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जस्टिस गंगोपाध्याय ने EC के इस आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती, चुनाव प्रचार पर लगाए गए रोक को बताया मानहानि

कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश व तमलुक लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने चुनाव आयोग द्वारा उनके विरुद्ध सुनाए गए आदेश को अदालत में चुनौती दी है। आयोग ने मंगलवार को जस्टिस गंगोपाध्याय को बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर अशालीन टिप्पणी करने के मामले में दोषी करार हुए उनके चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी थी।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Published: Wed, 22 May 2024 11:45 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2024 11:45 PM (IST)
जस्टिस गंगोपाध्याय ने EC के आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती। फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश व तमलुक लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने चुनाव आयोग द्वारा उनके विरुद्ध सुनाए गए आदेश को अदालत में चुनौती दी है।

EC ने चुनाव प्रचार करने पर लगाई थी 24 घंटे की रोक

मालूम हो कि आयोग ने मंगलवार को जस्टिस गंगोपाध्याय को बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर अशालीन टिप्पणी करने के मामले में दोषी करार हुए उनके चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी थी। रोक 21 मई की शाम पांच बजे से प्रभावी हुई थी।

आदेश से हुई है मानहानीः भाजपा प्रत्याशी

जस्टिस गंगोपाध्याय का कहना है कि आयोग ने उन्हें अपना पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया। इस आदेश से उनकी मानहानि हुई है। उन्होंने आयोग के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है और मानहानि को लेकर अलग से कदम उठाने की भी बात कही है। मालूम हो कि जस्टिस गंगोपाध्याय की चुनावी सभा का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे ममता के बारे में अशालीन टिप्पणी करते दिख रहे हैं।

टीएमसी ने की थी आयोग से शिकायत

तृणमूल ने इसकी आयोग से शिकायत की थी, जिसपर जस्टिस गंगोपाध्याय के विरुद्ध कार्रवाई की गई। जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि उन्होंने किस परिप्रेक्ष्य में यह टिप्पणी की थी, आयोग को इस बारे में बताया था और कोई भी निर्णय लेने से पहले उन्हें अपनी बात रखने का मौका देने का आवेदन किया था, जिनपर आयोग ने ध्यान नहीं दिया।

आयोग ने की थी जस्टिस गंगोपाध्याय की टिप्पणी की निंदा

आयोग ने जस्टिस गंगोपाध्याय की टिप्पणी की निंदा करते हुए इसे निम्न स्तर का व्यक्तिगत हमला करार देते हुए आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। जस्टिस गंगोपाध्याय जैसी शैक्षिक व पेशेवर पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति के मुंह से इस तरह की बातों पर भी आयोग ने आश्चर्य जताया था।

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