Second Hand Car: खरीदने जा रहे हैं सेकेंड हैंड कार, तो पहले जान लीजिए क्या-क्या हैं नुकसान?
Second Hand Car खरीदने से पहले को खुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। दरअसल पुरानी कार में ऐसी कई चीचे देखने के लिए मिल सकती है जिन्हें आगे ठीक करवाने में आपको काफी पैसा खर्च करना पड़ सकता है। जिसे देखते हुए हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि सेकेंड हैंड कार खरीदने के 5 नुकसान क्या है।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। हाल के समय में सस्ती सेकेंड हैंड गाड़ियों की डिमांड पहले से ज्यादा बढ़ गई है। लोग नई कार खरीदने के बजाय सेकेंड हैंड कार खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी रख रहे हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह इनका सस्ता होना है। पुरानी कार का दाम कम होने के साथ ही लोगों को इसपर लगने वाले रोड टैक्स को भी नहीं देना पड़ता है। वहीं, बजट में यह फिट भी बैठती है,जिसकी वजह से बहुत से लोग अब सकेंड हैंड कार खरीदना ज्यादा प्रीफर कर रहे हैं। हालांकि, सेकेंड हैंड कार खरीदने के नुकसान भी हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना आपको आगे चलकर भारी पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि सेकेंड हैंड गाड़ी लेने के क्या नुकसान है।
1. कार की कंडीशन
सेकेंड हैंड कार की सही कंडीशन का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। कई बार गाड़ी के इंजन, ट्रांसमिशन, ब्रेक, और दूसरे मेन पार्ट्स में ऐसी खराबी मिल सकती है, जो कार लेने के दौरान तो नहीं दिखाई दें। इन खामियों के बारे में कई बार बाद में पता चलता है, जिसे ठीक करवाना आपके लिए काफी मंहगा पड़ सकता है।
2. सर्विस रिकॉर्ड और मेंटेनेंस
नई कार खरीदने पर कंपनियां उसकी वारंटी से लेकर रेगुलर सर्विस के बारे में बताया जाता है, जबकि सेकेंड हैंड कार में ऐसी जानकारी पूरी तरह से नहीं मिलती है। इसका आपको सही से पता नहीं चलता है कि पुराने कार मालिक ने गाड़ी की सही से देखभाल की है या फिर नहीं। अगर गाड़ी की सही से मेंटेनेस नहीं की जाए तो वह जल्द ही खराब हो सकते हैं।
3. कितने किलोमीटर चली गाड़ी
कई बार ऐसा देखने के लिए मिला है कि लोग अपनी कार के किलोमीटर रीडिंग में फेरबदल करके उसे दूसरे को बेच देते हैं। जिसकी वजह से खरीदने वाले को गलतफहमी हो सकती है कि गाड़ी को कम चलाया गया है, जबकि असल में उसे ज्यादा चलाया गया होता है। जिसका सीधा असर उसकी फिटनेस पर पड़ता है।
4. एक्सीडेंट और ड्राइविंग हिस्ट्री
सेकेंड हैंड कार के पिछले मालिक से इस बात का पता नहीं चलता है कि वह उसका एक्सीडेंट कितनी बार हुआ है या फिर उसमें किसी तरह की गंभीर समस्या तो नहीं है। अगर ऐसा कुछ रहता है तो गाड़ी खरीदने वाला बाद में चलकर काफी परेशान हो सकता है। दरअसल, एक्सीडेंट के बाद गाड़ी में कई तरह की खामी आ जाती है, जो बाद में बड़े खर्चे की वजह बन सकती है।
5. रीसेल वैल्यू
अगर सेकेंड हैंड कार में किसी तरह की कोई खामी रहती है, तो इसकी रीसेल वैल्यू भी कम हो जाती है। इसके साथ ही सेफ्टी फीचर्स और टेक्नोलॉजी सेकेंड हैंड कार में नई गाड़ी की तुलना में पुराने और कम हो सकते हैं। इसकी वजह से आपको उसमें कम सेफ्टी मिल सकती है।
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