Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Tyres Buying Tips: नया टायर खरीदते वक्त भूलकर भी न करें ये मिस्टेक, सेफ्टी के लिए ध्यान रखना जरूरी

    जिस तरह किसी भी चीज की लंबी लाइफ के लिए उसका ढंग से रखरखाव करना जरूरी होता है। ठीक वैसे ही टायरों की देखभाल भी बहुत जरूरी है। टायरों के लिए एक निश्चित लाइफ निर्धारित की जाती है। हर पांच से छह साल में टायर बदलने की सलाह दी जाती है भले ही उनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल न किया गया हो।

    By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Sun, 07 Jul 2024 08:00 PM (IST)
    Hero Image
    टायर किसी भी वाहन के परफॉर्मेंस को प्रभावित करते हैं।

    ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी वाहन के लिए जितना जरूरी उसका इंजन, डिजाइन और फीचर्स होते हैं, उससे कहीं ज्यादा मायने रखता है कि वाहन में टायर कैसे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। वाहन के परफॉर्मेंस को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए जरूरी है कि गाड़ी या बाइक में अच्छी क्वालिटी के टायर हों।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन, अक्सर होता है कि बहुत से लोग टायरों को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं। जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है। यहां बताने वाले हैं कि नए टायर खरीदते वक्त क्या मिस्टेक भूलकर भी नहीं करनी चाहिए और किन चीजों का इस दौरान खास ख्याल रखना चाहिए।

    टायर की लाइफ और रखरखाव

    जिस तरह किसी भी चीज की लंबी लाइफ के लिए उसका ढंग से रखरखाव करना जरूरी होता है। ठीक वैसे ही टायरों की देखभाल भी बहुत जरूरी है। टायरों के लिए एक निश्चित लाइफ निर्धारित की जाती है। हर पांच से छह साल में टायर बदलने की सलाह दी जाती है, भले ही उनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल न किया गया हो।

    समय के साथ टायरों में दरारें पड़ सकती हैं और रबर कंपाउंड सख्त हो जाता है। इसलिए टायर खरीदते वक्त जरूर पता करें कि उसकी लाइफ कितनी है और देखभाल के लिए क्या करना होता है।

    कॉन्टेक्ट पिच और टायर की चौड़ाई चेक करें

    नया टायर खरीदते वक्त कॉन्टेक्ट पिच और टायर की चौड़ाई को अच्छी तरह से चेक करना बहुत जरूरी होता है। कॉन्टेक पिच उसे कहा जाता है जो टायर के नीचे वाला सर्फेस होता है। वही डिसाइड करता है कि सड़क और टायरों के बीच संपर्क कैसा होगा। वहीं, टायर की चौड़ाई भी खरीदारी के वक्त बहुत मायने रखती है।

    ध्यान रखें कि चौड़े टायर ग्रिप, कॉर्नरिंग और ब्रेकिंग को बेहतर बनाते हैं लेकिन रोलिंग प्रतिरोध को भी बढ़ाते हैं, जो फ्यूल एफिशिएंसी को प्रभावित करता है।

    ब्रांड की पहचान करें

    यूं तो मार्केट में अनेकों कंपनियां हैं जो टायर का बिजनेस करती हैं। कुछ तो ऐसे ब्रांड है जो बहुत कम कीमत में ही टायर बेचते हैं। लेकिन उनकी क्वालिटी बहुत घटिया होती है। ऐसे टायर दुकानों पर बड़ी आसानी से मिल जाते हैं और बहुत से लोग पैसे की बचत के चक्कर में इन्हें खरीद लेते हैं। लेकिन बाद इसका खामियाजा भुगतान पड़ता है। इसलिए टायर खरीदते वक्त हमेशा क्वालिटी और ब्रांड के बारे में अच्छे जांच करें और चंद पैसे बचाने के चक्कर में घटिया क्वालिटी का टायर बिल्कुल भी न खरीदें।

    मैन्युफैक्चरिंग डेट चेक करें

    मैन्युफैक्चरिंग डेट चेक करना नया टायर खरीदते एक जरूरी काम है। इसलिए ज्यादा पुराना टायर हो तो उसे नहीं खरीदना चाहिए। टायर पर मैन्युफैक्चरिंग डेट अगर हाल-फिलहाल की है तो उसे खरीद सकते हैं। टायरों पर आमतौर पर लिखा होता है कि वह किस कंपनी ने बनाएं हैं और उनका साइज क्या है।

    एक्सपर्ट से सलाह लें

    किसी भी चीज के लिए एक्सपर्ट की सलाह बहुत मायने रखती है। ऐसे में नया टायर खरीदते वक्त एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। ऐसा करने से कई तरह के फायदे होते हैं। साथ ही वाहन में टायर बदलवाते समय भी कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

    ये भी पढ़ें- ई-चालान के जरिए बैंक अकाउंट खाली कर रहे साइबर ठग, जानें कैसे करें असली-नकली की पहचान