Move to Jagran APP

West Bengal: हाईकोर्ट ने 409 आईसीडीएस पर्यवेक्षकों की नियुक्ति का दिया आदेश, हलफनामा पेश करने का भी दिया निर्देश

आखिरकार 26 साल बाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से आईसीडीएस पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में गतिरोध दूर हो गया। मंगलवार को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि 409 कर्मचारियों की सुपरवाइजर पदों की भर्ती पर रोक नहीं लगनी चाहिए। राज्य सरकार को कुल 1729 लोगों की नियुक्ति करनी है। आईसीडीएस सुपरवाइजर के पद पर आखिरी नियुक्ति 1998 में हुई थी। अगली भर्ती प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Tue, 30 Apr 2024 08:50 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2024 08:50 PM (IST)
आखिरकार 26 साल बाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से आईसीडीएस पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में गतिरोध दूर हो गया।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। आखिरकार 26 साल बाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से आईसीडीएस पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में गतिरोध दूर हो गया। मंगलवार को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि 409 कर्मचारियों की सुपरवाइजर पदों की भर्ती पर रोक नहीं लगनी चाहिए। राज्य सरकार को कुल 1729 लोगों की नियुक्ति करनी है। आईसीडीएस सुपरवाइजर के पद पर आखिरी नियुक्ति 1998 में हुई थी। अगली भर्ती प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई।

loksabha election banner

3458 आईसीडीएस पर्यवेक्षक रिक्तियों भर्ती अधिसूचना प्रकाशित की गई थी। केंद्र सरकार की ओर से 15 सितंबर 2015 को जारी निर्देश में साफ कहा गया था कि कुल रिक्तियों में से 50 फीसदी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती पदोन्नति के आधार पर की जाए। कथित तौर पर राज्य सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए केवल 422 रिक्तियां छोड़कर शेष 3036 रिक्तियों के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। राज्य सरकार की इस भर्ती अधिसूचना को चुनौती देते हुए कुछ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

19 सितंबर, 2023 को न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी ने राज्य सरकार को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से 50 प्रतिशत रिक्त पद पदोन्नति के आधार पर भरने का निर्देश दिया। लेकिन राज्य सरकार ने कथित तौर पर आदेश की अनदेखी की और भर्ती प्रक्रिया जारी रखी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रमोशनल सुपरवाइजर के पद पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। 1152 अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट भी जारी की गई। कथित तौर पर राज्य ने पैनल का खुलासा किए बिना सीधे भर्ती प्रक्रिया को जारी रखा। इसलिए, 200 मेरिट-सूचीबद्ध आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

13 जनवरी 2024 को जस्टिस सौमेन सेन की खंडपीठ में जस्टिस लपिता बनर्जी के आदेश को चुनौती देते हुए एक मामला दायर किया गया था। हालांकि, डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई। 30 वादियों के वकील आशीष कुमार चौधरी ने कोर्ट में जस्टिस राजशेखर मंथार को बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक, 50 फीसदी आंगनवाड़ी सुपरवाइजरों की भर्ती आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में से की जानी चाहिए। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य ने इसका पालन किए बिना भर्ती प्रक्रिया जारी रखी, जो पूरी तरह से अवैध है।

उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि सुपरवाइजर के रिक्त पदों पर 50 फीसदी नियुक्तियां आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में से की जाएं। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने आदेश दिया कि चूंकि न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी के आदेश पर कोई रोक नहीं है, इसलिए राज्य सरकार और पीएससी को पर्यवेक्षक के 50 प्रतिशत रिक्त पदों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से भरना होगा।

3458 रिक्तियों में से 1729 लोगों की नियुक्ति राज्य सरकार को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में से करनी है। सरकार उन 409 लोगों की भर्ती जारी रख सकती है, जिन्होंने 12 अप्रैल को प्रमोशनल पदों पर भर्ती के लिए प्रारंभिक सूची जारी की थी। बाकी बची रिक्तियों पर 1152 लोगों की मेरिट लिस्ट से नियुक्ति की जा सकती है। चूंकि यह भर्ती प्रक्रिया का मामला खंडपीठ के समक्ष लंबित है, इसलिए न्यायाधीश ने राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा पेश करने का भी निर्देश दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.