रति वर्ष दस हजार से 15 हजार लोगों की जान चली जाती है। भारी वाहनों में ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाने के लिए एक नई व्यवस्था पर काम चल रहा है। ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाने के लिए 2019 में मोटर वाहन कानून में संशोधन किए गए थे लेकिन इसका भी कोई खास असर नहीं पड़ा है।

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सड़क सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मानी जाने वाली ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार भारी वाहनों में केबिन के भीतर वजन बताने वाला डिस्प्ले बोर्ड अनिवार्य करने की दिशा में काम कर रही है। यह डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड ठीक उसी तरह भार को प्रदर्शित करेगा जैसा सामान्य वेइंग मशीनें करती हैं। वाहनों में क्षमता से अधिक वजन कई तरह की सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
वाहन निर्माता कंपनियों से बातचीत शुरू
केवल ट्रक ही नहीं, बसें भी ओवरलोडिंग के कारण हादसों की शिकार होती हैं। ओवरलोडिंग के कारण प्रति वर्ष दस हजार से 15 हजार लोगों की जान चली जाती है। सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से पिछले दिनों लोकसभा में बताया गया कि भारी वाहनों में ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाने के लिए एक नई व्यवस्था पर काम चल रहा है। यह व्यवस्था वाहनों में वजन बताने के लिए आन बोर्ड डिस्प्ले पर आधारित है। इसके लिए वाहन निर्माता कंपनियों से बातचीत शुरू हुई है।
कानून में भी किया जा चुका है संशोधन
नई प्रणाली की जमीन तैयार हो जाने के बाद इस व्यवस्था को अनिवार्य किया जा सकता है। ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाने के लिए 2019 में मोटर वाहन कानून में संशोधन किए गए थे, लेकिन इसका भी कोई खास असर नहीं पड़ा है। इन्फोर्समेंट में परेशानी आने का कारण वजन कराने में आने वाली व्यावहारिक दिक्कत है। आम तौर पर ट्रैफिक और पुलिसकर्मी वजन कराने की झंझट में पड़ने के बजाय ले-देकर मामला रफा-दफा करते हैं। कुछ मामलों में संबंधित वाहन पर जुर्माना लगाकर उसे जाने दिया जाता है। लेकिन इससे न तो सड़क सुरक्षा की अनिवार्य जरूरतें पूरी होती हैं और न ही सड़कों को होने वाले नुकसान की चिंता हो पाती है।
सेंसर आधारित वेइंग डिस्प्ले डिवाइस
मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार सेंसर आधारित वेइंग डिस्प्ले डिवाइस के लिए काम किया जा रहा है। इसे एकदम सटीक होना चाहिए, अन्यथा सड़कों पर समस्याएं उत्पन्न होंगी। वाहन निर्माताओं के साथ ही आइआइटी जैसे संस्थानों की भी मदद ली जाएगी। दूसरे देशों में इस तरह की प्रणाली पहले से अमल में है, इसलिए इसे अपनाने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगले साल के अंत तक इसके लिए अधिसूचना जारी की जा सकती है, लेकिन इसके पहले वाहनों को जरूरी तकनीक से लैस करना होगा।
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