Battery swapping Policy: इस नीति के लागू होने से खत्म हो जाएगी ईवी चार्जिंग की टेंशन, जानें डिटेल
Battery swapping policy भारत में कॉमर्सियल वाहनों के लिए सरकार का इलेक्ट्रिफिकेशन टारगेट निजी कारों की तुलना में 70 प्रतिशत पर बहुत अधिक है जो 2030 तक 30 प्रतिशत बाजार में प्रवेश हासिल करने की उम्मीद है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में ईवी का चलन बढ़ रहा है, लेकिन महंगी बैटरी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते लोगों को अभी भी नई ईवी खरीदने के लिए दो बार सोचना पड़ता है। हालांकि, इससे चार्जिंग की समस्या को लेकर सरकार बैटरी स्वैपिंग लागू करने वाली है, जिसके बाद से ईवी ग्राहकों को काफी हद तक लाभ मिलने वाला है।
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी को लागू हो जाना के बाद जगह-जगह ईवी यूजर्स को बैटरी स्वैपिंग मशीन मिलेगी, जहां वह अपनी समाप्त बैटरी को निकाल कर चार्ज में लगा सकते हैं और वहीं एक चार्ज बैटरी को अपनी व्हीकल में लगा तक अपना आगे का सफर तय कर सकते हैं। इस प्रक्रिया बैटरी की बैटरी खत्म होने की चिंता, चार्जिंग प्वाइंट को खोजना और नए बैटरी पैक खरीदने में लगने वाली लागत से बचाता है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल यूजर्स के जेब पर अधिक भार नहीं जाता है।
यह नीति मुख्य रूप से ई-कॉमर्स डिलीवरी और तिपहिया परिवहन सेवा क्षेत्रों में इलेक्ट्रिफिकेशन को टारगेट करती है, क्योंकि दोनों में समय की कमी है जिसे फास्ट-चार्जिंग स्टेशन भी हल नहीं कर सकते हैं। इसका मतलब ये है कि इस नीति को लागू होने के बाद इस सेक्टर को सीधे फायदा होगा।
इसके अलावा कॉमर्सियल वाहनों के लिए सरकार का इलेक्ट्रिफिकेशन टारगेट निजी कारों की तुलना में 70 प्रतिशत पर बहुत अधिक है, जो 2030 तक 30 प्रतिशत बाजार में प्रवेश हासिल करने की उम्मीद है। दिल्ली सरकार ने पहले ही घोषणा की है कि सभी सवारी एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना होगा।