E20 Fuel का पुरानी कारों के इंजन पर क्या होगा असर? यहां जानिए सभी नफा-नुकसान
नए नियमों के अनुसार सभी वाहनों के पॉवरट्रेन E20 फ्यूल से संचालित होने चाहिए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि उन वाहनों का क्या होगा जो पहले से चलते आ रहे हैं। आइए इस कनफ्यूजन को दूर कर लेते हैं। (फाइल फोटो)।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत सरकार ने हाल ही में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर काबू पाने के लिए देश भर में BS6 फेज-2 मानदंड लागू किए हैं। ऐसे में, सभी ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने भी अपने प्रोडक्ट्स को BS6 फेज-2 संगत पावरट्रेन के साथ अपडेट किया है।
नए नियमों के अनुसार सभी वाहनों के पॉवरट्रेन E20 फ्यूल से संचालित होने चाहिए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि उन वाहनों का क्या होगा जो पहले से चलते आ रहे हैं। आइए इससे संबंधित सभी कन्फ्यूजन को दूर कर लेते हैं।
पुराने वाहनों का क्या होगा?
भारतीय सड़कों पर कई पुराने वाहन दौड़ रहे हैं, जो BS6 फेज-2 संगत पावरट्रेन से लैस नहीं हैं। हालांकि, ये पुराने वाहन E20 ईंधन पर चल सकते हैं। E20 ईंधन में 20 प्रतिशत इथेनॉल होता है। इसका मतलब है कि आप जो 1 लीटर पेट्रोल या डीजल भरते हैं, उसमें 200 एमएल इथेनॉल होगा है। इसे पेट्रोल या डीजल के विपरीत गन्ने से बनाया जाता है। ऐसे में पुराने वाहन ऑउटडेटेड पॉवरट्रेन होने की वजह से कम माइलेज दे सकते हैं।
E20 फ्यूल कितना फायदेमंद?
E20 ईंधन को मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए अपनाया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नियमित पेट्रोल या डीजल की तुलना में E20 ईंधन कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करता है। उसके ऊपर, बढ़ी हुई इथेनॉल सामग्री भारत की अन्य कच्चे तेल समृद्ध देशों पर निर्भरता को भी कम कर देता है।
E20 फ्यूल के नुकसान
पुराने वाहनों को नए E20 ईंधन पर चलने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है, इसलिए उनकी परफॉरमेंस कम हो सकती है। जानकारों के अनुसार, नए E20 ईंधन पर चलने वाली पुरानी कारों की फ्यूल इकॉनमी 7 प्रतिशत तक गिर सकती है। इसके अलावा, ईंधन में इथेनॉल मिश्रण के चलते पुराने इंजन के पुर्जे तेजी से खराब हो सकते हैं।