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    कार के टायर्स को ऐसे रखें सेफ, जानें कब जरूरी है व्हील एलाइनमेंट

    By Sajan ChauhanEdited By:
    Updated: Fri, 25 Sep 2020 07:40 AM (IST)

    जिस प्रकार का पूरी कार का ख्याल रखना जरूरी होता है। ठीक उसी प्रकार से कार के टायर्स का मेंटेनेंस भी बहुत ज्यादा जरूरी होता है। टायर्स कार की जान होते हैं और सेफ्टी और परेशानी मुक्त ड्राइविंग के लिए इन टिप्स को फॉलो करें। (फोटो साभार Maruti Suzuki)

    tyre maintenance tips (फोटो साभार: Maruti Suzuki)

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। कार के टायर्स का पूरी तरह से ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी होता है, जितना की पूरी कार का ख्याल रखना जरूरी होता है। टायर्स का ख्याल रख कर आप यह सुनिश्चित कर पाते हैं कि बीच रास्ते में कभी भी कार के टायर्स धोखा नहीं देंगे। यहां हम आपको उन चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनके जरिए आप कार के टायर्स में आने वाली दिक्कतों को पहचान सकते हैं।

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    टायर्स की जांच: अगर आप सही से टायर्स की जांच करते हैं तो इससे आप टायर को खराब होने से पहले ही पहचान सकते हैं। किसी भी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए टायर की परत और साइडवॉल की जांच करें। टायर पर लगे कट, दरार और उभार को पहचानें। इसी के साथ आंतरिक सतह की भी जांच करें। पत्थरों, कांच या अन्य मलबे के कारण टायर में होने वाली दरारें समय के साथ बड़ सकती हैं, जिसके चलते टायर्स खराब हो जाते हैं। इसी के साथ रिम्स की भी जांच करें, क्योंकि खराब रिम की वजह से टायर खराब हो सकते हैं। जरूरत पड़ने पर रिम को जल्द से जल्द बदल दीजिए।

    व्हील एलाइनमेंट और बैलेंसिंग: व्हील एलाइनमेंट और बैलेंसिंग टायर्स के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होती है। अगर आपकी कार एक ओर जा रही है या ठीक प्रकार ड्राइविंग नहीं हो रही है या फिर स्टीयरिंग में कंपन हैं तो व्हील एलाइनमेंट इन परेशानियों को ठीक कर सकता है। स्टीयरिंग कंपन असंतुलित टायर की वजह से होती है तो इसे ठीक करने के लिए व्हील बैलेंसिंग बहुत ज्यादा जरूरी है। इसका बैलेंस करने के लिए व्हील को तेज स्पीड में रोटेट किया जाता है। वजन को फिर से बैलेंस करने के लिए रिम में जोड़ा जाता है। प्रति 10 हजार किमी पर अपने टायर को बैलेंस करवाना चाहिए।

    टायर प्रेशर की जांच: टायर प्रेशर की जांच के लिए सलाह दी जाती है कि प्रत्येक 2 सप्ताह बाद हवा के प्रेशर की जांच होनी चाहिए। इससे पंचर होने और टायर के फंटने की संभावना खत्म हो जाती है। अगर टायर में हवा का प्रेशर अधिक है तो इससे टायर फटने का खतरा पैदा होता है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टायर्स में प्रेशर चेक करने से पहले टायर्स ठंडे होने चाहिए।

    टायर की समय सीमा की पहचान: टायर के बाहरी ओर एक छोटे से तीर द्वारा टायर की समय पहचान होती है। अगर टायर को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि टायर कब खत्म होने वाला है। अगर टायर की सबसे बाहरी परत ट्रेड वियर इंडिकेटर को छू रही है तो अब समय आ गया है कि टायर बदलना चाहिए। 2 मिमी से कम गहराई वाले टायर को जल्द से जल्द बदलना चाहिए।

    टायर बदलना: टायर्स का एक जगह से दूसरी जगह में बदलना टायर्स की बराबरी के लिए सबसे अच्छा तरीका है। इससे टायर्स की लाइफ में भी इजाफा होता है। टायर का घूमना वाहन के प्रकार पर भी निर्भर करता है जैसे फ्रंट-व्हील ड्राइव, रियर-व्हील ड्राइव या फोर-व्हील ड्राइव। टायर्स की बेहतरी के लिए प्रति 10 हजार किमी पर व्हील रोटेशन की सलाह दी जाती है।