Chandrayaan 3 Pragyan rover को खास बनाती हैं ये 5 रोचक चीजें, ADAS फंक्शन और Offroading कैपेबिलिटी से है लैस!
Chandrayaan 3 Pragyan rover ने चंद्रमा पर चलना शुरू कर दिया है। Chandrayaan 3 का Pragyan rover काफी छोटा है और इससा वजन सिर्फ 26 किलोग्राम है। चंद्रमा की सतह गड्ढों और बड़ी चट्टानों से भरी हुई है। इसका मतलब है कि रोवर को एक ऑफ-रोडर की तरह काम करना होगा। आइए इसके बारे मे 5 महत्वपूर्ण चीजों को जान लेते हैं।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। ISRO के Vikram lander ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर रही है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। आपको बता दें कि चुना गया लैंडिंग स्थान अज्ञात चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब है।
जैसा कि आपको पता है कि लैडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर सफलतापूर्वक लैंडर से नीचे उतर गया है और अगले 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह की खोज करेगा। क्या आपको पता है कि वास्तव में Pragyan moon rover क्या है और इसे कौन की चीजें अलग बनाती हैं? आइए, इससे संबंधित 5 दिलचस्प बातों के बारे में जान लेते हैं।
Pragyan rover का साइज
Chandrayaan 3 का Pragyan rover काफी छोटा है और इसका वजन सिर्फ 26 किलोग्राम है। रोवर में एक आयताकार चेसिस है, जिसके एक तरफ सौर सरणी(solar array) लगी है और यह लगभग 36 इंच लंबा है। इसमें एक छोटी बैटरी भी है, जो सौर पैनलों के माध्यम से इसे चला रही है। इसमें लगा सौर पैनल केवल 50W बिजली उत्पन्न कर सकता है। इसको चलाने के लिए इलेक्ट्रिक मोटरों का इस्तेमाल किया गया है।
Pragyan rover की स्पीड
प्रज्ञान रोवर की गति सिर्फ एक सेमी प्रति सेकंड है। आप सोचेंगे कि क्या यह इतना धीमा है, तो जवाब है जी हां इसकी स्पीड इतनी ही है। वहीं इसके उलट चंद्रयान को चंद्रमा तक ले जाने वाले LVM3 रॉकेट की गति लगभग मैक 30 या ध्वनि की गति से 30 गुना अधिक है।
Pragyan rover के एडास फंक्शन!
Pragyan rover में भी ADAS से लैस कारों की तरह कई नेविगेशन कैमरे हैं, जो इसे देखने में मदद करते हैं कि इसे कहां ड्राइव करना है। हालांकि, प्रज्ञान पूरी तरह से ऑटोमैटिक नहीं है। इसरो मिशन नियंत्रण पृथ्वी से इसके लिए निर्देश जारी कर सकता है। प्रज्ञान लैंडर से 500 मीटर से अधिक दूर नहीं भटक सकता है, क्योंकि पृथ्वी के साथ संचार विक्रम लैंडर के माध्यम से ही होता है।
Pragyan rover की ऑफरोडिंग क्षमता
चंद्रमा की सतह गड्ढों और बड़ी चट्टानों से भरी हुई है। इसका मतलब है कि रोवर को एक ऑफ-रोडर की तरह काम करना होगा। छह-पहिया रॉकर-बोगी प्रणाली जो दो L आकार के खंडों का उपयोग करती है, इसे एक बहुत जरूरी लीवरेज और चट्टानों और अपने से ऊंचे खंडों पर चढ़ने की क्षमता प्रदान कर रही है। इस तथ्य के बावजूद कि प्रज्ञान छोटा है, रॉकर-बोगी तंत्र में गति की 50 मिमी सीमा है, जहां एक व्यक्तिगत पहिया रोवर के रुख में बहुत अधिक बदलाव किए बिना ऊपर या नीचे जा सकता है।
Pragyan rover की लाइफ
Pragyan rover का जीवन केवल 14 पृथ्वी दिवस या एक चंद्र दिवस का है। इसके बाद, यह लगातार पृथ्वी की 14, 24 घंटे लंबी रात में रहेगा, जिसके दौरान प्रज्ञान बिना बिजली के -230 डिग्री की ठंड का सामना करेगा। इसरो वैज्ञानिकों को यकीन नहीं है कि यह सूरज की रोशनी या गर्मी के बिना दो सप्ताह तक जीवित रह पाएगा।
हालांकि, इसकी एक छोटी सी संभावना हो सकती है कि जब सूर्य चंद्रमा के बगल में उगता है, तो प्रज्ञान गर्म हो जाएगा और कुछ दिनों के बाद बिजली आ जाए और फिर से काम करना शुरू कर दे।
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