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    Ghaziabad-Aligarh Expressway: NHAI ने दर्ज किया विश्व रिकॉर्ड, सौ घंटे में बनाई 100 किमी लंबी सड़क

    By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth Priyadarshi
    Updated: Fri, 19 May 2023 06:44 PM (IST)

    Ghaziabad-Aligarh Expressway भारत में सड़क विकास की जिम्म्दारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की होती है। NHAI ने इस साल अपने नाम एक विश्व रिकॉर्ड दर्ज किया है। NHAI ने 100 घंटे में 100 किलोमीटर की सड़क बनाकर तैयार कर दिया है।

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    NHAI achieve world record Aligarh expressway create history

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Aligarh Expressway: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने विश्व रिकॉर्ड दर्ज किया है। उत्‍तर प्रदेश में गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेसवे (Ghaziabad-Aligarh Expressway) पर 100 घंटे में 100 किलोमीटर की सड़क बनाने का काम पूरा हुआ है। ये सड़क 100 घंटे में बनी है, जिसकी दूरी 100 किलोमीटर है।

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    सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि इस उपलब्धि का पूरा श्रेय भारत के सड़क बुनियादी ढांचा उद्योग को जाता है। इनके समर्पण और प्रतिभा के कारण ही यह रिकॉर्ड दर्ज किया गया है।

    सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (Minister of Road Transport and Highways) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने समारोह को वर्चुअली संबोधित किया था। उन्होंने कहा कि NH34 का गाजियाबाद-अलीगढ़ सेक्शन 118 किलोमीटर में फैला है। ये मार्ग गाजियाबाद और अलीगढ़ के घनी आबादी वाले क्षेत्रों को लिंक करता है। ये मार्ग परिवहन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

    नितिन गडकरी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट दादरी, गौतमबुद्ध नगर, सिकंदराबाद, बुलंदशहर और खुर्जा सहित उत्तर प्रदेश के कई कस्बों और शहरों से होकर गुजरता है।

    इसी के साथ यह एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग के रूप में भी काम करेगा। इस मार्ग के जरिए माल की आवाजाही सुविधाजनक तौर से हो पाएगी। ये मार्ग क्षेत्रीय आर्थिक विकास में भी योगदान देता है। इस मार्ग के जरिये इंडस्ट्रियल एरिया, कृषि क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थान आपस में कनेक्ट होंगे।

    मंत्री ने बताया कि इसे इनोवेटिव ग्रीन टेक्नॉलजी के जरिये बनाया गया है, जिसमें 90 फीसदी ग्रीन मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है, जो लगभग 20 लाख स्कायर मीटर सड़क की सरफेस के बराबर है। इस वजह से वर्जिन मैटिरियल की खपत घट गई है। अब इसकी खपत मात्र 10 फीसदी ही रह गई है।

    गडकरी ने कहा कि इस तरीकों को अपनाने से, फ्यूल की खपत और ग्रीनहाउस गैस के प्रभावों दोनों को काफी कम कर दिया है। ये तकनीक कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में भी योगदान दे रही है।

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