Car Buying Tips & Guide : कारों में सनरूफ फीचर है या फैशन, जानिये इसके फायदे और नुकसान!
Car Buying Tips Guide सनरूफ़ गाड़ियों का एक प्रीमियम फीचर बन चुका है लोग इसे इतना पसंद करते हैं कि कई बार डील ब्रेकर साबित होता है। लेकिन क्या भारतीय मौसम के हिसाब से सनरूफ़ वाली गाड़ियो की जरूरत है? आइए जानते हैं सनरूफ़ फीचर के फायदे - नुकसान।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। आज कल ज्यादातर लोग अपनी कार में इलेक्ट्रिक सनरूफ़ के फीचर को लेना पसंद करते हैं। शुरुआती दौर में ये फीचर केवल लग्जरी और महंगी गाड़ियो में ही आता था। लेकिन सनरूफ़ कारों की डिमांड को देखते हुए ऑटो मेनुफैक्चरिंग कंपनियो ने अपनी कम बजट वाली गाड़ियो में भी ये फीचर देना शुरू कर दिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं की इंडिया के अलग अलग हिस्सों में साल के दस महीने गर्मी का मौसम ही रहता है। जहां 40 से 45 डीग्री तापमान होना सामान्य है। सनरूफ़ का मुख्य उद्देश्य सिर्फ हवा में खड़े होकर सेल्फ़ी लेना ही नहीं बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य ड्राइविंग करते टाइम सूरज की रोशनी साथ ही फ्रेश एयर लेना भी है या फिर सुहाने मौसम का मज़ा लेना भी है। क्योंकि कार की विंडो से सीधे बहुत तेज आवाज वाली हवा अंदर आती है। जो आपको अच्छा महसूस नहीं कराती है। लेकिन, गर्मी के मौसम में आप सनरूफ नहीं खोल सकते, सर्दी भी जितने दिन भी सर्दी होती है वो भी काफी होती है ऐसे में आप अपनी कार का सनरूफ़ खोल कर ठंड का मजा भी नहीं ले सकते हैं। रही बात बारिश के मौसम की तो उस मौसम में कार का सनरूफ़ खोलना आप सोच भी नहीं सकते हैं। आज हम इस लेख के जरिये समझने की कोशिश करते हैं कि क्या वाकई में भारत जैसे देश में सनरूफ वाली कार खरीदना एक फायदे का सौदा है।
महंगा फीचर : लग्जरी लुक्स देने वाला ये फीचर आपको स्टार्टिंग में बहुत अटरैक्ट करता है। जिससे आप इसे बार-बार खोलते हैं बंद करते हैं । लेकिन अगर ये एक बार खराब हो जाता है तो जल्दी सही नहीं होता । अगर आप इसे सही करवाते हैं तो इसके लिए आपको ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ती है। फिर आपके पास दो ही ऑप्शन रह जाते हैं। पहला की आप या तो ज्यादा रुपये खर्च करें, दूसरा की सनरूफ़ बंद करवा लें । ज़्यादातर लोग इससे परेशान होकर बाद मे इसको बंद ही करा लेते हैं ।
वास्तविक प्रयोग : इंडिया के वैदर कंडिशन को ध्यान में रखते हुए सनरूफ़ फीचर का इतना कोई खास उपयोग है नहीं । जो कि एक डील ब्रेकर साबित हो सके। अगर हम इसके असल उपयोग की बात करें, तो ठंडे प्रदेश के लिए ये फीचर ठीक है। क्योंकि आप ड्राइविंग करते टाइम धूप का मजा ले सकते हैं। लेकिन, गर्मी के मौसम में इन गाड़ियो के एसी पर ज्यादा लोड पड़ता है। केबिन को ठंडा करने मे भी ज्यादा टाइम लगता है। तो गर्मी में आप इसका उपयोग कर नहीं सकते। रही बात ठंडों की तो ब्लोवर की एयर भी प्रभावित होती है अगर आप सनरूफ़ खुला छोड़ते हैं।
लीकेज : बार बार सनरूफ़ का प्रयोग करने से कई बार इसकी फिटिंग में फर्क आ सकता है, जिससे बारिश के मौसम मे अगर आप गाड़ी लेकर निकलते हैं तो उसमें पानी का रिसाव हो सकता है । फिर चाहे आप बाहर से उसमें सीलिंग रबर लगवाएं या कोई और उपाय करें समस्या ज्यों की त्यों बनी रह सकती है।
रिसेल वैल्यू : जब भी आप कार लेते हैं । उसे 4 या 5 साल तक चलाते ही हैं। लेकिन, जब आप उसे बेचने की सोचते है तो यही फीचर जिसे देख कर आपने कार खरीदी थी । उसी के चलते आपको कार के सही दाम नहीं मिलते। क्योंकि लगातार सनरूफ के उपयोग से वो खराब हो जाती है। साथ ही उसमें एक गैप या जंक भी देखने को मिलती है, जो आपकी कार की कीमत को औटोमैटिकली कम कर सकती है। हालांकि आप इसको बाज़ार से दुरुस्त करा कर भी अपनी कार बेच सकते हैं। शायद आपको इसकी वजह से फायदा हो जाए।
बेवजह आवाज : जब सनरूफ़ को कंपनी द्वारा लगाया जाता है। तो इसे अच्छे से पैक किया जाता है। जो समय के साथ सारे मौसम को झेलते हुए कमजोर होने लगती है। जिससे जब आप हाइवे पर तेज रफ्तार में उड़ान भरने की कोशिश करते हैं। तो ये अंदर बैठे लोगों को एक बेवजह शोर लगता है जो आपके सफर का मजा खराब कर सकती है। इस आवाज से ड्राइवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है ।
इंडिया में सनरूफ़ गाड़ी लेना एक फैशन हो गया है। लोग इम्पोर्टेंट सेफ़्टी फीचर जैसे एयर बैग आदि को दरकिनार करके सनरूफ़ के पीछे पढ़ चुके हैं । कुछ लोग तो गाड़ी खरीदने के बाद भी अपनी गाड़ी में बाज़ार से सनरूफ़ लगवा लेते हैं। जो कि पूरी तरह गलत है। हालांकि, बहुत से लोग ट्रेंड के साथ चलना पसंद करते हैं और सनरूफ वाली गाड़ी लेते हैं। दरअसल, ये पूरी तरह आप पर निर्भर करता है की आप कौन सी गाड़ी लेना चाहते है जो आपको हर तरह से आपके लिए परिपूर्ण हो या फिर बस कुछ दिनों का क्रेज हो।