Varanasi News: वाराणसी में गंगा घाट किनारे बन रहे हैं 'लाक्षागृह', अब यही बनेंगे जिला प्रशासन के लिए नासूर
गंगा घाट के किनारे राजघाट से सामनेघाट तक एक-दो नहीं बल्कि 50 से अधिक अवैध निर्माण हो रहे हैं। ये सभी निर्माण तीन से पांच मंजिल के हो रहे हैं जो भविष्य में जिला प्रशासन के लिए नासूर बन सकते हैं। यदि इन भवनों में आग या शार्ट-सर्किट से आग लग गई तो इनमें रहने वालों को बचा पाना संभव नहीं क्योंकि यहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं पहुंच पाएगी।
जेपी पांडेय, वाराणसी। गंगा घाट से 200 मीटर के दायरे में कौन कहे अब तक घाट से सटे वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते अवैध निर्माण हो रहे हैं। वीडीए की भारी-भरकम फौज अवैध निर्माण को रोकने में पूरी तरह से विफल हो गई।
गंगा घाट के किनारे राजघाट से सामनेघाट तक एक-दो नहीं, बल्कि 50 से अधिक अवैध निर्माण हो रहे हैं। ये सभी निर्माण तीन से पांच मंजिल के हो रहे हैं जो भविष्य में जिला प्रशासन के लिए नासूर बन सकते हैं। यदि इन भवनों में आग या शार्ट-सर्किट से आग लग गई तो इनमें रहने वालों को बचा पाना संभव नहीं है, क्योंकि यहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं पहुंच पाएगी। ये भवन किसी लाक्षा गृह से कम नहीं है।
गंगा घाट किनारे से 200 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण को रोकने को लेकर मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बैठक होने के साथ वीडीए उपाध्यक्ष ने जोनल अधिकारी, अवर अभियंता, सुपरवाइजर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई तक की लेकिन इनके सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
इसे भी पढ़ें- वाराणसी में रोड शो से पहले प्रियंका-डिंपल का बदला प्लान, पहले इस मंदिर में टेकेंगी मत्था फिर दिखाएंगी दम
पूर्व वीडीए उपाध्यक्ष राहुल पांडेय ने अवैध निर्माण को रोकने के लिए गंगा किनारे से 200 मीटर के दायरे में सीमांकन कराने के साथ पत्थर तक गड़वाए। इतना ही नहीं, कई अवैध निर्माण को तोड़वाने के साथ मुकदमा दर्ज कराया लेकिन पिछले कुछ दिनों में गंगा घाट किनारे अवैध निर्माण की बहार आ गई है। होटल कारोबार से जुडे समेत अन्य लोग पुराने मकानों को खरीदकर या तोड़कर होटल और गेस्ट हाउस बना रहे हैं ।
इसे भी पढ़ें-बीवी-प्रेमिका में तकरार के बाद युवक ने मौत को लगाया गले, शव देख पूरा परिवार रह गया दंग
आने-जाने का एक ही है रास्ता
गंगा घाट किनारे बने होटल, गेस्ट हाउस, पेईंग गेस्ट हाउस और धर्मशाला में नजर डाली जाए तो शायद ही कहीं सुरक्षा उपकरण मिलेंगे। इनमें आने-जाने की एक ही सीढ़ी या रास्ता है। आग लगने पर कोई भागना चाहे तो कोई रास्ता नहीं है। क्योंकि गंगा घाट की तरफ भागने का कोई रास्ता नहीं है। आगे सकरी गली है, गली भी ऐसी की पैदल चलने में लोगों को परेशानी होती है।
हादसा होने पर चलता है अभियान
कानपुर और लखनऊ में होटल में आग लगने पर कई लोगों की जान चली गई थी। जान जाने की मुख्य वजह निकलने का कोई रास्ता नहीं था। यहां हादसा होने पर शासन के निर्देश पर पूरे प्रदेश में होटल, गेस्ट हाउस, पेईंग गेस्ट हाउस की चेकिंग कर नोटिस जारी किया लेकिन कुछ दिनों बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
वीडीए सचिव डा. वेद प्रकाश मिश्रा ने कहा कि गंगा घाट किनारे अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ जोनल अधिकारी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। गंगा किनारे अलग से टीम बनाकर अवैध निर्माण की सूची बनाई जाएगी जिससे कार्रवाई हो सके। वहीं अवैध निर्माण पूरी तरह से रोका जाएगा।