Ratna Astrology: इन्हें मिलता है पुखराज पहनने का फायदा, लेकिन पहले जान लें ये नियम

Updated: Tue, 28 Oct 2025 04:08 PM (IST)

ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है। रत्न शास्त्र  में हर ग्रह से संबंधित रत्न भी बताए गए हैं, जिन्हें कुछ नियमों का ध्यान रखकर धारण किया जा सकता है। इससे आपकी कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि पुखराज को धारण करने से आपके जीवन में क्या बदलाव आ सकते हैं।

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Pukhraj benefits in hindi (Picture Credit: Freepik)

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आपने कई लोगों को अंगूठी के तौर पर पुखराज पहने देखा होगा, जो एक पीले रंग के रत्न होता है। इस रत्न (Ratna Jyotish) का संबंध बृहस्पति ग्रह से माना गया है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन लोगों को पुखराज पहनने से फायदा हो सकता है। लेकिन इसे धारण करते समय कुछ नियमों का भी ध्यान रखना भी जरूरी है, तभी आपको इसके लाभ देखने को मिल सकते हैं।

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मिलते हैं गजब के फायदे

ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, पुखराज बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इस रत्न को धारण करता है, तो इससे उसकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति मजबूत हो सकती है। इसके साथ ही जातक के लिए सुख-समृद्धि के योग बनने लगते हैं। वहीं अगर किसी जातक के विवाह में अड़चन आ रही हैं, तो उसे भी पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है, जिससे विवाह संबंधी समस्याएं भी दूर होने लगती हैं।

इन्हें करना चाहिए धारण

जिस जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति कमजोर होती है, उन्हें पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही धनु और मीन राशि के जातकों के लिए भी पुखराज धारण करना शुभ माना गया है, क्योंकि इन राशियों के ग्रह स्वामी बृहस्पति हैं।

Pukhraj (1)

धारण करने के कुछ नियम

पुखराज को हमेशा सोने की अंगूठी में जड़वाकर ही पहनना चाहिए। इसे तर्जनी उंगली में धारण करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। पुखराज को धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष को अपनी कुंडली दिखाकर सलाह जरूर ले लेनी चाहिए और इसके बाद ही इसे धारण करना चाहिए। एक बार पहनने के बाद इसे बार-बार न उतारें, वरना इसका प्रभाव कम हो सकता है।

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(Picture Credit: Freepik) (AI Image)

इस तरह करें धारण

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पंचामृत यानी दूध, गंगाजल, शहद, घी और शक्कर को मिलाकर इससे पुखराज को शुद्ध करें। इसके बाद इसे भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें और 108 बार “ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये नम:” मंत्र का जप करें। इसके बाद अंगूठी को धारण करें। आप इसे किसी भी के शुक्ल पक्ष के गुरुवार के दिन धारण कर सकते हैं। साथ ही इसे धारण करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।