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हरियाणा में चौथे 'लाल' के रूप में बनाई पहचान, लोकसभा का रण जीते तो केंद्र की राजनीति में उड़ान भरेंगे मनोहर

हरियाणा में चौथे लाल के रूप में पहचान बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर कामयाब रहे हैं। इनके बिना अब लालों की राजनीति की चर्चा अधूरी ही मानी जाएगी। मनोहर लाल ने साल 2014 में पहली बार करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ा था और पहली ही बार में जीत भी हासिल की थी। आइए पढ़ते हैं राज्य ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल की ये खास रिपोर्ट।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Published: Thu, 09 May 2024 02:07 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2024 02:13 PM (IST)
पीएम नरेन्द्र मोदी के भरोसे पर हमेशा खरा उतरे करनाल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे पूर्व सीएम मनोहर लाल

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़ करीब 10 साल पहले तक हरियाणा की राजनीति में सिर्फ तीन लाल... देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल की चर्चा हुआ करती थी। साल 2014 में भाजपा ने मनोहर लाल (Manohar Lal) के रूप में प्रदेश को ऐसा चौथा लाल दिया, जिसके बिना अब 'लालों की राजनीति' की चर्चा अधूरी मानी जाती है।

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आरएसएस के स्वयं सेवक के रूप में देश के विभिन्न हिस्सों में जन कल्याण के काम कर चुके मनोहर लाल जब हरियाणा की सक्रिय राजनीति में आए तो उनका पहला वास्ता भाजपा-हविपा गठबंधन की सरकार के तत्कालीन मुखिया बंसीलाल से पड़ा।

उस समय मनोहर लाल हरियाणा भाजपा के संगठन महामंत्री थे। मनोहर लाल अक्सर बंसीलाल की सरकार के ऐसे फैसलों का विरोध करते थे, जो जन भावनाओं के विपरीत होते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संगठन का काम कर चुके मनोहर लाल को भाजपा ने साल 2014 में करनाल से पहला विधानसभा चुनाव लड़वाया और पहली बार में ही जीत हासिल करते ही उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया।

मनोहर लाल से पहले देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल, तीनों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में राज-काज चलाया। देवीलाल तो देश के उप प्रधानमंत्री पद तक भी पहुंचे। बंसीलाल और भजनलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में पूरी तरह सक्रिय रहे। करीब साढ़े नौ साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके मनोहर लाल के सामने भी अब ऐसे कई विकल्प हैं, जो उन्हें देश की राष्टीय राजनीति में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का रास्ता तैयार करते दिखाई दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के अनुरूप मनोहर लाल करनाल लोकसभा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस ने युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा को चुनावी रण में उतारा है। यह मनोहर लाल का आत्मविश्वास तथा लोगों पर उन्हें चुनाव जीतने का भरोसा ही है कि वे प्रदेश की बाकी नौ लोकसभा सीटों पर भी भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में चुनावी जनसभाएं कर माहौल को गति देने का काम कर रहे हैं।

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मनोहर लाल ने साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए जिस तरह से डबल इंजन की सरकार चलाई तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों व उनके नेतृत्व वाली सरकार की योजनाओं को धरातल पर लागू किया, उससे साफ है कि करनाल लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उनका भाजपा की राष्टीय राजनीति में पदार्पण तय है।

मनोहर लाल प्रदेश की राजनीति के ऐसे चौथे लाल हैं, जिन्होंने राजनीति में शुचिता स्थापित करने के साथ ही मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जनता का साढ़े नौ साल तक भरोसा जीतने का काम किया।

अंत्योदय कल्याण की योजनाओं के संचालन के साथ तबादला उद्योग बंद करने, नौकरियों में पर्ची-खर्ची के पुराने सिस्टम को जड़ से उखाड़ फेंकने तथा क्षेत्रवाद व भेदभाव को समाप्त करते हुए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के जो सफल प्रयोग मनोहर लाल ने किए, वह न केवल बाकी राज्य सरकारों के लिए अनुकरणीय साबित हुए, बल्कि लोकसभा के चुनाव में उनकी ताकत बन रहे हैं।

भाजपा की यह है रणनीति

मनोहर लाल को लोकसभा चुनाव लड़वाकर भाजपा न केवल उन्हें राजनीतिक शुचिता का बड़ा चेहरा बनाना चाहती है, बल्कि चुनाव जीतने की स्थिति में उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करना चाहती है। चर्चा आम है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मनोहर लाल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है या फिर भाजपा संगठन में अहम जिम्मेदारी प्रदान की जा सकती है।

राजनीति का मनोहर अनुभव

मनोहर लाल का राजनीति का अनुभव बहुत पुराना है। रोहतक के बनियानी गांव के रहने वाले मनोहर लाल ने देश के सुदूर इलाकों में प्रचारक के रूप में काम किया। हरियाणा में संगठन का काम देखा। उन्हें हिसाब-किताब में माहिर माना जाता है।

अधिकारी जब उनके सामने कंप्यूटर लेकर बैठते हैं तो वह योजनाओं की मद में खर्च होने वाले धन तथा बजट में होने वाली आय को कापी पर पेन से ऐसे गुणा-भाग करते हैं कि अधिकारियों के सारे आंकड़े धरे रह जाते हैं। उन्हें साढ़े नौ साल तक सरकार चलाने तथा कई सालों तक संगठन में काम करने का अनुभव हासिल है।

संजय भाटिया का रिकॉर्ड टूटेगा या नहीं

करनाल के निवर्तमान सांसद संजय भाटिया ने पूरे देश में दूसरे नंबर पर रहकर सबसे अधिक अंतर से जीत हासिल की थी। इस जीत को बरकरार रखने अथवा मार्जिन को बढ़ाने की चुनौती मनोहर लाल पर जरूर रहेगी। संजय भाटिया ने 6 लाख 56 हजार 142 मतों के अंतर से लोकसभा चुनाव जीता था।

अगर चुनाव का रुख बदला तो...

वैसे तो मनोहर लाल न केवल अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, बल्कि बाकी लोकसभा उम्मीदवारों को जिताने के लिए भी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन यदि कांग्रेस के दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कोई चमत्कार कर दिया तो मनोहर लाल की राजनीति पर इसका विपरीत असर पड़ेगा। हालांकि तब भी भाजपा उन्हें किसी शीर्ष पद से वंचित नहीं करेगी। दिव्यांशु बुद्धिराजा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा व राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा के करीबी हैं।

यह जानना भी आपके लिए जरूरी

  • करनाल सीट को ब्राह्मण सीट के तौर पर पहचाना जाता है। लेकिन 2014 में मोदी की लहर में यह धारणा टूट गई थी।
  • यहां से भाजपा प्रत्याशी अश्विनी कुमार चोपड़ा को जीत मिली थी। इसके बाद पंजाबी समाज के ही संजय भाटिया ने मोदी प्रभाव में 2019 में कांग्रेस के दिग्गज नेता कुलदीप शर्मा को साढ़े छह लाख वोटों से हराया था।
  • इस सीट पर अब तक 18 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें से 11 बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की है।
  • भजनलाल को अपने जीवन में पहली बार 1999 में हार का यहीं पर मुंह देखना पड़ा था।
  • बीजेपी की सुषमा स्वराज तीन बार 1980, 1984 और 1989 में हारीं।
  • चार बार करनाल से जीत दर्ज करने वाले पंडित चिरंजी लाल अंतिम चुनाव यहां से 1996 में हार गए।
  • दो बार भाजपा की टिकट पर सांसद रहे आइडी स्वामी 2004 में कांग्रेस के अरविंद शर्मा से हार गए।
  • पंडित चिरंजीलाल के पुत्र कुलदीप शर्मा 2019 में भाजपा के संजय भाटिया से हार गए।
  • दो बार सांसद रहे अरविंद शर्मा को 2014 में भाजपा के अश्वनी चोपड़ा के हाथ शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
  • साल 2014 के बाद से करनाल लोकसभा सीट पर लगातार भाजपा जीतती आ रही है।

नोट: खबर में इस्तेमाल की गई तस्वीर https://www.narendramodi.in/ वेबसाइट से ली गई है।

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