Disc vs Drum Brakes: स्कूटर या बाइक कौन-सा है बेहतर और क्यों?
Disc vs Drum Brakes ड्रम ब्रेक और डिस्क ब्रेक के बीच के अंतर के बारे में बता रहे है। ड्रम ब्रेक पुराने स्कूटर और 100cc बाइक में इस्तेमाल होते थे जो सस्ते और कम झंझट वाले होते थे। डिस्क ब्रेक मॉडर्न टेक्नोलॉजी है जिसमें स्टॉपिंग पावर ज्यादा और कंट्रोल बेहतर होता है। हाई-स्पीड बाइक्स में डिस्क ब्रेक लगाए जाते हैं।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने पुरानी स्कूटर या 100cc बाइक चलाई है, तो आपने शायद ड्रम ब्रेक का ही इस्तेमाल किया होगा। सालों तक यही हमारे टू-व्हीलर्स का स्टैंडर्ड रहा। ये सस्ते थे, झंझट कम था और खराब सड़कों पर भी काम चला लेते थे। लेकिन वक्त बदल गया है। आज शहर की सड़कों पर भी डिस्क ब्रेक वाले स्कूटर और बाइक्स आम हो चुके हैं। तो सवाल ये है कि आपके लिए सही विकल्प कौन सा है?
ड्रम ब्रेक कैसे काम करता है?
ड्रम ब्रेक का मैकेनिज्म सीधा है। व्हील के साथ घूमता हुआ ड्रम, और उसके अंदर ब्रेक शूज़। जैसे ही आप ब्रेक दबाते हैं, शूज़ ड्रम की दीवार से रगड़ खाते हैं और व्हील की स्पीड कम हो जाती है। इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं ड्रम ब्रेक में एक सिलेंडर (ड्रम) होता है जो पहिए के साथ घूमता है। इसके अंदर ब्रेक शूज़ लगे होते हैं जिन पर घर्षण वाली लाइनिंग होती है। जैसे ही आप ब्रेक लगाते हैं, शूज़ बाहर की ओर फैलते हैं और ड्रम की इनर सतह से रगड़ खाते हैं। इस घर्षण से पहिया धीमा हो जाता है।
डिस्क ब्रेक कैसे काम करता है?
डिस्क ब्रेक थोड़ा मॉडर्न टेक्नोलॉजी है। एक रोटर (डिस्क) और कैलिपर में लगे पैड्स। ब्रेक दबाते ही पैड्स डिस्क को पकड़ लेते हैं और व्हील की स्पीड घट जाती है। इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि डिस्क ब्रेक में एक फ्लैट डिस्क (रोटर) होती है, जो व्हील हब से जुड़ी होती है। इसके ऊपर कैलिपर लगे होते हैं, जिनमें ब्रेक पैड्स फिट रहते हैं। जैसे ही आप ब्रेक लगाते हैं, हाइड्रॉलिक प्रेशर पैड्स को डिस्क पर दबाता है और रोटर क्लैम्प होता है। इससे पहिए की रफ्तार कम हो जाती है। इसमें स्टॉपिंग पावर ज्यादा, कंट्रोल बेहतर और गीली सड़कों पर भी भरोसेमंद परफॉर्मेंस मिलती है।
किसकी ब्रेकिंग पावर ज्यादा है?
डिस्क ब्रेक की स्टॉपिंग पावर ड्रम से कहीं ज्यादा होती है। यही कारण है कि हाई-स्पीड बाइक्स और परफॉर्मेंस वाहनों में हमेशा डिस्क ब्रेक लगाए जाते हैं। हालांकि, डिस्क ब्रेक महंगे होते हैं, जबकि ड्रम ब्रेक बजट-फ्रेंडली होते हैं। साफ कहें तो डिस्क ब्रेक ड्रम से कहीं आगे है। अगर आप हाईवे पर बाइक चला रहे हैं और अचानक कोई गाड़ी सामने आ जाए, तो डिस्क आपको रोकने का असली भरोसा देगा। ड्रम यहां कमजोर पड़ जाता है।
मेंटेनेंस और खर्च
ड्रम ब्रेक लंबे समय तक चलते हैं और इनकी सर्विसिंग भी आसान व सस्ती है। दूसरी तरफ डिस्क ब्रेक सिस्टम थोड़ा जटिल होता है, और इसकी मरम्मत महंगी पड़ सकती है। लेकिन भरोसेमंदी की बात करें तो दोनों ही सिस्टम भरोसेमंद हैं, बस उपयोग और जरूरत पर निर्भर करता है। यहां ड्रम ब्रेक जीत जाते हैं। छोटे-मोटे कस्बे में भी मैकेनिक ड्रम खोलकर सर्विस कर देता है। डिस्क की सर्विसिंग उतनी आसान नहीं है और खर्चा भी ज्यादा है। लेकिन अगर आप सेफ्टी को प्रायोरिटी देते हैं, तो ये खर्च बुरा नहीं लगेगा।
CBS और ABS का रोल
- CBS (Combined Braking System): इसमें पीछे का ब्रेक दबाते ही थोड़ा फोर्स आगे के ब्रेक पर भी जाता है। मतलब नए राइडर्स भी बैलेंस्ड तरीके से ब्रेक लगा पाते हैं।
- ABS (Anti-lock Braking System): जब आप अचानक जोर से ब्रेक लगाते हैं, ABS पहिए को लॉक होने से बचाता है। यानी बाइक स्किड नहीं करेगी और आप कंट्रोल में रहेंगे।
- सरकार ने भी साफ कर दिया है कि 2026 से हर नई बाइक और स्कूटर में ABS जरूरी होगा। इसका मतलब आने वाले वक्त में डिस्क + ABS कॉम्बिनेशन आम हो जाएगा।
क्या डिस्क से स्किड ज्यादा होता है?
बहुत लोग सोचते हैं कि डिस्क ज्यादा फिसलाती है। सच ये है कि फिसलन का कारण डिस्क नहीं, बल्कि खराब रोड, टायर का ग्रिप और आपकी ब्रेकिंग टेक्निक होती है। ABS लगने के बाद ये रिस्क और भी कम हो जाता है।
क्या ड्रम से डिस्क में बदल सकते हैं?
हाँ, मार्केट में किट्स मिलते हैं। लेकिन ये कोई आसान काम नहीं है। कई पार्ट्स चेंज करने पड़ सकते हैं। अगर आप नई बाइक लेने वाले हैं, तो फैक्ट्री-फिटेड डिस्क और ABS वाला वेरिएंट ही लें।
खरीदते वक्त याद रखने वाली बातें
- कम से कम फ्रंट डिस्क ब्रेक जरूर लें।
- बाइक में देखें कि ABS भी दिया जा रहा हो।
- बाइक में अच्छी क्वालिटी के टायर लहगे हुए हो।
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