जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : शादी ... तारीख तय होने के बाद से घरों में रौनक शुरू हो जाती है। शादी के एक-एक दिन का कार्यक्रम तय हो जाता है। संगीत से लेकर डीजे, बरात के स्वागत समेत कई कार्यक्रम की अलग-अलग ड्रेस, खाने का मैन्यू तैयार कर दिया जाता है। शादी का मतलब सात से आठ दिन तक लगातार उल्लास ही उल्लास रहेगा।
ठाकुरद्वारा के सुरजननगर स्थित मदनी मस्जिद की उलमा ए इकराम और आइम्मा ए मसाजिद की 19 मई को हुई बैठक में फरमान जारी कर दिया गया कि सिर्फ निकाह ही होगा।
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फिजूल की रस्मों को जबरन करने वाले व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा। इस्लाहे मुआशरा के तहत कमेटी ने तय किया कि हल्दी की रस्म, डीजे या बफर, मोबाइल पर किसी प्रकार का नाचगाना नहीं होगा। आतिशबाजी नहीं छोड़ी जाएगी। इसके साथ ही सबसे बड़ी बात यह भी है कि बरात के इंतजार में बेटियां फूल लेकर स्वागत के लिए खड़ी होती हैं। यह सब बंद किया जाएगा।
मना करने के बाद भी कोई ऐसा करता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार होगा। शादी में कोई शरीक नहीं होगा। निकाह भी नहीं पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही उस परिवार के जनाजे में भी कोई शामिल नहीं होगा। कमेटी ने साफ कर दिया है कि फिजूलखर्ची से गरीब की बेटी घर पर बैठी रहती है। इसलिए सबके लिए एक समान मामला होना चाहिए। निकाह आसान होने से गरीब की बच्चियों का निकाह हो सकेगा।
फिजूल रसूमात बंद होंगी
27 फरवरी को जमीयत के अधिवेशन में बनी थी कमेटियां
जामा मस्जिद पार्क में जमीयत उलमा हिंद कमेटी के 27 फरवरी को हुए अधिवेशन में अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने गैर शरई शादियों का विरोध करने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि हल्दी की रस्म, नाच-गाना, आतिशबाजी, महिलाओं द्वारा बरात का स्वागत करने वालों का पूरा विरोध करें। उनके घरों के आगे काले झंडे लेकर खड़े हो जाएं। जिससे दूसरे लोगों की हिम्मत भी न पड़ सके।
सामाजिक बहिष्कार करने से वह आसानी वाले रास्ते को अपनाएंगे। इस तरह की शादियों से समाज में बिगाड़ पैदा हो रहा है। निकाह को इतना आसान बना दो कि गरीब को बेटी की शादी करने के लिए बिलकुल भी सोचना न पड़े।