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    Datsun GO, GO+ CVT Review: नए गियरबॉक्स के साथ ट्रैफिक की परेशानी करेंगी कम

    By Ankit DubeyEdited By:
    Updated: Wed, 02 Oct 2019 12:12 PM (IST)

    डैटसन गो और गो प्लस के इंजन में कंपनी ने कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन CVT गियरबॉक्स के चलते कंपनी ने इसके पावरआउटपुट में थोड़े बदलाव जरूर किए हैं

    Datsun GO, GO+ CVT Review: नए गियरबॉक्स के साथ ट्रैफिक की परेशानी करेंगी कम

    नई दिल्ली, अंकित दुबे। Datsun कंपनी साल 2013 में भारत में आई और 2014 में कंपनी ने GO को लॉन्च किया। लॉन्च के बाद से ही दिल्ली जैसे शहरों में ये GO काफी फेमस होती गई। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बजट सेगमेंट की कार है। इसी के बाद कंपनी ने साल 2015 में अपनी Datsun GO+ को लॉन्च किया। ग्लोबल NCAP के क्रैश टेस्ट में 0 रेटिंग मिलने के बाद डैटसन गो की डिमांड गिरती गई और फिर कंपनी ने 2018 में दोनों ही गाड़ियों के स्टाइलिंग और फीचर्स में बड़े अपडेट करके फेसलिफ्ट मॉडल लॉन्च किए, उस समय कंपनी ने इनमें सिर्फ मैनुअल गियरबॉक्स ही उतारा था, लेकिन अब ऑटोमैटिक की डिमांड बढ़ने के चलते कंपनी अब इन्हें CVT में भी उतार रही है। इससे पहले हमें उम्मीद थी कि कंपनी इन गाड़ियों में रेनो वाले ऑटोमैटिक गियरबॉक्स शामिल कर सकती है, लेकिन कंपनी की रणनीति कुछ अलग ही निकलकर सामने आई।

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    डैटसन गो और गो प्लस के इंजन में कंपनी ने कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन CVT गियरबॉक्स के चलते कंपनी ने इसके पावरआउटपुट में थोड़े बदलाव जरूर किए हैं। Go चलाने के दौरान इसके CVT का ज्यादा Amout में लैग देता है। शुरुआती पिकअप इसका ठीक ठाक है, लेकिन जैसे ही इसमें हल्का सा एक्सेलेरेटर देते हैं तो रबर बैंड प्रभाव आपको तुरंत पता चलने लगेगा। हालांकि, इसमें गियर शिफ्टिंग काफी साइलेंट नजर आते हैं और शहर में आपको इसे चलाने में मजा जरूर आता है। लेकिन, जैसे ही आप इसे ओवरटेक करने के लिए एक्सेलेरेटर देंगे तो आपको थोड़ी पावर की कमी महसूस होगी। हालांकि, इसे भी काउंटर करने के लिए कंपनी ने इसमें स्पोर्ट मोड दिया है जो कि गियर लिवर के नीचे एक छोटे से बटन के जरिए ऑन कर सकते हैं।

    स्पोर्ट मोड में जाते ही इसका रबर बैंड का प्रभाव थोड़ा कम होता है, लेकिन इंजन का rpm बढ़ जाता है। गियरशिफ्टिंग इसमें 4500 rpm से 5000 rpm पर महसूस होती है। इस दौरान केबिन में भी रोड, ट्रैफिक और इंजन का काफी ज्यादा शोर सुनाई देता है, जो कि इसके लिए एक माइनस प्वाइंट साबित होता है। कुल मिलाकर, शहरों में चलाने में इसे काफी मजा आएगा और हाईवे पर यह थोड़ा निराश कर सकती है।

    इसमें दिया गया CVT उन लोगों के लिए सही साबित होगा जो शहरों के ट्रैफिक से परेशान हैं और रोजाना 1 से 2 घंटे का आरामदायक सफर चाहते हैं। सबसे खास बात गो का CVT वेरिएंट 20.07 kmpl का माइलेज देने का दावा करता है, जो कि मैनुअल वेरिएंट के 19.72 kmpl से ज्यादा है।

    गो प्लस की बात करें तो यह एक 7 सीटर हैचबैक है और इसका सबसे बड़ा मुकाबला रेनो ट्राइबर से होगा, जिसमें फिलहाल मैनुअल गियरबॉक्स है। गो प्लस ट्राइबर से ज्यादा पावरफुल है, लेकिन ट्राइबर में गो प्लस के मुकाबले स्पेस बहुत ज्यादा मिलता है। गो प्लस का CVT वेरिएंट मुझे चलाने में गो से ज्यादा पसंद आया और इसमें रबर बैंड का प्रभाव इतना नहीं फील होता। हालांकि, ओवरटेक करने पर इसके पावर में भी कमी महसूस होती है और कंपनी ने इसके CVT में भी स्पोर्ट मोड दिया है। जिसमें इसका थ्रोटल रिस्पांस आक्रामक हो जाता है और rpm भी बढ़ जाता है, लेकिन चलाने के दौरान रबर बैंड प्रभाव कम महसूस होता है। भले ही थ्रोटल देने पर इसका रिस्पांस आपको धीमे मिले, लेकिन इसे आप समान गति पर पूरे दिन चला सकते हैं।

    बॉडी रोल भी इसका ठीक है और दोनों गाड़ियों का सस्पेंशन काफी मजबूत लगता है, जिसके चलते आप ऊबड़ खाबड़ सड़कें आसानी से पार कर सकते हैं। सिटी ड्राइव के लिए गो प्लस भी एक अच्छा विकल्प है, लेकिन अगर हाईवे पर इसकी परफॉर्मेंस आक्रामक चाहते हैं, तो यहां आपको थोड़ी निराशा मिल सकती है। स्पोर्ट मोड भले ही कंपनी इनमें ऑफर कर रही है, लेकिन आप इन दोनों से स्पोर्ट्स कार जैसी परफॉर्मेंस की उम्मीद नहीं रख सकते। गो प्लस CVT 19.41 kmpl के माइलेज का दावा करती है, जबकि मैनुअल ट्रांसमिशन में यह 19.72 kmpl ऑफर कर रही है।

    दोनों के केबिन फीचर्स वैसे ही हैं जैसे समान पिछले साल लॉन्च किए थे। गो प्लस में बीज और ब्लैक कलर का मिक्स इंटीरियर मिलता है, तो गो में सिर्फ ऑल ब्लैक केबिन दिया गया है। इसके अलावा दोनों ही गाड़ियों में आपको 7-इंच का टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट सिस्टम मिलता है, जो कि एप्पल कारप्ले और एंड्रायड ऑटो से लैस है।

    सेफ्टी फीचर्स की बात करें तो दोनों ही गाड़ियों में डुअल एयरबैग्स, ABS के साथ EBD और ब्रेक असिस्ट, रियर पार्किंग सेंसर्स, ड्राइवर और पैसेंजर सीटबेल्ट रिमाइंडर स्टैंडर्ड दिए गए हैं। इसके अलावा दोनों ही कार प्री-फेसलिफ्ट मॉडल के मुकाबले मजबूत बनाई गई हैं और इसमें साइड क्रैश और पैदल यात्री सुरक्षा नियमों के अनुरूप बनाया है, जो कि कंपनी की ओर से एक बड़ा कदम साबित होता है।

    दोनों गाड़ियों के एक्सटीरियर में बड़े हेक्सागनल ग्रिल के साथ मोटे क्रोम साउंड्स दिए हैं। नए स्वेप्टबैक हेडलैंप्स भी ब्लैक हाईलाइट्स की स्टाइलिंग के साथ आते हैं। इसका फ्रंट बंपर भी नया है और यह काफी बोल्ड लुक देती है। इसमें नए LED डेटाइम रनिंग लाइट्स मिलती हैं। साइड से भी ये काफी कॉम्पैक्ट नजर आती है। यानी कुल मिलाकर इसका एकस्टीरियर समान वैसा ही है जैसा कंपनी ने इसे पिछले साल लॉन्च किया था।

    CVT वेरिएंट्स कंपनी दोनों गाड़ियों के टॉप वेरिएंट्स में शामिल करेगी, जिसके चलते गो और गो प्लस दोनों ही गाड़ियों के CVT मॉडल की कीमत 6.50 लाख रुपये के नीचे ही मानी जा रही है। हमें उम्मीद है कि कंपनी इनकी कीमतों में मैनुअल टॉप वेरिएंट से करीब 50,000 रुपये तक की ही बढ़ोतरी करेगी।

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