Ketu Upay: मायावी ग्रह केतु को प्रसन्न करने के लिए करें ये अचूक उपाय, जीवन की हर परेशानी होगी दूर
ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह (Ketu Upay) कहा जाता है। मायावी ग्रह राहु और केतु एक राशि में डेढ़ साल तक रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। केतु की कुदृष्टि पड़ने से जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। केतु देव को नवग्रहों में एक रहस्यमयी, लेकिन आध्यात्मिक ऊर्जाओं से भरपूर ग्रह माना गया है। यह भौतिक नहीं, बल्कि आत्मिक यात्रा का प्रतीक है। केतु हमें जीवन के उस मार्ग पर ले जाता है जहां अहंकार समाप्त होता है और आत्मा की शुद्धता प्रकट होती है। यह ग्रह ज्योतिष में हमारे पूर्व जन्मों के संस्कार, रुचियाँ और अधूरे कार्यों से जुड़ा होता है।
केतु देव कभी अचानक वैराग्य दे सकते हैं, तो कभी अप्रत्याशित सफलताएँ। यह ग्रह उच्च अंतर्ज्ञान, अद्भुत कल्पना शक्ति, और भविष्यदर्शी दृष्टि का वरदान देता है पर साथ ही भ्रम, अविश्वास और मानसिक बेचैनी भी दे सकता है।
केतु देव की सच्ची कृपा व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाती है जहां न इच्छा रहती है, न भय। केतु की पूजा, नियम, सेवा और आत्मिक समर्पण से की जाती है, जिससे जीवन के रहस्य खुलते हैं और आत्मा अपनी दिशा पहचानती है।
केतु देव रहस्य, मोक्ष और आध्यात्मिकता के ग्रह माने जाते हैं। जब इनकी स्थिति कुंडली में अशुभ होती है, तो भ्रम, चिंता, और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में केतु दोष की शांति के लिए विशेष पूजन, दान और मंत्र जाप के उपाय बताए गए हैं, जो मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं।
केतु दोष के उपाय
- काले और सफेद कंबल मंदिर में दान करें। कुत्ता पालें या बाहर रहने वाले कुत्तों की सेवा करें।
- अधिक से अधिक कुत्तों को भोजन कराएं। गुरुवार को दिव्यांग व्यक्तियों को मिठाई खिलाएं।
- माथे पर केसर का तिलक लगाएं और गाय की सेवा करें और उसकी देखभाल करें।
- केतु देव की मूर्ति पीतल (Brass) से बनानी चाहिए। अलग-अलग शास्त्रों में केतु देव को विभिन्न रूपों में दर्शाया गया है। इनका रंग धुएं के समान होता है और इनके दो हाथ होते हैं। एक हाथ में गदा होता है और दूसरा आशीर्वाद देने की मुद्रा में होता है। केतु देव का वाहन गधा माना गया है, जो स्थिर गति से चलता है।
- केतु देव की पूजा उनकी मूर्ति के रंग के फूलों और वस्त्रों से करनी चाहिए। साथ ही, सुगंध, अगरबत्ती, दीपक, हवन सामग्री, धूप, गुग्गुल आदि से पूजन करना चाहिए। ग्रह की मूर्ति जिस धातु की हो और उन्हें जो भोजन प्रिय हो, उसे श्रद्धा से दान में देना चाहिए ताकि केतु दोष की शांति हो सके।
- महर्षि पराशर ने कहा है कि केतु के मंत्र का 17,000 बार जाप करना चाहिए।
- केतु के हवन में कुश (Kusha) की लकड़ी का उपयोग करना चाहिए। हवन सामग्री में शहद, घी, दही या दूध मिलाकर आहुति देनी चाहिए। मंत्रों का 108 या 28 बार जप करते हुए हवन करना चाहिए।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। केतु शांति के लिए दाल और चावल से बनी खिचड़ी खिलाना श्रेष्ठ माना गया है। पूजा के बाद यजमान (हवन करने वाला व्यक्ति) अपनी श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा दें और ब्राह्मणों को संतुष्ट करें।
मंत्र जप
आमतौर पर नीचे दिए गए मंत्रों का जप केतु देव के दोष को शांत करने के लिए किया जाता है। इनमें बीज मंत्र को अधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली माना जाता है।
- केतु देव का सामान्य मंत्र:
- “ॐ केतवे नमः”
- केतु देव का बीज मंत्र:
- “ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः”
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लेखक: आनंद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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