गाड़ी को और भी महंगी कर देते हैं ये गैर जरूरी फीचर्स, हकीकत में इनका इस्तेमाल न के बराबर
अतिरिक्त एक्सेसरीज के चलते आपके कार की मूल कीमत से अधिक रुपया लग जाता है वहीं गाड़ी में कई ऐसे भी गैर जरूरी फीचर्स होते हैं जिनका इस्तेमाल न बराबर होता है और उनकी कीमत लाखों में होती है।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। गाड़ी में मौजूद बहुत से एक्सेसरीज ऐसे भी होते हैं जिनका रियल वर्ड में इस्तेमाल न के बराबर होता है। ऐसे में जब भी कोई नहीं गाड़ी खरीदने जाएं तो कोशिश करें इन एक्सेसरीज को न लें, इससे आपके लाखों रुपये बच सकते हैं। अगर आप शौक में ले रहे हैं तो फिर कोई बात ही नहीं है। आइये जानते हैं गाड़ी में मौजूद 5 गैर जरूरी फीचर्स के बारे में...
ऑटोमैटिक सीटबेल्ट
ऑटोमैटिक सीटबेल्ट भी गैर जरूरी फीचर है। बढ़ती टेक्नालाजी के साथ ग्राहक भी एडवांस होते जा रहे हैं, ग्राहकों को अधिक सुविधा के लिए ऑटोमैटिक सीटबेल्ट से गाड़ियां बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन अफसोस की बात ये है ही बहुत ही कम लोग इस फीचर का इस्तेाल हमेशा करते हैं।
सैटेलाइट नेविगेशन
अधिकांश कारों में सैटेलाइट नेविगेशन धीमा, गलत और जटिल इंटरफ़ेस से भरा हुआ है और फिर आपको इसके उपयोग के लिए डेली अपडेट करने में समस्या होगी। यही कारण है कि हाई-एंड लग्जरी वाहनों में भी, यात्री बिल्ट-इन सैटेलाइट नेविगेशन का उपयोग करने के बजाय नेविगेशन के लिए Apple CarPlay और Android Auto पर भरोसा करते हैं।
हेडलाइट वाशर और वाइपर
हेडलाइट वाशर और वाइपर फीचर एसयूवी और ऑफरोडर्स के लिए मददगार लग सकता है, जहां हेडलैम्प्स अक्सर कीचड़ और गंदगी से लथपथ हो सकते हैं। लेकिन यह सेडान और हैचबैक के लिए एक नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं लगता है, खासकर जब बहुत सारी कारें अब एलईडी रोशनी के साथ आती हैं जो अंधेरे में पर्याप्त रोशनी देती हैं।
सनरूफ
लोग अक्सर केवल सनरूफ के शौक में थोड़ी महंगी कार खरीद लेते हैं। हालांकि, हकीकत में उस सनरूफ का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है। सनरूफ आमतौर पर एक वाहन में एक अलंकरण होते हैं और अक्सर बच्चे अपना सिर बाहर निकालने के लिए उपयोग किया जाता है, जो कि बेहद जोखिम भरा हो सकता है और इलीगल भी है। यह नहीं भूलना चाहिए कि सनरूफ लगाने से वाहन का हेडरूम भी खत्म हो जाता है।
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